28 C
Mumbai
Tuesday, July 15, 2025
होमब्लॉगगोली मारी ईरान को लगी वामपंथ को ?

गोली मारी ईरान को लगी वामपंथ को ?

इजरायल दोहरे मापदंड वाले वामपंथियों की आँख में चुभ रहा है। 

Google News Follow

Related

अमेरिका और ईरान के बीच परमाणु वार्ताएं लगातार विफल हुई है। अमेरिका ने इस बात पर जोर दिया है की ईरान परमाणु तकनीक को विकसीत करना बंद कर दे, लेकीन ईरान नहीं माना। हमें अंदाजा था कि अमेरिका ईरान पर बड़ी सैन्य कार्रवाई की फ़िराक में है और इसीलिए पाकिस्तान को चने के झाड़ पर चढ़ाकर उसकी मदद से ईरान के खिलाफ बड़ी कारवाई करेगा। 

अमेरिका ने हमला नहीं किया, लेकीन इजरायल ने ईरान के परमाणु सुविधाओं और सैन्य ठिकानों को निशाना बनाया है। आज (13 जून) तड़के इजराइल 200 फाइटर जेट यानी करीब 11 स्कवाड्रन के साथ ईरान पर आ धमका। यहां इजरायल ने साढ़े तिनसों जगहों पर प्रिसीजन स्ट्राइक्स किए। इन प्रिसीजीन गाइडेड हमलों में ईरान का चीफ मेजर जनरल मुहम्मद बाघेरी और इस्लामिक इवोल्यूशनरी गार्ड कॉर्प्स (IRGC)का चीफ हुसैन सलामी मारा गए है। इस हमलें में इजरायल ने ईरान के दो प्रमुख परमाणु वैज्ञानिकों को भी निपटा दिया। 

हमलें में चोटिल ईरान ने अपनी वायु सीमा बंद कर दी और जवाबी कार्रवाई में इजरायल पर 100 से अधिक ड्रोन दागे, जो सुबह दागे दोपहर तक इजरायली वायु स्थान में पहुंचने की उम्मीद थी।, ईरान के सुप्रीम लीडर अयातोल्लाह खामेनेई ने इजरायल को कड़ा जवाब देने की बात की है।

यह सब तो ठीक था, लेकीन इजरायल के इस प्रीमिटिव स्ट्राइक से दुनिया दो खेमों में बट गई, एक वो जो इजरायल के समर्थन में खड़े है, और दूसरे वो जो अपने आप को हमेशा तटस्थ बतातें है और इजरायलियों का विरोध करते है। इनमें भूखानंगा पाकिस्तान और उसकी आंड फ़ोर्स वैसे तो शांत है लेकीन पाकिस्तान की अवाम सोशल मीडिया पर अपने कपडे फाड़ रही है। ऑपरेशन सिंदूर के दरम्यान भारत जब पाकिस्तानी सेना और आतंकवादी संघटनों की सांठगांठ दुनियाभर में उजागर कर रहा था। उस वक्त भी पाकिस्तानी आवाम सोशल मीड़िया पर ही इस्लाम के सैनिक बन घूम रही थी। इन इस्लाम के सैनिकों के लिए तर्क मायने नहीं रखता, किसी भी संघर्ष में कौन मोमीन है और कौन काफिर है यही देखकर वह पक्ष लेते है। और ऐसे इस्लाम के सैनिक भारत में भी भरें पड़े है।

दीन के सिपाहियों के आलावा भारत में वामपंथी जमात भी इजरायल को दुनिया के दुश्मन के रूप में प्रतिबिंबित करने में लगी है। अगर आज आम केरल के कम्युनिच मुख्यमंत्री पिनरई विजयन का स्टेटमेंट देखेंगे तो आप को वामपंथियों की छातियों पर कैसा सांप लोट रहा है इस बात का अंदाजा हो जाएगा। सीएम विजयन ने कहा, “इज़रायल को लंबे समय से एक उपद्रवी देश के रूप में जाना जाता है। यह सच है और सभी को पता है। उन्हें लगता है कि अमेरिका के समर्थन से वे कुछ भी कर सकते हैं।” कम्युनिस्ट नेता ने अपने बयान में इस हमले को घिनौना कहा है। साथ ही इन्होंने भी पाकिस्तानी सोशल मीडिया वारियर्स की तरह ईरान पर हमला स्वीकार नहीं करेंगे का राग अलापा है। 

वैसे तो लोग कह रहें है की, केरल की नीलांबुर विधानसभा सीट के लिए उपचुनाव का प्रचार चरम पर है। इस सीट पर 19 जून को मतदान होना है। और इस क्षेत्र में मुस्लिम आबादी 43 प्रतिशत है इसीलिए विजयन तुष्टिकरण की राजनीति कर रहें है। वामपंथी नेता अपनी जुबान से इस बात को हमेशा नकारते आये है की मुस्लिम इस्लामिक ब्रदरहुड पर ही विश्वास रखते है और राष्ट्रिय बंधुत्व को धिक्कारते है, लेकीन विजयन जैसी वामपंथी नेता का बयान सबूत है की वह भी जानते है की मुस्लिम राष्ट्रिय बंधुत्व को धिक्कारकर केवल मुस्लिम ब्रदरहुड मानते है। 

आज इजरायल ने जो पूर्वव्यापी हमला किया वो ईरान द्वारा परमाणु बम को तैयार करने के विरोध में किया है।  अगर ईरान परमाणु बम तैयार कर देता है तो उसका लक्ष्य इजरायल की धरती होगा। इसीलिए ईरान को इसे विकसीत करने से रोकना इजरायल का प्रथम कर्तव्य है। और जहां तक बात कम्युनिस्ट-वामपंथियों की है। हम जानते है की भारत जब कभी चीन से भीड़ता रहा कम्युनिस्ट चीन की तरफ से खड़े रहे। लेकीन जब भारत सामर्थ्य की तलाश में परमाणु तकनीक विकसित कर रहा था—-परमाणु बम बनाने की कोशिश कर रहा था, तब भी कम्युनिस्ट भारत का विरोध कर रहे थे।

कम्युनिस्टों ने भारत के पोखरण में परमाणु टेस्ट के खिलाफ आंदोलन किये थे, सराकार के पुतले जलाए थे, इतना ही नहीं इन परमाणु परीक्षणों  को रोकने के लिए कम्युनिस्टों ने सदन में विरोधी प्रस्ताव लाए थे। प्रेस नोट्स में वामपंथी इन परीक्षणों को “हिंदू बम” कहकर उसकी निंदा किया करते। उस समय भारत में परमाणु विरोधी आंदोलनों के लिए वामपंथी शांति, वैश्विक परमाणु निरस्त्रीकरण और राष्ट्रीय संप्रभुता हवाला दे रहे थे। लेकीन आज जब ईरान परमाणु बम बनाने के करीब है तो उसे रोकने वाला इजरायल दोहरे मापदंड वाले वामपंथियों की आँख में चुभ रहा है। 

खैर इजरायल के हमले के बाद अयातुल्ला खोमेनी ने बदला लेने की बात तो की है, लेकीन इजरायल की तैयारी देखकर हम यही कह सकते है की ईरान को समझदारी दिखानी चाहिए और अपने देश की अपनी रिजीम की रक्षा करनी चाहिए, ईरान की आम जानता में खोमेनी की सत्ता के खिलाफ काफी रोष भरा पड़ा है, खोमेनी की इस्लामी सत्ता से उद्विग्न नागरिकों की संख्या के 40 प्रतिशत के पार है। अगर खोमेनी जोश में कुछ करने की कोशिश करते है, तो उन्हें लेने के देने भी पड़ सकते है।

यह भी देखें:

https://youtu.be/mCCgmErQr2k

National Stock Exchange

लेखक से अधिक

कोई जवाब दें

कृपया अपनी टिप्पणी दर्ज करें!
कृपया अपना नाम यहाँ दर्ज करें

The reCAPTCHA verification period has expired. Please reload the page.

Star Housing Finance Limited

हमें फॉलो करें

98,617फैंसलाइक करें
526फॉलोवरफॉलो करें
256,000सब्सक्राइबर्ससब्सक्राइब करें

अन्य लेटेस्ट खबरें