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Wednesday, December 10, 2025
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मुर्शिदाबाद हिंसा: कलकत्ता हाईकोर्ट की जांच में बड़ा खुलासा, टीएमसी से जुड़े तार!

स्थानीय पुलिस पूरी तरह निष्क्रिय रही, जबकि हिंसा स्थानीय थाने से महज 300 मीटर की दूरी पर हो रही थी।

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पश्चिम बंगाल के मुर्शिदाबाद जिले में वक्फ संशोधन विधेयक के पारित होने के बाद भड़काई गई सांप्रदायिक हिंसा को लेकर कलकत्ता उच्च न्यायालय द्वारा गठित तथ्य-खोजी समिति ने एक चौंकाने वाली रिपोर्ट पेश की है। रिपोर्ट में कहा गया है कि हिंसा सुनियोजित थी और इसमें राजनीतिक हस्तक्षेप तथा प्रशासनिक निष्क्रियता की अहम भूमिका रही। सबसे गंभीर आरोप तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) के स्थानीय पार्षद महबूब आलम पर लगे हैं, जिसने हिंसक भीड़ का नेतृत्व करने की बात सामने आयी है।

रिपोर्ट के अनुसार, वक्फ संशोधन विधेयक पारित होते ही मुर्शिदाबाद के बेतबोना, समसेरगंज, हिजाल्टाला और शिउलिताला इलाकों में हिंसा फैल गई। इस हिंसा में विशेष रूप से हिंदू समुदाय के घरों, दुकानों और पूजा स्थलों को निशाना बनाया गया। बेतबोना गांव में 113 घर पूरी तरह से क्षतिग्रस्त हो गए, जिनमें से अधिकांश अब रहने लायक नहीं बचे हैं।

रिपोर्ट में कहा गया है कि महबूब आलम और अमीरुल इस्लाम नामक एक अन्य व्यक्ति ने भीड़ का नेतृत्व किया और उसे उन संपत्तियों की ओर निर्देशित किया जो अभी तक बर्बाद नहीं हुई थीं। स्थानीय पुलिस पूरी तरह निष्क्रिय रही, जबकि हिंसा स्थानीय थाने से महज 300 मीटर की दूरी पर हो रही थी। लोगों की मदद की पुकारों का कोई जवाब नहीं मिला। यह भी बताया गया कि एक विधायक (MLA) घटनास्थल पर मौजूद था, लेकिन उसने भी किसी प्रकार का हस्तक्षेप नहीं किया।

व्यापक जान-माल का नुकसान

  • बेतबोना: 113 घरों को जलाया गया, पानी की आपूर्ति जानबूझकर काटी गई ताकि लोग आग न बुझा सकें।

  • घोषपाड़ा: 29 दुकानों को लूटा गया और जलाया गया।

  • अन्य नुकसान: एक मॉल स्टाइल शॉपिंग कॉम्प्लेक्स लूटा गया, कई मंदिरों और व्यावसायिक प्रतिष्ठानों को भी नुकसान पहुंचा।

रिपोर्ट के अनुसार, 12 अप्रैल को एक हिंदू पिता-पुत्र को घर से घसीटकर मुस्लिम भीड़ ने उनकी हत्या कर दी, इसके बाद हिंसा को और भड़काया गया। महिलाएं और अन्य पीड़ित अभी तक अपने रिश्तेदारों के यहां शरण लिए हुए हैं। समिति ने अपनी रिपोर्ट में यह निष्कर्ष निकाला है कि यह हिंसा पूर्णतः सांप्रदायिक और संगठित थी, जिसमें राजनीतिक संरक्षण और प्रशासनिक चुप्पी ने मिलकर हालात को और गंभीर बना दिया।

इस रिपोर्ट के सामने आने के बाद राज्य में राजनीतिक बहस तेज होने की संभावना है। रिपोर्ट उच्च न्यायालय की खंडपीठ के समक्ष प्रस्तुत की गई है, जो इस पर आगे विचार कर सकती है। संभावना है कि कोर्ट राज्य सरकार को नामजद लोगों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई करने का निर्देश दे।

रिपोर्ट से राज्य शासन की कार्यशैली, कानून व्यवस्था की स्थिति और सांप्रदायिक तनावों से निपटने की क्षमता पर गहरे सवाल खड़े हो गए हैं। अब देखना होगा कि कोर्ट और सरकार इस संवेदनशील मुद्दे पर क्या कदम उठाते हैं।

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