महाराष्ट्र–मध्य प्रदेश–छत्तीसगढ़ (MMC) ज़ोन में माओवादी नेटवर्क के अंतिम बड़े हिस्से का भी पतन हो गया है। कुख्यात और वांछित माओवादी नेता रामधर माज्जी ने सोमवार तड़के 11 शीर्ष साथियों के साथ आत्मसमर्पण कर दिया, जिसे सुरक्षा एजेंसियां ऐतिहासिक और निर्णायक मोड़ बता रही हैं। पुलिस सूत्रों ने कहा, “रामधर के सरेंडर के साथ, MMC ज़ोन, उत्तर और दक्षिण दोनों, लगभग खत्म हो गए हैं। यह ऐतिहासिक है।”
बालाघाट जिले के बाकरकटा थाना क्षेत्र के कुम्ही गांव में नक्सलियों ने आत्मसमर्पण किया, जहां रामधर ने अपना AK-47 पुलिस के हवाले किया। उसके साथ DVCM और ACM स्तर के कई भारी हथियारों से लैस सदस्य चंदू उसेंडी, ललिता, जानकी, प्रेम, रामसिंह दादा और सुकेश पोट्टम भी सरेंडर हुए। छह महिला कैडर भी INSAS, SLR, .303 राइफल और कार्बाइन के साथ सामने आईं।
रिपोर्ट के मुताबिक, पिछले कुछ महीनों से रामधर अकेला पड़ता जा रहा था। नवंबर में अनंत उर्फ विकास नागपुरे के आत्मसमर्पण ने पूरे नेटवर्क को ध्वस्त कर दिया था। अनंत के सरेंडर ने रामधर की अंतिम सक्रिय टीम तक सरेंडर के लिए दबाव पहुँचाया।
रविवार (7 दिसंबर)को मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री मोहन यादव के सामने बालाघाट में 10 हार्डकोर माओवादी सरेंडर हुए थे, जिन पर कुल ₹2.36 करोड़ का इनाम था। इनमें MMC ज़ोन के KB डिविजन के शीर्ष नेता भी शामिल थे। मुख्यमंत्री ने कहा कि यह सफलता राज्य को पूरी तरह नक्सल-मुक्त बनाने की दिशा में निर्णायक कदम है।
इन सरेंडर्स के बाद उत्तरी MMC ज़ोन पूरी तरह खाली हो गया है। कान्हा और बांधवगढ़ टाइगर रिज़र्व सुरक्षित घोषित किए गए हैं। दक्षिणी MMC ज़ोन रामधर के आत्मसमर्पण के साथ ढह गया है। सुरक्षा एजेंसियों के अनुसार, “पूरी MMC बेल्ट दशकों में पहली बार निर्मूल स्थिति में है।”
रामधर माज्जी पर ₹1 करोड़ का इनाम था। वह MMC के दक्षिणी ज़ोन में अंतिम सक्रिय 14-सदस्यीय सशस्त्र दल का प्रमुख था और कई बड़े नक्सली हमलों का मास्टरमाइंड माना जाता था। उसने राजनांदगांव–खैरागरह–बालाघाट के जंगलों में रणनीतिक गलियारों पर नियंत्रण बनाए रखा था। पुलिस अधिकारियों के अनुसार, यह आत्मसमर्पण देश के सबसे पुराने और कठिन माओवादी मोर्चे के अंत का संकेत है। अब मध्य प्रदेश को लगभग पूर्ण रूप से नक्सल-मुक्त माना जा रहा है।
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