27 C
Mumbai
Tuesday, November 12, 2024
होमब्लॉगमुस्लिमों का हमदर्द कौन?

मुस्लिमों का हमदर्द कौन?

सपा मुखिया ने सीक्रेट बैठक कर मुस्लिम समुदाय को साधा. कांग्रेस भी बीजेपी का विरोध कर  मुस्लिमों को अपने पाले में लाने की कोशिश कर रही है।

Google News Follow

Related

लोकसभा चुनाव नजदीक आते ही मुसलमानों का हमदर्द बनने की होड़ शुरू हो गई। बताया जा रहा है कि उत्तर प्रदेश में मुस्लिम समुदाय की नब्ज टटोलने के लिए सपा ने एक सीक्रेट बैठक की। जिसमें मुस्लिम समुदाय के बुद्धजीवी और रिटायर्ड अधिकारी शामिल हुए थे। यह बैठक सपा मुखिया अखिलेश यादव के नेतृत्व में आयोजित की गई थी। सबसे बड़ी बात यह है कि अखिलेश यादव ने इस बैठक को ऐसे अरेंज किया था कि उनके सुरक्षाकर्मियों को भी इसकी जानकारी नहीं थी।

दरअसल, सपा प्रमुख की यह बैठक लखनऊ में जनेश्वर मिश्र ट्रस्ट में आयोजित की गई थी। यह ट्रस्ट लखनऊ में सपा कार्यालय के पीछे है। जहां अखिलेश यादव मुस्लिम समाज के दिल को टटोला। उन्होंने मुस्लिम समुदाय के द्वारा उठाये गए मुद्दों पर सफाई दी, तो  उन्होंने लुभाने का भी काम किया। गौरतलब है कि यूपी में एक बार फिर कांग्रेस मुस्लिमों को अपने पाले में लाने के लिए एक नैरेटिव बना रही है। जिसमें यह कहा जा रहा है कि मुस्लिम समुदाय राहुल गांधी पर भरोसा जता रहा है। बताया जा रहा है कि कांग्रेस पार्टी यूपी में यह बात फैला रही है कि मुस्लिम समुदाय की पहली पसंद कांग्रेस है।

बता दें कि कांग्रेस ने उत्तर प्रदेश में बड़ा फेरबदल कर अजय राय को प्रदेशाध्यक्ष नियुक्त किया है। जिसके साथ कांग्रेस ने राज्य में पार्टी के पक्ष में माहौल बनाने की कोशिश में है। जिससे सपा मुखिया के चेहरे पर बल आ गया है। अखिलेश यादव मुस्लिमों का वोट छिटकने से डरे हुए हैं। यही वजह है कि सपा मुखिया अखिलेश यादव मुस्लिमों का हमदर्द बनने के लिए जतन कर रहे हैं। बीजेपी भी पसमांदा मुस्लिमों को लुभाने में जुटी हुई है। ऐसे में यह सवाल उठने लगा है कि आखिर मुस्लिमों का हमदर्द कौन बनेगा। क्या अखिलेश यादव, मुलायम सिंह यादव की जगह ले  पायेंगे ? क्या मुस्लिम सनुदाय सपा या कांग्रेस पर अपना भरोसा जता पाएंगे। यह बड़ा सवाल है. क्योंकि अभी कुछ दिन पहले ही कांग्रेस नेता अजीज कुरैशी ने मुस्लिमों को लेकर पार्टी पर सवाल खड़ा करते हुए पूछा कि क्या मुसलमान आपका गुलाम है ? वह कांग्रेस को वोट क्यों दें ?

मुस्लिमों का हमदर्द बनने के चक्कर में देशहित को ताख पर रख दिया जाता है। ऐसा एक बार नहीं, बार बार किया जाता रहा है। एक दिन पहले ही कारगिल में एक मुस्लिम युवक द्वारा पूछे गए सवाल पर राहुल गांधी बड़ी बेबाकी से कहते हैं कि इस देश मुस्लिमों पर अत्याचार हो रहा है। जिस युवक ने मुस्लिमों से जुड़ा सवाल पूछा था। उसका कहना था कि छोटी छोटी घटनाओं में मुस्लिम समुदाय के युवकों को जेल में डाल दिया जा रहा है। जिस पर राहुल गांधी लंबा चौड़ा भाषणबाजी करते हैं। अब सवाल यह की अपराध छोटा बड़ा नहीं होता। वह कानून के हिसाब से अपराध ही कहा जाएगा। छोटा बड़ा कानून तय करता है।

इतना ही नहीं, वही युवक राहुल से पूछता है कि जब आप सत्ता में आएंगे तो क्या इन युवकों को छोड़ेंगे तो राहुल गांधी अदालत और कानून का हवाला देकर बचने की कोशिश करते हैं।  राहुल यह कहते हैं कि मुस्लिमों पर अत्याचार हो रहा है, लेकिन वे इसकी वजह नहीं बताते हैं, हरियाणा के नूंह में पिछले दिनों हुई घटना पर राहुल या अन्य लोग मुस्लिम समुदाय की आलोचना नहीं की,  बल्कि बीजेपी को इसके लिए दोषी ठहराया गया। इसी राजनीति की वजह से ही देश में जाति धर्म के नाम पर खाई बनी।

राहुल गांधी, मुस्लिम युवक को सीधा जवाब देने के बजाय राजनीति की। राहुल गांधी यह कह सकते थे कि अगर मुस्लिम समुदाय का युवक बेकसूर होगा तो कानून उसे जरूर रिहा करेगी।  लेकिन नहीं, राहुल गांधी ने वोट के लिए मुस्लिम तुष्टिकरण करना अपना जन्म सिद्ध अधिकार समझते हैं। वोट के लिए राहुल गांधी, मुस्लिमों में बीजेपी के खिलाफ नफरत भर रहे हैं और कहते हैं की कांग्रेस मोहब्बत की दुकान खोली है। राहुल गांधी सार्वजनिक मंचों से नफ़रत फैला रहे हैं। यह हमदर्दी ही देश को गर्त में ले जा रहा है।

यूपी में ही मुजफ्फर नगर में एक प्राइवेट स्कूल में मुस्लिम बच्चे की पिटाई को सियासी रंग चढ़ा दिया गया है। जबकि बच्चे के पिता का कहना है कि टीचर ने मेरे बच्चे को मुस्लिम होने की वजह से नहीं पिटवाया। जबकि, राहुल गांधी इस पिटाई को सांप्रदायिक एंगल देकर राजनीति की रोटी सेंकनी शुरू कर दी है। राहुल ने इसे बीजेपी का केरोसिन बताया है। जबकि बच्चे के पिता ने कहा कि मैंने खुद टीचर को बच्चे पर सख्ती करने के लिए कहा था। इसे हिन्दू मुस्लिम के चश्मे से न देखा जाए। हालांकि, बच्चे के पिता ने टीचर के खिलाफ केस दर्ज कराया है।

अब सवाल यह है कि मजहबी राजनीति में किसका रंग ज्यादा चटख होता है। इसके लिए होड़ लगी है। सपा हिन्दुओं को भी साध रही है, तो मुस्लिमों को भी चारा फेंक रही। राहुल गांधी के नेता रामभक्त हनुमान बन रहे हैं, अजय राय के पद ग्रहण के मौके पर ” हर हर महादेव के नारे भी लग रहे हैं। कांग्रेस कर्नाटक, मध्य प्रदेश, राजस्थान और छत्तीसगढ़ सॉफ्ट हिंदुत्व के राह पर भी है। छिटके मुस्लिमों को फिर साथ लाने की कवायद शुरू हो गई है। ऐसे में क्या सपा और कांग्रेस अपने मनसूबे में कामयाब होंगे। यह अभी देखना होगा।

 
ये भी पढ़ें 

 

​​एक ‘M’ एकला चलो’ तो दूसरा ‘M’ ‘माँ, माटी और मानुष​’ पर चलेंगी दांव

क्या मुसलमानों का कांग्रेस से भंग हुआ मोह?      

लेखक से अधिक

कोई जवाब दें

कृपया अपनी टिप्पणी दर्ज करें!
कृपया अपना नाम यहाँ दर्ज करें

The reCAPTCHA verification period has expired. Please reload the page.

हमें फॉलो करें

98,318फैंसलाइक करें
526फॉलोवरफॉलो करें
190,000सब्सक्राइबर्ससब्सक्राइब करें

अन्य लेटेस्ट खबरें