हर साल 19 जून को विश्व सिकल सेल जागरूकता दिवस मनाया जाता है, ताकि लोगों को इस गंभीर और खतरनाक रक्त विकार के प्रति जागरूक किया जा सके। सिकल सेल एनीमिया एक अनुवांशिक (जेनेटिक) ब्लड डिसऑर्डर है, जो शरीर की लाल रक्त कोशिकाओं (RBC) को प्रभावित करता है। यह बीमारी समय रहते न समझी जाए तो जानलेवा साबित हो सकती है।
सामान्य RBC गोल और लचीली होती हैं, जिससे वे आसानी से रक्त धमनियों में बहती हैं। लेकिन सिकल सेल एनीमिया में ये कोशिकाएं अर्धचंद्र (हसिया) के आकार की हो जाती हैं और सख्त हो जाती हैं। इससे वे जल्दी टूट जाती हैं और रक्त संचार में रुकावट आती है। परिणामस्वरूप शरीर में ऑक्सीजन की आपूर्ति कम हो जाती है, जिससे थकान, कमजोरी, सांस फूलना, असहनीय दर्द और अंगों को नुकसान जैसे लक्षण सामने आते हैं।
संयुक्त राष्ट्र महासभा ने 22 दिसंबर 2008 को इस बीमारी को एक वैश्विक स्वास्थ्य समस्या के रूप में स्वीकार किया और सभी देशों से आग्रह किया कि हर साल 19 जून को जागरूकता कार्यक्रम चलाए जाएं। उद्देश्य है – अधिक से अधिक लोग इस बीमारी को समझें, इसकी रोकथाम करें और समय रहते इलाज लें।
उत्तर प्रदेश में राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन (NHM) के तहत एक विशेष अभियान चलाया जा रहा है। इसके तहत लोगों को बताया जा रहा है कि सामान्य जांच, संतुलित आहार, पर्याप्त पानी पीना और समय पर दवाएं लेना इस बीमारी को काफी हद तक नियंत्रित कर सकता है। गर्भधारण से पहले और विवाह से पूर्व सिकल सेल की स्क्रीनिंग भी बेहद जरूरी बताई जा रही है।
सिकल सेल एनीमिया से बचने और उसे नियंत्रित करने के लिए शरीर को हमेशा हाइड्रेट रखना चाहिए, इसलिए रोज़ाना भरपूर मात्रा में पानी और तरल पदार्थ पीना जरूरी है। इस बीमारी में डॉक्टर द्वारा दी गई दवाएं नियमित रूप से लेनी चाहिए और कभी भी बिना परामर्श के दवाओं को बंद नहीं करना चाहिए। समय-समय पर शारीरिक जांच कराते रहना चाहिए और यदि शरीर में कोई लक्षण दिखाई दें, तो तुरंत डॉक्टर से संपर्क करना आवश्यक होता है। चूंकि यह एक अनुवांशिक बीमारी है, इसलिए परिवार के सभी सदस्यों की सिकल सेल की स्क्रीनिंग कराना भी बहुत जरूरी है। इसके अलावा, विवाह से पहले और गर्भावस्था के दौरान सिकल सेल की जांच करवाना बेहद महत्वपूर्ण है, ताकि भविष्य में होने वाले बच्चों को किसी तरह की परेशानी से बचाया जा सके।
सिकल सेल एनीमिया से पीड़ित लोगों को प्रोसेस्ड और डिब्बाबंद खाद्य पदार्थों का सेवन नहीं करना चाहिए, खासकर वे जिनमें अधिक नमक हो, क्योंकि ये शरीर के लिए नुकसानदायक हो सकते हैं। धूम्रपान, शराब, गुटखा और तंबाकू जैसी नशीली चीजों से पूरी तरह दूरी बनाना जरूरी है, क्योंकि ये सेहत को और भी खराब कर सकती हैं। अत्यधिक मेहनत वाले काम और भारी व्यायाम करने से बचना चाहिए, क्योंकि इससे थकान और दर्द की समस्या बढ़ सकती है। बहुत अधिक गर्मी या कड़ाके की ठंड में बाहर निकलने से भी बचना चाहिए, क्योंकि अत्यधिक मौसमीय बदलाव शरीर की रक्त कोशिकाओं पर नकारात्मक प्रभाव डाल सकते हैं।
सिकल सेल एनीमिया को जागरूकता, सावधानी और नियमित चिकित्सा से काफी हद तक नियंत्रित किया जा सकता है। यह बीमारी अनुवांशिक ज़रूर है, लेकिन इसके दुष्परिणाम से बचाव संभव है। विश्व सिकल सेल जागरूकता दिवस पर यह जरूरी है कि हम स्वयं और अपने परिवार को इस रोग के बारे में जागरूक करें, जांच कराएं और जिम्मेदारी से जीवन जीएं। बीमारी से लड़ना मुश्किल नहीं, अगर हम पहले से सतर्क रहें।
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