भारत और मध्य एशिया के पांच देशों ने मिलकर रेयर अर्थ और क्रिटिकल मिनरल्स की खोज के लिए सहयोग बढ़ाने की योजना बनाई है। इस साझेदारी का उद्देश्य चीन से इन जरूरी खनिजों के आयात पर निर्भरता को कम करना है। यह घोषणा शुक्रवार (7 जून) को नई दिल्ली में आयोजित चौथे भारत-मध्य एशिया संवाद के दौरान हुई।
विदेश मंत्रालय के अनुसार, भारत और कजाखस्तान, किर्गिज़ गणराज्य, ताजिकिस्तान, तुर्कमेनिस्तान और उज़्बेकिस्तान ने आपसी सहमति से इस दिशा में कदम बढ़ाने पर जोर दिया। उन्होंने सितंबर 2024 में नई दिल्ली में हुए पहले इंडिया-सेंट्रल एशिया रेयर अर्थ फोरम की उपलब्धियों की सराहना की और इसके दूसरे संस्करण को जल्द से जल्द आयोजित करने का आह्वान किया।
सरकार का लक्ष्य घरेलू स्तर पर रेयर अर्थ मैटेरियल्स के उत्पादन को बढ़ावा देना है। रिपोर्टों के मुताबिक, सरकार कंपनियों को उत्पादन आधारित वित्तीय प्रोत्साहन देने की योजना भी बना रही है। इससे भारत इस रणनीतिक क्षेत्र में आत्मनिर्भर बनने की ओर अग्रसर होगा।
बैठक में केवल खनिजों पर ही नहीं, बल्कि व्यापार, निवेश और वित्तीय कनेक्टिविटी को भी प्राथमिकता दी गई। विदेश मंत्रियों ने फार्मास्युटिकल्स, सूचना प्रौद्योगिकी, कृषि, ऊर्जा, वस्त्र, रत्न और आभूषण जैसे क्षेत्रों में व्यापारिक संबंधों को और मजबूत करने की जरूरत पर बल दिया।
मंत्रियों ने डिजिटल भुगतान प्रणाली, अंतर-बैंक संबंधों और राष्ट्रीय मुद्राओं में व्यापार को प्रोत्साहित करने के लिए एकजुट प्रयास करने का आह्वान किया। वित्तीय जुड़ाव को और गहरा करने के लिए संयुक्त कार्य समूह (Joint Working Group) की स्थापना का भी प्रस्ताव रखा गया।
मध्य एशियाई देशों ने भारत की India Stack तकनीक की तारीफ की, जो डिजिटल परिवर्तन और बड़े स्तर पर सार्वजनिक सेवा वितरण में सहायक रही है। भारत ने डिजिटल सार्वजनिक ढांचे (Digital Public Infrastructure) के विकास में मदद का वादा किया है।
इस दिशा में इंडिया-सेंट्रल एशिया डिजिटल पार्टनरशिप फोरम की स्थापना पर सहमति बनी और उज़्बेकिस्तान ने इसके पहले सम्मेलन की मेजबानी करने का प्रस्ताव भी रखा।
भारत की यह पहल ना सिर्फ खनिज आत्मनिर्भरता की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है, बल्कि यह भूराजनीतिक स्तर पर चीन पर निर्भरता कम करने का भी संकेत देती है। साथ ही, यह भारत-मध्य एशिया संबंधों को रणनीतिक गहराई प्रदान करेगा। आने वाले महीनों में इस साझेदारी के और भी व्यावहारिक आयाम सामने आने की संभावना है, जिससे भारत और मध्य एशिया के बीच साझा भविष्य की मजबूत नींव रखी जा सकेगी।
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