हालिया जासूसी मामलों की जांच में चौंकाने वाला खुलासा हुआ है। रिपोर्ट के अनुसार पाकिस्तान पुलिस का एक पूर्व सब-इंस्पेक्टर भारतीय यूटूबर्स के जरिए पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी आईएसआई (ISI) के लिए जासूसी कराने में मुख्य भूमिका निभा रहा था।
इस पूर्व अधिकारी की पहचान नासिर के रूप में हुई है, जिसने पुलिस सेवा से स्वैच्छिक रिटायरमेंट के बाद आईएसआई के लिए काम करना शुरू कर दिया। जांच के अनुसार, वह खुद यूट्यूबर बन गया और भारतीय यूटूबर्स से संपर्क कर उन्हें आईएसआई के लिए “ग्रूम” करने लगा।
रिपोर्ट के अनुसार, नासिर के साथ उसकी महिला सहयोगी नौशाबा शहजाद, उर्फ मैडम एन, भी इस पूरे नेटवर्क में सक्रिय थी। इन दोनों को भारतीय यूटूबर्स को पाकिस्तान के पक्ष में वीडियो बनाने, सूचना एकत्र करने और जासूसी के काम में शामिल करने की जिम्मेदारी दी गई थी।
एक जांच अधिकारी ने बताया कि नासिर सबसे पहले उन भारतीय यूटूबर्स से संपर्क करता था जो पाकिस्तान यात्रा पर आते थे। इसके बाद उन्हें पाकिस्तान हाई कमीशन के अधिकारी दानिश और अन्य खुफिया एजेंट्स से मिलवाया जाता था। यहीं पर उन्हें जासूसी से जुड़ी जिम्मेदारियां दी जाती थीं। जिन यूटूबर्स ने सहयोग किया, उनके लिए वीजा, शूटिंग की व्यवस्था और पाकिस्तान हाई कमीशन में मेहमानों जैसी सुविधाएं भी दी गईं।
पंजाब के रूपनगर से पकड़े गए यूटूबर जसबीर सिंह की गिरफ्तारी के बाद इस नेटवर्क की परतें खुलनी शुरू हुईं। सिंह के संपर्कों में नासिर का नाम भी सामने आया है। इसके अलावा, हरियाणा की यूटूबर ज्योति मल्होत्रा को भी 17 मई को गिरफ्तार किया गया। मल्होत्रा ‘ट्रैवल विद जो’ नाम का यूट्यूब चैनल चलाती है।
रिपोर्ट्स के मुताबिक, मल्होत्रा ने पिछले तीन वर्षों में पाकिस्तान की तीन यात्राएं कीं और इंडोनेशिया के बाली में भी एक पाकिस्तानी खुफिया अधिकारी के साथ देखी गई। वह पाकिस्तान हाई कमीशन से निष्कासित किए जा चुके एहसान-उर-रहीम उर्फ दानिश और एक अन्य एजेंट जट्ट रंधावा के संपर्क में थी।
पिछले एक महीने में देश के विभिन्न हिस्सों से कई लोगों को पाकिस्तान के लिए जासूसी करने के आरोप में गिरफ्तार किया गया है। खास बात यह है कि यह पूरा नेटवर्क यूटूब जैसे डिजिटल माध्यमों का इस्तेमाल कर रहा था और खुद को ट्रैवल व्लॉगर या इन्फ्लुएंसर बताकर जानकारी एकत्र करता था।
गृह मंत्रालय और खुफिया एजेंसियां अब इस पूरे नेटवर्क की जड़ तक पहुंचने में जुटी हैं। विशेषज्ञों का मानना है कि डिजिटल प्लेटफॉर्म्स के जरिए फैलाया जा रहा यह प्रकार का “सॉफ्ट स्पाइइंग” भारत की राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए एक गंभीर चुनौती बन चुका है।
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