छत्तीसगढ़ में एक सैन्यकर्मी की टारगेट किलिंग के मामले में राष्ट्रीय जांच एजेंसी (NIA) ने बड़ा कदम उठाते हुए माओवादी कैडर आशु कोरसा के खिलाफ जगदलपुर स्थित विशेष अदालत में चार्जशीट दाखिल कर दी है। यह मामला भारतीय सेना के जवान मोतीराम अचला की हत्या से जुड़ा है, जिनकी 25 फरवरी 2024 को माओवादियों ने सार्वजनिक रूप से गोली मारकर हत्या कर दी थी।
NIA द्वारा शनिवार (7 जून) को जारी किए गए आधिकारिक बयान के मुताबिक, आरोपी कोरसा पर भारतीय दंड संहिता की हत्या और आपराधिक साजिश से जुड़ी धाराओं, तथा गैरकानूनी गतिविधियां (रोकथाम) अधिनियम [UAPA] के तहत आरोप तय किए गए हैं।
जांच के दौरान NIA ने पाया कि आशु कोरसा प्रतिबंधित माओवादी संगठन सीपीआई (माओवादी) के उत्तर बस्तर डिवीजन के अंतर्गत कुयेमारी एरिया कमेटी का एक सक्रिय सशस्त्र सदस्य है। एजेंसी का दावा है कि कोरसा ने एक वरिष्ठ माओवादी नेता के साथ मिलकर जवान अचला को निशाना बनाया और उनकी हत्या को एक सुनियोजित रणनीति के तहत अंजाम दिया गया।
हत्या के दिन मोतीराम अचला कांकेर जिले के आमाबेड़ा थाना क्षेत्र स्थित अपने पैतृक गांव उसेली आए थे, जहां वे एक स्थानीय मेले में परिवार के साथ शामिल हुए थे। यहीं पर सशस्त्र माओवादी दस्ते ने सार्वजनिक रूप से गोलियों से भूनकर उनकी हत्या कर दी।
NIA के मुताबिक, यह मामला पहले स्थानीय पुलिस के पास था, लेकिन राष्ट्रीय सुरक्षा के पहलुओं को ध्यान में रखते हुए इसे 29 फरवरी 2024 को एनआईए को सौंपा गया। बाद में दिसंबर 2024 में कोरसा को इस केस में गिरफ्तार किया गया। जांच में यह भी सामने आया कि अचला को माओवादियों ने इसीलिए निशाना बनाया क्योंकि वह सुरक्षा बलों से जुड़ा हुआ था और माओवादी नेटवर्क को यह संदेश देना था कि वे किसी भी सुरक्षा बल या उनके समर्थकों को नहीं बख्शेंगे।
NIA ने कहा है कि इस हत्या की साजिश में शामिल अन्य माओवादियों की पहचान और नेटवर्क का खुलासा करने के लिए जांच अभी भी जारी है। यह मामला न केवल एक जवान की शहादत से जुड़ा है, बल्कि यह माओवादी संगठनों की रणनीति और उनकी स्थानीय दहशत फैलाने की योजना को भी उजागर करता है। NIA की चार्जशीट से अब कानूनी कार्रवाई का अगला चरण शुरू हो गया है, जिस पर पूरे देश की नजर रहेगी।
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