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Sunday, November 24, 2024
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सच साबित हुआ कुमार का आरोप ?

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पंजाब में एक बार फिर खालिस्तानी समर्थक सिर उठा रहे हैं। गुरुवार को अमृतसर के अजनाला थाने पर हुए हमले से भगवंत मान सरकार की पोल पट्टी खुलकर सामने आ गई है। इस दुस्साहस पर सवाल खड़ा किया जा रहा है कि आखिर प्रशासन को बंधक बनाकर कैसे एक खालिस्तानी समर्थक थाने पर हमला किया। क्या सरकार सोई हुई थी। मान सरकार के क्रियाकलापों पर भी सवाल उठने लगे है। कहा जा रहा कि क्या फिर पंजाब को आग में झोंकने की तैयारी हो रही है। क्या इस घटना में सरकार का समर्थन है।

वैसे भी पंजाब विधानसभा चुनाव के समय आम आदमी पार्टी के मुखिया अरविंद केजरीवाल पर खालिस्तानियों का समर्थन लेने का आरोप लगा था। वहीं, अभिनेत्री कंगना राणावत भी गुरुवार को हुई घटना पर हमला बोला है। उन्होंने दावा किया है कि किसान आंदोलन के समय मैंने जो कहा था। वह बात अब सही साबित हो रही है। वैसे जान लेते है कि असली मामला क्या है ?

दरअसल, गुरुवार को खालिस्तानी समर्थक अमृतपाल सिंह ने अपने हजारों समर्थकों के साथ अमृतसर के अजनाला थाने में घुसकर जमकर उपद्रव मचाया। इस दौरान उपद्रवियों के हाथ में  तलवार, बंदूक और अन्य हथियार थे। ये उपद्रवी अमृतपाल सिंह के करीबी लवप्रीत सिंह तूफ़ान की गिरफ्तारी का विरोध कर रहे थे। उपद्रवी तूफ़ान को जल्द रिहा करने की मांग करते हुए खूब बवाल काटा। इस घटना में कई पुलिस कर्मी भी घायल हो गए. उपद्रवियों ने काफी समय तक थाने को बंधक बनाये रखा।

जबकि इससे पहले ही बुधवार को अमृतपाल ने अपने समर्थकों के साथ थाने के बाहर प्रदर्शन करने की चेतावनी दी थी। बावजूद इसके प्रशासन इस ओर से उदासीन बना रहा है। बताया जा रहा है कि इस मामले में अमृतपाल ने पांच बार प्रशासन को चेतावनी दी थी। वहीं, घटना के समय अमृतपाल ने गुरु ग्रंथ साहिब की पालिका लेकर पहुंचा था। यानी आस्था के आड़ में एक आरोपी को रिहा करने की साजिश रची गई थी। बता दें कि लवप्रीत पर अपहरण और मारपीट का आरोप था।जिसके बाद पुलिस ने उसे गिरफ्तार कर अजनाला में रखा था।

अब बढ़ते दबाव के बाद पुलिस ने लवप्रीत को छोड़ने के लिए तैयार हो गई है। ऐसे में सवाल  उठाता है कि क्या कुमार विश्वास द्वारा केजरीवाल पर लगाया गया आरोप सही साबित हो रहा है। क्या सही में केजरीवाल ने सत्ता के लिए खालिस्तानियों का समर्थन किया है। अब लोग केजरीवाल पर सवाल उठा रहे है। हालांकि  केजरीवाल ने इस आरोप को झूठा बताया था। लेकिन वर्तमान स्थिति को देखते हुए कहा जा सकता है कि पंजाब की स्थिति यह बता रही है कि यहां खालिस्तानी बड़े पैमाने पर सक्रिय है। अगर इस पर ध्यान नहीं दिया गया तो आने वाले समय में कोई बड़ी घटना हो सकती है।

गौरतलब है कि बीते साल कुमार विश्वास ने अरविंद केजरीवाल पर आरोप लगाते हुए कहा था कि अरविंद केजरीवाल सत्ता के लिए खालिस्तानियों के सम्पर्क में हैं। उन्होंने कहा था कि केजरीवाल ने उनसे कहा था कि एक दिन वे पंजाब के मुख्यमंत्री या स्वतंत्र राष्ट्र यानी खालिस्तान के पीएम बनेंगे। इस मामले पर खूब हंगामा मचा था। हालांकि आप पार्टी इसे नकारती रही और पंजाब विधानसभा का चुनाव जीत गई। इसके बाद कई जगहों पर खालिस्तानियों को पकड़ा भी गया था। लेकिन आज जिस तरह से मान सरकार के नाक के नीचे यह घटना हुई उससे कुमार विश्वास का आरोप सही साबित होता दिख रहा है।

बाद में पंजाब में आप की सरकार बनने के बाद गाजियाबाद में पंजाब पुलिस ने कुमार विश्वास को गिरफ्तार करने भी पहुंची थी। दरअसल, पंजाब के रोपड़ में कुमार के खिलाफ केस दर्ज किया गया था। उसके बाद पंजाब पुलिस उन्हें गिरफ्तार की थी। हालांकि, इस मामले में कुमार को कोर्ट ने अंतरिम जमानत दे थी। तो क्या केजरीवाल देशप्रेम की आड़ में पंजाब को आग में झोंक रहे हैं। सवाल यह भी कि इस घटना के बाद मान सरकार सक्रिय क्यों नहीं दिखी। क्या मान सरकार को सच में खालिस्तानियों का समर्थन है ?

इसी तरह का आरोप अभिनेत्री कंगना राणावत ने भी लगाया था। जिसके बाद उन्हें पंजाब के एक टोल नाका पर घेर लिया गया था। उस समय अभिनेत्री कंगना राणावत से जबरन माफ़ी मांगने पर मजबूर किया गया था। यह मामला भी कुमार विश्वास की तरह कोर्ट पहुंचा था। दरअसल, दो साल पहले कंगना ने किसान आंदोलन में शामिल महिलाओं के बारे में कहा था कि ये महिलाएं 100-100 रुपये लेकर धरने पर बैठी है। इसके बाद उन्हें हिमाचल जाते समय पुरुषों और महिलाओं ने घेर लिया था। एक बार फिर कंगना राणावत ने अपने बात पर कायम होते हुए कहा कि मैंने दो साल पहले जो भविष्यवाणी की थी अब वह सच साबित हो रही है। उन्होंने कहा कि
अब समय आ गया है कि गैर खालिस्तानी सिखों को अपनी स्थिति को स्पष्ट करना चाहिए।

वैसे बता दें कि अमृतपाल सिंह भी किसान आंदोलन में सक्रिय था। जिस पर पहले भी खालिस्तानियों द्वारा समर्थन किये जाने का आरोप लगता रहा है। दिल्ली बॉर्डर पर आंदोलन कर रहे किसानों द्वारा खालिस्तानी झंडे भी लहराए गए थे। इतना ही नहीं, इस दौरान खालिस्तान की मांग करने वाला जनरैल सिंह भिंडरावाले की भी किसानों ने फोटो लहराई थी। साथ कई बार खालिस्तान के समर्थन में नारे भी लगाए गए थे। ऐसे में यह बात पुख्ता हो गई है कि पंजाब में  खालिस्तानी समर्थक सिर उठा रहे हैं,लेकिन राज्य सरकार इस ओर से अनजान बनने का नाटक कर रही है।

ऐसे में एक सवाल यह भी उठता है कि आखिर अमृत पाल है कौन जो पंजाब के युवाओं में जहर घोल रहा है। लेकिन सरकार इस पर कड़ी कार्रवाई करने के बजाय उसे छूट दे रही है। तो  अमृतपाल अमृतसर का रहने वाला है। वह गांव में ही बारहवीं तक की पढ़ाई किया है। वह हाल ही में पंजाब लौटा है। इससे पहले वह दुबई में रह रहा था। वहां ट्रांसपोर्ट का काम कर रहा था।

बताया जाता है कि यहां आने के बाद अमृतपाल ने वारिस पंजाब दे संगठन को सक्रिय किया। जो पंजाबी एक्टर दीप सिद्धू ने खड़ा किया था। बात दें कि दीप सिद्धू ने किसान आंदोलन के दौरान लाल किले पर 26 जनवरी 2021 को निशान साहिब का झंडा फहराया था। इस मामले में दीप सिद्धू को गिरफ्तार भी किया गया था। दीप सिद्धू की एक कार हादसे में मौत हो गई थी।

अमृतपाल सिंह के बारे में यह भी कहा जा रहा है कि वह खालिस्तानी समर्थक जरनैल भिंडरावाले का समर्थक है और उसी की तरह पगड़ी बांधता है। इसके आलावा उसके आसपास कई हथियारबंद समर्थक भी रहते हैं। तो ऐसे में यह सवाल है कि क्या अजनाला की घटना से से राज्य सरकार सबक लेगी। क्या देश विरोधी गतिविधियां चलाने वाले लोगों पर कार्रवाई की जायेगी।

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