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Sunday, June 15, 2025
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प्रोफेसर अली खान की गिरफ्तारी को सुप्रीम कोर्ट में दी गई चुनौती, आज होगी सुनवाई

सुनवाई जस्टिस सूर्यकांत और जस्टिस एन. कोटिश्वर सिंह की पीठ करेगी।

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सुप्रीम कोर्ट बुधवार (21 मई)को अशोका यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर अली खान महमूदाबाद की गिरफ्तारी को चुनौती देने वाली याचिका पर सुनवाई करेगा। यह मामला ‘ऑपरेशन सिंदूर’ पर सोशल मीडिया पोस्ट से जुड़ा है, जिसमें प्रोफेसर खान ने आलोचनात्मक टिप्पणी की थी। हरियाणा पुलिस ने उन्हें पिछले सप्ताह इस पोस्ट के आधार पर गिरफ्तार किया था।

इस मामले की सुनवाई जस्टिस सूर्यकांत और जस्टिस एन. कोटिश्वर सिंह की पीठ करेगी। प्रोफेसर अली खान की ओर से दायर की गई आपराधिक रिट याचिका में गिरफ्तारी को “असंवैधानिक, अनावश्यक और दमनकारी” बताया गया है। उन्होंने अपनी तत्काल रिहाई और लगाए गए आरोपों को रद्द करने की मांग की है।

प्रोफेसर खान की कानूनी टीम का कहना है कि यह गिरफ्तारी भारत के संविधान द्वारा प्रदत्त अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के अधिकार का सीधा उल्लंघन है। वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल और वकील लजफीर अहमद उनकी पैरवी कर रहे हैं। उन्होंने 19 मई को भारत के मुख्य न्यायाधीश बी.आर. गवई के समक्ष मामले की तत्काल सुनवाई की मांग की थी।

मंगलवार को सोनीपत की एक अदालत ने उन्हें 14 दिन की न्यायिक हिरासत में भेज दिया। पुलिस की सात दिन की रिमांड बढ़ाने की मांग को अदालत ने खारिज कर दिया। वकीलों का कहना है कि उन पर लगाए गए सभी आरोप निराधार हैं, और केवल एक राय प्रकट करने पर इतनी कठोर कार्रवाई करना लोकतांत्रिक मूल्यों के विपरीत है।

हरियाणा पुलिस ने प्रोफेसर के खिलाफ भारतीय न्याय संहिता (बीएनएस) की धाराओं में मामला दर्ज किया है, जिनमें समूहों के बीच दुश्मनी फैलाने और राष्ट्रीय अखंडता को खतरे में डालने जैसे आरोप शामिल हैं। पुलिस के अनुसार, यह कार्रवाई हरियाणा राज्य महिला आयोग की अध्यक्ष रेणु भाटिया और भाजपा युवा मोर्चा के महासचिव योगेश जठेडी द्वारा दर्ज कराई गई दो एफआईआर के आधार पर की गई है।

प्रोफेसर अली खान की गिरफ्तारी ने देशभर में बहस छेड़ दी है। नागरिक स्वतंत्रता संगठनों, शिक्षाविदों और छात्रों ने इस पर गहरी चिंता जताई है। उनका कहना है कि लोकतंत्र में असहमति और आलोचना की जगह होनी चाहिए, न कि उन्हें दंडित किया जाए।

अब सबकी निगाहें सुप्रीम कोर्ट की आज की सुनवाई पर टिकी हैं, जहां यह तय होगा कि सोशल मीडिया पर एक टिप्पणी की कीमत जेल होगी या विचार की आज़ादी की रक्षा की जाएगी।

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