जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में 22 अप्रैल को हुए भीषण आतंकी हमले के दो महीने बाद राष्ट्रीय जांच एजेंसी (NIA) को बड़ी सफलता हाथ लगी है। एनआईए ने रविवार (22 जून) को दो स्थानीय व्यक्तियों को गिरफ्तार किया है, जिन्होंने हमलावर आतंकियों को शरण और सहायता दी थी। इनकी पहचान परवेज़ अहमद जोथर (बाटकोट, पहलगाम) और बशीर अहमद जोथर (हिल पार्क, पहलगाम) के रूप में हुई है।
एनआईए ने बताया कि पूछताछ के दौरान इन दोनों आरोपियों ने हमले में शामिल तीन पाकिस्तानी आतंकवादियों की पहचान उजागर की है, जो लश्कर-ए-तैयबा (LeT) से जुड़े थे। यह हमला भारत में पिछले वर्षों में हुए सबसे क्रूर आतंकी हमलें के रूप में जाना जा रहा है, जिसमें 25 हिंदू पर्यटकों की पहचान कर उनका नरसंहार किया गया साथ ही एक स्थानीय निवासी की हत्या की गई थी, जबकि 16 अन्य गंभीर रूप से घायल हुए थे।
जांच एजेंसी के अनुसार, परवेज़ और बशीर ने हमले से पहले इन तीन आतंकियों को हिल पार्क क्षेत्र के एक मौसमी ढोक (झोपड़ी) में छुपाया था। इन दोनों ने आतंकियों को भोजन, ठिकाना और लॉजिस्टिक सहायता भी प्रदान की थी। एनआईए के बयान में कहा गया, “दोनों ने आतंकियों को आश्रय दिया, जिन्होंने उस दिन दोपहर को पर्यटकों की धार्मिक पहचान पूछकर निशाना बनाया और उन्हें बेहद नजदीक से गोली मारी। यह आतंक का एक घिनौना चेहरा था।”
एनआईए ने इन दोनों आरोपियों को गैरकानूनी गतिविधियाँ (रोकथाम) अधिनियम, 1967 की धारा 19 के तहत गिरफ्तार किया है। गौरतलब है कि 22 अप्रैल को पहलगाम के बैसरान वैली में चार शस्त्रधारी आतंकवादी घुस आए थे और उन्होंने हिंदू पर्यटकों को उनकी धार्मिक पहचान पूछकर गोली मार दी थी। इस हमले के बाद भारत ने पाकिस्तान और पाकिस्तान-अधिकृत कश्मीर (PoK) में स्थित आतंकी लॉन्चपैड्स पर सटीक एयरस्ट्राइक्स की थीं, जिससे दोनों देशों के बीच तनाव और बढ़ गया था।
एनआईए की इस कार्रवाई को एक बड़ी कामयाबी के रूप में देखा जा रहा है, क्योंकि इससे न केवल हमलावर आतंकियों की पहचान हुई है बल्कि स्थानीय सहयोगियों के नेटवर्क पर भी कड़ा प्रहार किया गया है। जांच एजेंसी अब अन्य संभावित सहयोगियों और आतंकी मॉड्यूल की तलाश में है।
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