तमिलनाडु के सिवगंगई जिले में पुलिस हिरासत में मारे गए 27 वर्षीय अजीत कुमार की मौत के पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट ने राज्य पुलिस पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं। इंडिया टुडे द्वारा एक्सेस की गई इस रिपोर्ट में 44 गंभीर चोटों, मांसपेशियों के अंदर गहरे जख्म, दिमाग और अंगों में रक्तस्राव और यातना के स्पष्ट संकेत मिले हैं। रिपोर्ट साफ तौर पर अत्यधिक और बार-बार की गई हिंसा का संकेत देती है, जो अंततः मौत का कारण बनी।
रिपोर्ट के अनुसार, अजीत कुमार के शरीर पर 44 अलग-अलग चोटें थीं। ये चोटें सिर्फ सतही नहीं थीं बल्कि शरीर की गहराई तक थीं, विशेष रूप से मांसपेशियों की परतों में। रिपोर्ट में कहा गया है कि लगभग 30 स्थानों पर मांसपेशी स्तर तक चोट पहुंची थी, जो दंडात्मक, बार-बार और भारी मारपीट को दर्शाती है। इसके अलावा, शरीर के विभिन्न हिस्सों — सिर, पीठ, छाती, हाथ-पैर और आंतरिक अंगों — पर चोटें अलग-अलग दिशा में थीं, जो यह दर्शाती हैं कि लाठी, डंडे या रॉड जैसी कठोर वस्तुओं से बार-बार मारा गया।
मस्तिष्क में गंभीर चोटें:
- सबस्कैल्प कोंटूजन (Subscalp Contusion): खोपड़ी के नीचे खून जमा होना, जो किसी कठोर वस्तु से सिर पर जोर से वार करने पर होता है।
- इकाइमोसिस ऑफ स्कल (Ecchymosis of Skull): खोपड़ी पर गहरे नीले रंग के निशान, जो तेज़ और भारी झटके का संकेत देते हैं।
- ब्रेन हैमरेज (Cerebral Haemorrhaging): दोनों मस्तिष्क खंडों में खून बहना, जो अत्यधिक सिर पर प्रहार के कारण हुआ।
इन तीनों संकेतों से स्पष्ट है कि अजीत कुमार के सिर पर बार-बार तेज़ वार किए गए, जिससे अंदरूनी रक्तस्राव हुआ — और यह उसकी मौत का प्रमुख कारण हो सकता है।
शरीर पर अन्य गंभीर चोटें और यातना के सबूत
- पेटेकियल हैमरेज (Petechial Haemorrhages): दिल, जिगर और पेट की दीवार में सूक्ष्म रक्तस्राव — जो अत्यधिक मारपीट या दम घुटने जैसे तनाव की ओर संकेत करते हैं।
- काटने के निशान: शरीर के दाहिने सिरे पर दांत से काटे जाने का निशान मिला।
- ग्लूटियल क्षेत्र और पैरों के तलवों तक बड़े घाव: यह दिखाता है कि ऐसे हिस्सों को निशाना बनाया गया जो आम तौर पर नजर नहीं आते, एक आम रणनीति जब टॉर्चर को छिपाना हो।
पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट पूरी तरह से पुलिस के उस दावे को खारिज करती है जिसमें अजीत की मौत को मामूली झगड़ा, दौरा या ‘नेचुरल डेथ’ बताया गया था। रिपोर्ट के मेडिकल साक्ष्य यह साबित करते हैं कि अजीत कुमार की मौत पूर्वनियोजित और बेरहम टॉर्चर के कारण हुई।
इस मामले में मद्रास हाई कोर्ट पहले ही टिप्पणी कर चुका है कि “राज्य ने अपने ही नागरिक की हत्या की है।” रिपोर्ट के आने के बाद राज्य सरकार पर और भी दबाव बढ़ गया है। मुख्यमंत्री एमके स्टालिन ने पहले ही CBI जांच का ऐलान कर दिया है और कहा है कि ऐसे अमानवीय कृत्य बर्दाश्त नहीं किए जाएंगे।
यह पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट तमिलनाडु में पुलिस बर्बरता के सबसे जघन्य उदाहरणों में से एक बनकर सामने आई है और आने वाले समय में यह पूरे देश में पुलिस सुधार की बहस को तेज कर सकती है।
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