दिल्ली सरकार के क्लासरूम निर्माण घोटाले की जांच में तेजी लाते हुए प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने बुधवार (18 जून) को राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली के 37 ठिकानों पर एक साथ छापेमारी की। यह कार्रवाई राजधानी के स्कूलों में 12,748 अतिरिक्त कक्षाओं के निर्माण में हुई कथित अनियमितताओं और भ्रष्टाचार से जुड़ी है, जिसकी अनुमानित राशि करीब 2,000 करोड़ रुपये बताई जा रही है।
सूत्रों के अनुसार, यह छापेमारी बब्बर एंड बब्बर आर्किटेक्ट्स सहित कई ठेकेदारों और निजी फर्मों के परिसरों पर की गई। मामला दिल्ली सरकार के पूर्व मंत्रियों मनीष सिसोदिया और सत्येंद्र जैन से जुड़ा हुआ है। इन पर आरोप है कि उन्होंने अपने पद का दुरुपयोग करते हुए सरकारी स्कूलों में कक्षाओं के निर्माण कार्यों में भारी गड़बड़ी की।
इससे पहले भ्रष्टाचार निरोधक शाखा (ACB) ने उपराज्यपाल विनय कुमार सक्सेना की मंजूरी के बाद 30 अप्रैल को सिसोदिया और जैन के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज की थी। ACB की रिपोर्ट के मुताबिक, निर्माण की लागत असामान्य रूप से बढ़ाई गई थी और कक्षाएं स्थायी नहीं, बल्कि सेमी-परमानेंट स्ट्रक्चर के रूप में बनाई गईं। इसके अलावा, जांच में यह भी पाया गया कि कई ठेकेदार आम आदमी पार्टी से जुड़े थे।
एसीबी के मुताबिक, एक कक्षा के निर्माण में 24.86 लाख रुपये तक खर्च दिखाया गया, जबकि दिल्ली में समान निर्माण कार्यों की औसतन लागत 5 लाख रुपये होती है। आरोप है कि जानबूझकर लागत बढ़ाकर सरकारी धन का दुरुपयोग किया गया।
ईडी की यह कार्रवाई उसी प्राथमिकी के आधार पर की गई है और इसमें बड़े स्तर पर वित्तीय अनियमितताओं की जांच की जा रही है। अधिकारियों के अनुसार, छापेमारी के दौरान दस्तावेज, डिजिटल डाटा और वित्तीय लेन-देन के रिकॉर्ड खंगाले जा रहे हैं।
जांच एजेंसियों का मानना है कि यह मामला केवल एक प्रशासनिक गड़बड़ी नहीं, बल्कि सुनियोजित तरीके से किए गए आर्थिक अपराध का उदाहरण है। आने वाले दिनों में इस मामले में पूछताछ और गिरफ्तारियों की संभावना भी जताई जा रही है।
क्लासरूम कंस्ट्रक्शन घोटाला दिल्ली सरकार के शिक्षा मॉडल पर गंभीर सवाल खड़े करता है, जो अब तक उसकी प्रमुख उपलब्धियों में गिना जाता रहा है। ED की इस कार्रवाई से राजनीतिक हलकों में हलचल मच गई है और आने वाले समय में यह मुद्दा और भी गरमा सकता है।
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