भारत में खुदरा मुद्रास्फीति (Retail Inflation) अक्टूबर में और कम होने की उम्मीद है, जो खाद्य कीमतों में गिरावट, उच्च बेस इफेक्ट और हालिया GST सुधारों के पूर्ण प्रभाव से समर्थित है। यह जानकारी यूनियन बैंक ऑफ इंडिया की ताजा रिपोर्ट में सामने आई है। रिपोर्ट के अनुसार, अक्टूबर में CPI मुद्रास्फीति (Consumer Price Index) का अनुमान 0.50% से भी नीचे ट्रैक कर रहा है। बैंक ने कहा कि मुद्रास्फीति दबाव आने वाले महीनों में केवल धीरे-धीरे बढ़ेंगे।
रिपोर्ट में कहा गया है कि खाद्य मुद्रास्फीति आगामी सर्दियों में तेज़ी से गिर सकती है और नकारात्मक क्षेत्र में बनी रह सकती है। हालिया बाढ़ों का प्रभाव सीमित रहा है। सितंबर में Consumer Food Price Index (CFPI) -2.28% पर था, जो जून 2025 से लगातार गिरावट दर्शाता है।
ग्रामीण क्षेत्रों में मुद्रास्फीति 1.07% जबकि शहरी क्षेत्रों में 2.04% रही। खाद्य मुद्रास्फीति दोनों क्षेत्रों में नकारात्मक रही, ग्रामीण क्षेत्र में -2.17% और शहरी क्षेत्र में -2.47%, मुख्य रूप से सब्जियों और खाद्य तेलों की कीमतों में गिरावट के कारण। सरकार ने इस गिरावट को सकारात्मक बेस इफेक्ट और प्रमुख खाद्य वस्तुओं की कम कीमतों (सब्जियां, तेल, फल, अनाज, दालें, अंडे और ईंधन) से जोड़ा है।
यूनियन बैंक की रिपोर्ट ने FY26 के लिए मुद्रास्फीति का अनुमान 2.6% रखा है, जो पहले के 3.1% के अनुमान से कम है। इसके मुताबिक, मुद्रास्फीति अधिकतर समय RBI के लक्ष्य क्षेत्र के नीचे बनी रहेगी और चौथे तिमाही में बेस इफेक्ट के कारण थोड़ी बढ़ सकती है।
विशेषज्ञों का मानना है कि यदि यह रुझान जारी रहता है, तो भारत त्योहार और सर्दियों के मौसम में कम-मुद्रास्फीति वाला वातावरण बनाए रख सकता है। इससे उपभोक्ता मांग मजबूत बनी रहेगी और समग्र आर्थिक स्थिरता को बढ़ावा मिलेगा। मौजूदा आंकड़ों और रुझानों से यह संकेत मिलता है कि खाद्य कीमतों में लगातार गिरावट और GST सुधारों का असर मुद्रास्फीति को नियंत्रित रखने में अहम भूमिका निभा रहे हैं।
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