जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए भीषण आतंकी हमले के बाद भारत और पाकिस्तान के बीच कूटनीतिक टकराव तीव्र होता जा रहा है। इसी बीच विदेश मंत्री एस. जयशंकर और रूसी विदेश मंत्री सर्गेई लावरोव के बीच एक महत्वपूर्ण टेलीफोन बातचीत हुई, जिसमें द्विपक्षीय सहयोग के साथ-साथ आतंकी हमले की जिम्मेदारी तय करने और सख्त कार्रवाई पर चर्चा की गई।
जयशंकर ने शनिवार को सोशल मीडिया मंच एक्स पर जानकारी साझा करते हुए लिखा, “कल रूस के विदेश मंत्री लावरोव के साथ पहलगाम आतंकवादी हमले पर चर्चा की। इसके अपराधियों, समर्थकों और योजना बनाने वालों को न्याय के कटघरे में लाया जाना चाहिए। साथ ही हमारे द्विपक्षीय सहयोग गतिविधियों के बारे में भी बात की।”
रूसी विदेश मंत्रालय की ओर से जारी बयान में बताया गया कि दोनों देशों के मंत्री शीर्ष स्तर की आगामी बैठकों और संपर्कों के कार्यक्रम पर भी विचार-विमर्श कर रहे हैं। इसके अतिरिक्त, रूस ने एक बार फिर भारत और पाकिस्तान से शिमला समझौता (1972) और लाहौर घोषणापत्र (1999) के तहत राजनीतिक व कूटनीतिक माध्यमों से विवाद सुलझाने का आह्वान किया है।
गौरतलब है कि 22 अप्रैल को पहलगाम में आतंकियों ने निर्दोष पर्यटकों को निशाना बनाया था, जो वहां की प्राकृतिक सुंदरता का आनंद लेने पहुंचे थे। यह हमला 2019 के पुलवामा हमले के बाद सबसे घातक आतंकी वारदात मानी जा रही है। इसकी शुरुआती जिम्मेदारी पाकिस्तान स्थित आतंकी संगठन लश्कर-ए-तैयबा के फ्रंट द रेसिस्टेंस फ्रंट (टीआरएफ) ने ली थी, लेकिन बाद में संगठन ने इससे पल्ला झाड़ लिया।
इस आतंकी हमले के बाद केंद्र सरकार ने कड़ा रुख अपनाया है। भारत ने अटारी एकीकृत चेक पोस्ट (आईसीपी) को बंद करने, सार्क वीज़ा छूट योजना (एसवीईएस) को निलंबित करने, और पाकिस्तानी नागरिकों को 40 घंटे में देश छोड़ने का आदेश देने जैसे कई कूटनीतिक कदम उठाए हैं। इसके साथ ही, पाकिस्तानी नागरिकों को दिए गए सभी वीज़ा रद्द कर दिए गए हैं और उन्हें 30 अप्रैल तक भारत छोड़ने का निर्देश दिया गया है।
भारत ने पाकिस्तान इंटरनेशनल एयरलाइंस (PIA) की उड़ानों के लिए भारतीय हवाई क्षेत्र बंद कर दिया है। जवाबी कार्रवाई में पाकिस्तान ने भारत के साथ सभी प्रकार के व्यापार को निलंबित करने और भारतीय एयरलाइनों को अपने वायुक्षेत्र से गुजरने की अनुमति रद्द करने की घोषणा की।
इस उथल-पुथल के बीच 29 अप्रैल को हुई एक महत्वपूर्ण सुरक्षा बैठक में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने स्पष्ट कर दिया कि सशस्त्र बलों को पूरी ऑपरेशनल स्वतंत्रता दी गई है और भारत की प्रतिक्रिया का तरीका, समय और स्थान वह स्वयं तय करेंगे।
भारत की कूटनीतिक और रणनीतिक प्रतिक्रियाओं के बीच रूस का यह संतुलित हस्तक्षेप वैश्विक स्तर पर शांति की पहल के रूप में देखा जा रहा है। हालांकि, भारत के आक्रामक तेवर यह संकेत दे रहे हैं कि आतंक के खिलाफ उसकी नीति अब और अधिक निर्णायक होती जा रही है।
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