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Tuesday, May 20, 2025
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नक्सलवादी हुए एक्टिव, माइनिंग सर्वे कंपनी की साइट पर नक्सलियों का हमला!

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राज्य के नक्सल प्रभावित लातेहार जिले में नक्सलियों ने एक बार फिर सुरक्षा व्यवस्था और विकास कार्यों को खुली चुनौती दी है। चंदवा थाना क्षेत्र के सुदूरवर्ती जंगलों में स्थित सीएमपीडीआई (सेंट्रल माइन प्लानिंग एंड डिजाइन इंस्टीट्यूट) की साइट पर शनिवार देर रात हथियारों से लैस नक्सलियों के एक दस्ते ने धावा बोलकर दो ड्रिलिंग मशीन समेत कुल आठ वाहनों को आग के हवाले कर दिया।

घटना की सूचना मिलते ही रविवार(4 मई) सुबह पुलिस टीम मौके के लिए रवाना हुई और इलाके में सघन छापेमारी अभियान शुरू कर दिया गया है। माना जा रहा है कि इस हमले के पीछे भाकपा (माओवादी) या टीएसपीसी जैसे सक्रिय उग्रवादी संगठनों का हाथ हो सकता है।

जानकारी के मुताबिक, सीएमपीडीआई की ओर से चकला पंचायत के तोरीसात गांव में भूमिगत कोयला भंडार के सर्वे के लिए साइट चिन्हित की गई थी, जहां प्रारंभिक ड्रिलिंग और खनन का कार्य जारी था। इस साइट पर तकनीकी विशेषज्ञों के साथ कई श्रमिक भी तैनात थे। शनिवार (3 मई)रात लगभग एक घंटे तक नक्सली फायरिंग करते हुए उत्पात मचाते रहे और दो ड्रिलिंग मशीन, दो कार, दो पिकअप और दो ट्रकों में आग लगा दी, जिससे सभी वाहन जलकर खाक हो गए।

इस घटना ने एक बार फिर स्पष्ट कर दिया है कि विकास परियोजनाओं को नक्सली अपने लिए खतरा मानते हैं और इन्हें बाधित करने के लिए हिंसा का सहारा लेते हैं। नक्सलियों का यह हमला राज्य में औद्योगिक निवेश और बुनियादी ढांचे के विस्तार के प्रयासों पर भी सीधा प्रहार है।

लातेहार एसपी कुमार गौरव के निर्देश पर बालूमाथ डीएसपी विनोद रवानी के नेतृत्व में पुलिस बल घटनास्थल पर पहुंच चुका है। इसके साथ ही पूरे इलाके में सुरक्षा बढ़ा दी गई है और संभावित ठिकानों पर कंबिंग ऑपरेशन जारी है।

यह घटना तब हुई है जब कुछ दिन पहले ही लातेहार के महुआडांड़ थाना क्षेत्र के ओरसापाठ गांव में नक्सलियों ने सड़क निर्माण स्थल पर हमला किया था। वहां दो वाहनों को जला देने के साथ मुंशी अयूब खान की हत्या कर दी गई थी। लगातार हो रही इस तरह की घटनाएं झारखंड में नक्सली नेटवर्क की सक्रियता और सुरक्षा चुनौतियों को रेखांकित करती हैं।

झारखंड सरकार और सुरक्षा एजेंसियों के लिए यह हमला एक सख्त चेतावनी है कि नक्सल विरोधी अभियान को केवल आंकड़ों की लड़ाई के बजाय जमीनी सख्ती और रणनीतिक सोच के साथ लड़ने की जरूरत है। वहीं, औद्योगिक संस्थानों और कामगारों की सुरक्षा को लेकर भी नए सिरे से रणनीति बनाना अब समय की मांग है।

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