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Friday, September 20, 2024
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बढ़ती जनसंख्या,घटती सुविधाएं: जनसंख्या नियंत्रण पर चीन से लें सीख

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भारत में भी बढ़ती जनसंख्या बड़ी मुसीबत का कारण बनते जा रही है। हम बात कर रहे हैं चीन की। चीन में बूढ़ों की बढ़ती संख्या से परेशान चीन को यह एहसास हुआ है कि बच्चे पैदा करने की रफ्तार अगर नहीं बढ़ायी गयी, तो भविष्य की चुनौतियों से निपटने में बहुत मुश्किल होगी,आज पूरे विश्व में जब जनसंख्या नियंत्रण की नीति अपनायी जा रही है, चीन का यह फैसला बहुत अहमियत रखता है, चीन में जनसंख्या नियंत्रण की समस्या पिछले पांच-छह दशकों से सरकार की पहली प्राथमिकता रहती थी, चीन की जनगणना के ताजा आंकड़े के मुताबिक, 2020 में जनसंख्या वृद्धि की दर मात्र 0.5 प्रतिशत रही है और केवल 1.2 करोड़ बच्चे ही पैदा हुए, देश की कुल आबादी 141.2 करोड़ है, जबकि 60 वर्ष से अधिक उम्र के लगभग 26.4 करोड़ लोग हैं, पर श्रमजीवी आबादी (15-59 वर्ष के काम करने वाले लोग) अब 63.3 प्रतिशत ही हैं, जो 2010 से 6.7 प्रतिशत कम है, छह दशकों में सबसे धीमी गति से चीन की आबादी बढ़ने की दर पिछले वर्ष रही, जनसंख्या नियंत्रण की सख्त नीति के प्रतिफल और जनसंख्यिकीय लाभांश पर इसके प्रतिकूल प्रभाव के कारण ही चीन तीन बच्चों की नीति अपनाने पर मजबूर हुआ है।

भारत के लिए चीन की जनगणना के आंकड़ों का विशेष महत्व है, संयुक्त राष्ट्र के मुताबिक, मात्र पांच वर्षों में हम दुनिया की सबसे ज्यादा आबादी के देश बन जायेंगे, हम जनसंख्या नियंत्रण के मोर्चे पर बहुत अधिक सफल नहीं हो पाये हैं और सही मायने में जनसंख्या विस्फोट ही इस देश के सारी समस्याओं का मूल है, खतरनाक गति से बढ़ती जनसंख्या हमारे संसाधन पर दबाव बनाती है और पूरी अर्थव्यवस्था चरमरा जाती है,सभी लोगों, विशेषकर ग्रामीण क्षेत्र के गरीब एवं वंचित लोगों तक मूलभूत सुविधाएं कारगर ढंग से पहुंचाने में सरकार के पसीने छूट जाते हैं,जनसंख्या अनियंत्रित रहने से शिक्षा एवं स्वास्थ्य व्यवस्था पर भी प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है. यह भ्रष्टाचार, अपराध, अराजकता तथा हिंसा का भी कारक बनता है। इसका कुप्रभाव पर्यावरण पर भी पड़ता है। जनसंख्या नियंत्रण की नीति से भारत में भी जनसंख्या वृद्धि में काफी कमी आयी है और लगभग पांच दशकों में वृद्धि दर 2.3 प्रतिशत से घटकर 1.13 प्रतिशत तक आ चुकी है, एक अनुमान के मुताबिक, 2020 में जनसंख्या वृद्धि की दर लगभग 0.97 प्रतिशत रही है, जो सुधार का संकेत है,पर इस मोर्चे पर अभी बहुत कुछ हासिल करना बाकी है।

जनसंख्या नियंत्रित करने के लिए सबसे अधिक जनजागरण की आवश्यकता है, चीन में हुए जनसंख्या नियंत्रण का श्रेय सरकार की नीतियों से अधिक आम नागरिकों के संकल्प को जाता है,आज समय है कि चीन की जनता के संकल्प से सीख लेकर हम भारतवासी जनसंख्या नियंत्रण को सफल बनाने के लिए अपने को आहूत करें, सरकार द्वारा सख्त नीतियां बनाने का सुझाव या विकल्प अव्यवहारिक है, आपातकाल के दौरान जनसंख्या नियंत्रण में सरकारी सख्ती के खिलाफ जनाक्रोश सर्वविदित है, चीन की जनगणना रिपोर्ट से हमारी आंखें खुलनी चाहिए और जनसंख्या नियंत्रण को जन अभियान के रूप में स्वीकार कर देश के सुनहरे भविष्य का मार्ग प्रशस्त करना हर नागरिक का कर्तव्य होना चाहिए। आज हमारे देश की जनसंख्या तेजी से बढ़ रही है,जिसकी वजह से सुविधाएं घटती जा रही हैं। कोई दो बच्चे पैदा कर है तो कोई आठ इस पर हम सबको मिलकर जागरूकता फैलाने की जरूरत है। छोटा परिवार सुखी परिवार।

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