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Saturday, November 23, 2024
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संसद स्प्रे कांड: राजनीति साजिश या मोदी विरोध का नया चलन! 

बीजेपी नेता अमित मालवीय ने एक पोस्ट किया है,जिसमें नीलम कांग्रेस के लिए वोट मांग रही है। 

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संसद स्प्रे कांड बड़ी साजिश का हिस्सा है। जिस तरह से आरोपियों ने आक्रामकता दिखाई है। उससे यह साफ़ है कि उनका ब्रेनवाश किया गया है। भले आरोपी बेरोजगारी, किसानों की समस्या और मणिपुर के हालात की बात कर रहे हों? लेकिन मामला उतना सीधा दिखाई नहीं दे रहा है,जितना होना चाहिए। सबसे बड़ी बात यह कि इस कांड में शामिल एक मात्र महिला नीलम का कनेक्शन कांग्रेस से जुड़ा हुआ। इस संबंध में बीजेपी नेता अमित मालवीय ने एक पोस्ट किया है,जिसमें नीलम कांग्रेस के लिए वोट मांग रही है। वीडियो में नीलम बीजेपी को क्रूर पार्टी बता रही है। कहा जा सकता है कि बुधवार को संसद में राजनीति का नंगा नाच हुआ ? क्या इन युवाओं को संसद में स्प्रे उड़लते हुए डर नहीं लगा? क्या इन्हें कानून का डर नहीं था, जो संसद में सांसदों के सामने पीला गैस छोड़ने का कृत्य किया ? इन युवाओं ने जो किया क्या वह क्षमा योग्य है? कतई नहीं, लेकिन आने वाले समय में इस पर राजनीति जरूर होगी?  

अभी तक इस मामले में पांच आरोपियों को गिरफ्तार किया जा चुका है. जबकि एक आरोपी अभी भी फरार है। सागर शर्मा और मनोरंजन डी को संसद में गिरफ्तार किया गया था जबकि नीलम अमोल शिंदे को संसद के बाहर गिरफ्तार किया गया था। वहीं एक और आरोपी को गुरुग्राम से गिरफ्तार किया गया जिसका नाम विशाल शर्मा बताया जा रहा है। जबकि छठा आरोपी ललित झा फरार बताया जा रहा है जो कोलकता का रहने वाला है। इसे पकड़ने के लिए दिल्ली की स्पेशल पुलिस टीम छापेमारी कर है। आरोपी पूछताछ में बता रहे हैं कि वे बेरोजगारी से तंग थे, किसानों की समस्या से दुखी थे,मणिपुर के हालातों ने उन्हें दुखी कर रखा था, इसलिए देश का इन मुद्दों की ओर ध्यान आकर्षित कराने के लिए ये कदम उठाये। सवाल यह कि अगर बेरोजगारी सहित अन्य मुद्दे की बात है तो क्या सांसदों का जान मुश्किल में डालना सही था।

इन मुद्दों को लेकर बड़े स्तर पर आंदोलन किया जा सकता था, विरोधी दलों का सहयोग लिया जा सकता था जो मुद्दे की ताक में बैठे हुए है। जो बर्फ की तरह जमे हुए हैं? आनंद की कुर्सी पर आराम कर रहे हैं। अभी तक पूछताछ से जो बात निकलकर आई है। उसमें देशहित, बेरोजगारी मुद्दा न के बराबर है.ऐसा लगता है कि इन मुद्दों को लाकर मुख्य मुद्दे को भटकाया जा रहा है।  पर यह कहा जा सकता है कि इस कांड में राजनीति एंगल के तहत साजिश रची गई है। महाराष्ट्र के नेता और उद्धव गुट सांसद संजय राउत ने कहा कि इन युवकों ने बेरोजगारी और महंगाई को लेकर नारे लगाए … वे निराश हैं इसके लिए सरकार जिम्मेदार है। देश में सभी को अपनी बात कहने का अधिकार है,लेकिन क्या डरा धमकाकर अपनी बात मनवाया जा सकता है। आरोपियों ने संसद के अंदर और बाहर तानाशाही नहीं चलेगी, जैसे नारे भी लगाए। जो यह बात साबित करती है कि ये आरोपी मोदी सरकार को पसंद नहीं करते हैं। दूसरा, जांच पड़ताल में यह भी सामने आया है कि इन आरोपियों का झुकाव कांग्रेस और वाम विचार की ओर है। इन युवकों को वर्तमान सरकार के खिलाफ उकसाया गया है।

इसका जीता जगता उदाहरण नीलम वरमाहस है। जो खुद को नीलम आजाद बताती है, उसने पीएचडी, एमफिल तक की है, लेकिन अभी तक नौकरी नहीं मिली है। इतना ही नहीं नीलम को 2020 और 2021 में हुए किसान आंदोलन में भी सक्रिय देखा गया था । वह बीजेपी विरोधी आंदोलनों में शामिल रही है। किसानों ने उसे रिहा करने की भी मांग की है। याद रहे किसानों के आंदोलन का मुद्दा अंतरराष्ट्रीय स्तर पर उछला था। स्वीडन की जलवायु कार्यकर्ता ग्रेटा थनबर्ग, अंतरराष्ट्रीय गायिका रिहाना, पूर्व पॉर्न स्टार मियां खलीफा तक ने किसान आंदोलन का समर्थन किया। इसके बाद यह कहा जाने लगा था कि विदेशी ताकतें भारत को कमजोर करने की साजिश कर रही है। ऐसा कुछ समय से लगातार होता दिख रहा है। अडानी हिंडनबर्ग का मुद्दा इसी ओर इशारा किया था।विदेशी हस्तियों के आलावा किसान आंदोलन में खालिस्तानी समर्थकों द्वारा मदद किये जाने का भी आरोप लगा था। तो क्या एक बार फिर कहा जा सकता है कि संसद के बाहर और अंदर पकड़े गए आरोपी केवल मोहरा हैं? आका कोई और है ? नकाबपोश कोई और चूहा बिल्ली का खेल खेल रहा है। अभी तक तो यही नजर आ रहा है।

 खालिस्तानी आतंकी गुरपतवंत सिंह पन्नू ने भी संसद पर हमले की धमकी दी थी.तो क्या आरोपी बाहरी ताकतों के कठपुतली हैं ? बहरहाल एक बार फिर नीलम के मुद्दे पर आते हैं। नीलम का एक वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो रहा है जिसमें वह कह रही है कि हम सत्ता परिवर्तन करेंगे और कांग्रेस को सत्ता में लाएंगे। नीलम इसी साल पहलवानों के आंदोलन में भी शामिल हुई थी। तो क्या संसद कांड राजनीति साजिश का हिस्सा है? जिस तरह से नीलम की भूमिका देखी जा रही है,उससे तो यही दिख रहा है कि इस कांड में राजनीति का घालमेल है। यानी संसद काण्ड में साजिश है, लेकिन मास्टरमाइंड कौन है यह सवाल अभी अनुत्तर है।    

बहरहाल, अब बात ललित झा की करते हैं, जिसके बारे में कहा जा रहा है कि इस घटना का सूत्रधार है, और कोलकाता का रहने वाला है। बताया जा रहा है कि इस घटना के बाद से वह फरार है। ललित झा वह व्यक्ति है जो इन पांचों आरोपियों के मोबाइल फोन लेकर फरार है। उससे पकड़ने के लिए पुलिस लगातार छापेमारी कर रही है। लास्ट लोकेशन  राजस्थान में ट्रेस किया गया था लेकिन मौके पर पहुंचने पर आरोपी फरार हो गया था। जांच जो भी सामने आये लेकिन यह साबित हो गया है कि संसद कांड साजिश का हिस्सा है। मगर अब शंका यह है कि यह साजिश देशविरोधी है, राजनीति साजिश का एक हिस्सा है। या मोदी विरोध का एक नया चलन है। वर्तमान में देखा गया है कि मोदी विरोध में नेता और अन्य लोग देश का विरोध करने लगते हैं। और यह स्तर राजनीति का सबसे निचला स्तर है। अब यह भी देखना होगा कि  नीलम के मुद्दे पर कांग्रेस क्या सफाई देती है। क्या बेरोजगारी और महंगाई की आड़ लेकर नीलम का बचाव करेगी या पीछा छुड़ाएगी।  

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