फिल्म निर्देशक और लेखक मनीष गुप्ता ने अपने ऊपर लगे चाकू से हमले और मारपीट के आरोपों को पूरी तरह खारिज कर दिया है। उन्होंने इसे एक “झूठा और फर्जी मामला” बताया है और दावा किया है कि ड्राइवर ने उन्हें फंसाने और पैसों की वसूली के लिए यह साजिश रची है।
मुंबई के वर्सोवा पुलिस स्टेशन में मनीष गुप्ता के खिलाफ भारतीय न्याय संहिता (बीएनएस) की धारा 118(1), 115(2) और 352 के तहत एफआईआर दर्ज की गई है। आरोप है कि उन्होंने अपने ड्राइवर पर चाकू से हमला किया और मारपीट की। यह घटना 5 जून की शाम 8:30 बजे अंधेरी पश्चिम स्थित ‘सागर संजोग’ बिल्डिंग में उनके ऑफिस में हुई थी।
हालांकि मनीष गुप्ता ने समाचार एजेंसी आईएएनएस से बात करते हुए इन आरोपों को निराधार बताया। उन्होंने कहा, “यह एक झूठा मामला है जिसे मुझे परेशान करने और वसूली के लिए खड़ा किया गया है। आजकल भारत में यह आम ट्रेंड बन गया है कि मामूली विवादों में लोग झूठी एफआईआर दर्ज कर देते हैं ताकि दबाव बनाकर पैसे ऐंठे जा सकें। इस तरह के मामलों में कुछ वकील, सामाजिक कार्यकर्ता और राजनीतिक लोग भी शामिल रहते हैं जो मिलकर एक एक्सटॉर्शन रैकेट चलाते हैं। मेरा केस इसका उदाहरण बनेगा।”
गुप्ता ने बताया कि ड्राइवर ने उनसे पिछली सैलरी की मांग की थी, लेकिन वह पिछले महीने काम छोड़ चुका था। उन्होंने कहा, “ड्राइवर चार दिन बाद अचानक काम पर लौटने की बात कर रहा था। मेरे पास इसके झूठे दावे के खिलाफ सबूत हैं। मैं उसके खिलाफ मानहानि का केस दर्ज करूंगा। मेरी छवि खराब करने की कोशिश की गई है।”
फिल्म निर्देशक ने यह भी बताया कि उन्हें एफआईआर की जानकारी तक नहीं थी। उन्होंने कहा, “5 जून की रात मुझे एक अनजान नंबर से कॉल आया, जिसे मैंने नहीं उठाया। सुबह जब वापस कॉल किया तो पता चला कि वह पुलिस अधिकारी थे, जिन्होंने बताया कि मेरे खिलाफ मामला दर्ज हुआ है।”
मनीष गुप्ता ने आगे कहा कि वह खुद पुलिस स्टेशन जाकर बयान दर्ज कराएंगे और कानूनी लड़ाई लड़ेंगे। उन्होंने स्पष्ट कहा, “मैं इस झूठे केस से पीछे नहीं हटूंगा। मैं उसे सजा दिलाकर रहूंगा।”
वर्सोवा पुलिस ने फिलहाल मामले की जांच शुरू कर दी है। मनीष गुप्ता के बयान और सबूतों के आधार पर पुलिस अगली कार्रवाई करेगी। वहीं गुप्ता का दावा है कि यह मामला केवल पैसे की वसूली और छवि धूमिल करने की साजिश है। मनीष गुप्ता एक अनुभवी फिल्मकार हैं और कई सामाजिक व राजनीतिक विषयों पर फिल्में बना चुके हैं। अब देखना यह होगा कि यह मामला कानूनी जांच में किस मोड़ पर पहुंचता है।
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