जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकी हमले के बाद पूरे देश में सुरक्षा एजेंसियों की सतर्कता बढ़ गई है। इसी कड़ी में लखनऊ से एक गंभीर मामला सामने आया है जिसने सुरक्षा तंत्र की नींद उड़ा दी है। गोमती नगर स्थित होटल वियाना में ओमान के पांच नागरिक बिना किसी अनुमति और नियमानुसार जानकारी के ठहरे हुए पाए गए। लखनऊ पुलिस की तत्परता से इन सभी को हिरासत में ले लिया गया है और सुरक्षा एजेंसियों ने मामले की जांच शुरू कर दी है।
यह केवल एक नियम उल्लंघन का मामला नहीं, बल्कि एक संभावित सुरक्षा चूक का संकेत भी है। होटल प्रशासन ने न तो FRRO को सूचना दी और न ही C-Form जमा किया, जो कि हर विदेशी नागरिक के ठहराव के लिए कानूनी अनिवार्यता है। इससे बड़ा सवाल उठता है कि क्या होटल प्रबंधन जानबूझकर नियमों की अनदेखी कर रहा था या फिर लापरवाही से देश की सुरक्षा को खतरे में डाल रहा था?
पुलिस पूछताछ में ये विदेशी नागरिक अपने भारत आगमन और लखनऊ प्रवास का कोई ठोस कारण नहीं बता सके। उनकी बातों में विरोधाभास और अस्पष्टता ने जांच एजेंसियों को और भी सतर्क कर दिया है। नतीजतन, होटल वियाना का पूरा रिकॉर्ड जब्त कर लिया गया है और होटल मालिक एवं प्रबंधक के खिलाफ मामला दर्ज कर लिया गया है।
इस घटना ने साफ कर दिया है कि आतंकी घटनाओं के बाद देश को सिर्फ सीमाओं पर ही नहीं, भीतर भी चौकन्ना रहना होगा। अब समय आ गया है कि होटल, लॉज, और गेस्ट हाउस जैसे संस्थानों की जवाबदेही तय की जाए और विदेशियों के ठहराव को लेकर नियमों का कठोरता से पालन हो। लापरवाही बरतने वाले संस्थानों पर त्वरित और उदाहरणीय कार्रवाई होनी चाहिए।
लखनऊ की यह घटना एक चेतावनी है—देश की सुरक्षा कोई औपचारिकता नहीं, बल्कि हर नागरिक और संस्थान की साझा ज़िम्मेदारी है। अब देखना यह है कि इस मामले की जांच कहां तक पहुंचती है और क्या इससे भविष्य में कोई ठोस बदलाव निकलकर सामने आता है।
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