केंद्रीय नवीन एवं नवीकरणीय ऊर्जा मंत्री प्रल्हाद जोशी ने मंगलवार(3जून) को एक अध्ययन का हवाला देते हुए कहा कि भारत में अब सोलर प्लस स्टोरेज आधारित बिजली की कीमत कोयला आधारित बिजली से भी कम हो गई है। इस बिजली की आपूर्ति 24 घंटे सातों दिन उपलब्ध है और यह अधिकांश राज्यों में औद्योगिक दरों से भी सस्ती साबित हो रही है।
सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ‘एक्स’ पर केंद्रीय मंत्री ने लिखा, “यह सफलता भारत की औद्योगिक प्रतिस्पर्धात्मकता के लिए एक बड़ा बदलाव है। यह प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के सतत विकास को प्राप्त करने के दृष्टिकोण का भी प्रमाण है।”
कैलिफोर्निया यूनिवर्सिटी, बर्कले के इंडिया एनर्जी एंड क्लाइमेट सेंटर (IECC) द्वारा किए गए अध्ययन के अनुसार, भारत अब 6 रुपए प्रति किलोवाट घंटे से भी कम दर पर बिजली उपलब्ध करा सकता है, जो कोयला आधारित प्लांट्स की तुलना में किफायती है और यह कीमत 25 वर्षों तक स्थिर रहेगी।
अध्ययन में यह भी कहा गया है कि भारत में बैटरी स्टोरेज की लागत पिछले 18 महीनों में 50 प्रतिशत से कम हो गई है, जिससे सोलर एनर्जी और स्टोरेज की संयुक्त लागत नए कोयला प्लांट्स से भी कम हो गई है। स्टडी की लेखिका और कैलिफोर्निया यूनिवर्सिटी की फैकल्टी सदस्य डॉ. निकित अभ्यंकर ने कहा, “भारत में सोलर ऊर्जा और स्टोरेज अब अधिकांश राज्यों में औद्योगिक बिजली दरों से सस्ती है और ये कीमतें दशकों तक स्थिर रहेंगी।”
रिपोर्ट के अनुसार, भारत में औद्योगिक बिजली की दरें 2025 तक औसतन लगभग 8 रुपए प्रति किलोवाट घंटा हो सकती हैं, जबकि सोलर प्लस स्टोरेज 25 वर्षों तक निश्चित दर पर स्वच्छ और किफायती बिजली प्रदान करती हैं। अतिरिक्त ट्रांसमिशन शुल्क के बाद भी ये प्रणालियां उद्योगों के लिए बेहद लागत प्रभावी हैं।
आधिकारिक आंकड़ों के मुताबिक, भारत की सोलर ऊर्जा क्षमता पिछले 11 वर्षों में तेज़ी से बढ़ी है और 31 मार्च 2025 तक यह 105.65 गीगावाट तक पहुंच गई है, जबकि 2014 में यह मात्र 2.82 गीगावाट थी। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने जलवायु परिवर्तन से लड़ने के लिए भारत को रिन्यूएबल एनर्जी के क्षेत्र में अग्रणी बनाने के लक्ष्य के तहत 2030 तक 500 गीगावाट की अक्षय ऊर्जा क्षमता हासिल करने का लक्ष्य रखा है। यह अध्ययन और सरकारी प्रयास भारत के स्वच्छ ऊर्जा संक्रमण को नई गति देने में अहम भूमिका निभा रहे हैं।
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