कांग्रेस और ममता बनर्जी की पार्टी टीएमसी अपनी ‘काली करतूतों’ का खुद खुलासा कर रही हैं। भला हो उस जनता का जिसने ‘सफ़ेदपोश’ में छिपे ‘जहर की पुड़िया’ के इरादे को नहीं भांप पाई और एक तांडव होने से बच गया। कांग्रेस नेता राहुल गांधी को टीएमसी ने पार्ट टाइम पालिटीशियन बताकर खुद को किसानों का परोपकार बताई है। लेकिन इसके पीछे की मंशा कितनी खतरनाक है यह जनता को जाना जरूरी है। टीएमसी नेता आंदोलन में मारे गए लोगों के परिवार से सोमवार को मिलने गए, लेकिन जब उन्हें पुलिस ने रोककर पूछताछ की तो टीएमसी नेताओं ने झूठा पता बताकर पीड़ितों के घर पहुँच गए।
राजनीति दलों ने लखीमपुर को बनाया अखाड़ा: अब बात करते हैं सिलसिलेवार, दरअसल टीएमसी ने राहुल गांधी पर तंज कसा है। जब राहुल गांधी को लखीमपुर जाने की इजाजत नहीं मिली तो उन्होंने एक प्रेस कॉन्फ्रेंस बुलाई और कहा कि जिस तरह टीएमसी नेताओं को लखीमपुर जाने दिया गया उसी तरह कांग्रेस नेताओं को भी जाने दिया जाय। अब यह साफ हो गया है कि बुधवार को जो राहुल गांधी ने जो ड्रामा किया, सब एक स्क्रिप्ट है। राहुल गांधी ने कांग्रेस के हाथ से लखीमपुर मुद्दा फिसलता देख आनफान में बुधवार सुबह लखीमपुर जाने की योजना बना डाली। राजनीति चमकाने का मौका कैसे हाथ से जाने देते?
टीएमसी नेताओं को लगी मिर्ची: जब कॉन्फ्रेंस में राहुल गांधी ने टीएमसी की बात की तो टीएमसी नेताओं को मिर्ची लग गई और टीएमसी के महासचिव और प्रवक्ता कुणाल घोष ने ट्वीट कर कहा, ‘राहुल गांधी को लोगों को तथ्यों को तोड़-मरोड़ कर लोगों को गुमराह नहीं करना चाहिए। टीएमसी किसी भी पार्ट टाइम पॉलिटिशयन की तरफ से गैर-राजनीतिक कमेंट को स्वीकार नहीं करेगी जो बीजेपी का सामना करने में नाकाम रही। हम कांग्रेस का सम्मान करते हैं। हम गैर भाजपाई एकता के समर्थन में हैं। हम सड़क पर हैं सिर्फ ट्विटर में नहीं।’ उन्होंने कहा कि राहुल गांधी को यह समझना चाहिए कि ऑल इंडिया तृणमूल कांग्रेस के सांसद अब लंबी लड़ाई के बाद लखीमपुर खीरी में हैं। यह रही टीएमसी की बात। उसने अपने को किस तरह किसानों का हमदर्द बनाने का ढोंग किया और अब देशभर में राजनीति करने उतरेंगे जब उनके चेहरे कालिख से पुता है।
साजिश की बू , फ़ैल सकती थी दोबारा हिंसा: बता दें कि टीएमसी सांसद ककाली घोष दस्तीदार उन नेताओं में शामिल हैं जिन्होंने लखीमपुर खीरी का दौरा किया था। उन्होंने पत्रकारों से कहा कि टीम लखीमपुर खीरी इसलिए पहुंच सकी, क्योंकि सोमवार को जब सदस्य लखनऊ पहुंचे तब उन्होंने उस पर ध्यान नहीं दिया। टीएमसी सांसद ने कहा, ‘वहां एक भी आदमी हमें रिसीव करने के लिए नहीं था। हम शुरुआत से ही एक आम आदमी की तरह घूम रहे थे। जब हम लखीमपुर जा रहे थे ,तब पुलिस ने हमारी कार को रोका था। मैं स्वीकार करता हूं कि हमने उनसे झूठ बोला कि हम दुधवा नेशनल पार्क जा रहे हैं।’ ‘तो पहचानिए साजिशकर्ताओं’ को जिन्होंने पुलिस को गुमराह किया और पीड़ित परिवार तक पहुंचे। इस बीच कोई अनहोनी होती तो कौन जिम्मेदार होता? कहा जाता राज्य में कानून व्यवस्था नहीं है। सच्चाई दब जाती।
राजनीति कर लें: टीएमसी नेता कुणाल घोष के बयान के बाद बंगाल कांग्रेस के प्रवक्ता सौम्या रॉय ने कहा, ‘देश की जनता इस बात की गवाह है कि किसानों ने कांग्रेस को खड़ा किया और इसके बाद यह भाजपा विरोधी चेहरा बनी। सच्चाई यह है कि टीएमसी नेताओं को आसानी से लखीमपुर खीरी जाने दिया गया। जिससे यह भी पता चलता है कि बीजेपी और टीएमसी अंदर ही अंदर एक साथ हैं। कुछ इस तरह से बीजेपी विपक्षी दल को कमजोर बनाना चाहती है।’यह साफ है कि 2022 विधानसभा चुनाव की तैयारी है। लखीमपुर घटना के बाद सभी राजनीतिक दल इस हिंसा को भुनाने के लिए दौरा कर रहे हैं। यह सिर्फ राजनीति है। यह जनता भी अच्छी तरह जानती है।