नीतीश कुमार ने बुधवार को आठवीं बार सीएम पद की शपथ ली। मंगलवार को नीतीश कुमार मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा दे दिया था। उनके साथ आरजेडी के नेता तेजस्वी यादव ने भी उपमुख्यमंत्री की शपथ ली। पटना स्थित राजभवन में पद एवं गोपनीयता की राज्यपाल फागु चौहान ने शपथ दिलाई। मंत्रिमंडल का विस्तार बाद में किया जाएगा। इस दौरान नीतीश कुमार ने बीजेपी की आलोचना की।
शपथ लेने के बाद नीतीश कुमार ने कहा कि बिहार की जनता नई सरकार से बहुत ख़ुश है। 2020 में जो चुनाव हुआ उसमें जेडीयू के साथ गलत व्यवहार हुआ। उन्होंने कहा कि अब विपक्ष और मजबूत होगा। क्योंकि हम भी अब विपक्ष में हैं। उन्होंने कहा कि 2014 में बीजेपी जैसा प्रदर्शन किया था वैसा 2024 में नहीं कर पाएगी। जब उनसे पूछा गया कि क्या वे 2024 में पीएम पद के उम्मीदवार होंगे तो उन्होंने कहा कि मेरी ऐसी कोई मंशा नहीं है। लेकिन उनके बयान से यही लगता है कि नीतीश कुमार 2024 में पीएम बनने का सपना देख रहे हैं। इसीलिए उन्होंने बीजेपी से अलग हुए। क्योंकि इससे पहले भी कई बार उनको पीएम उम्मीदवार बनाने की बात विपक्ष कर चुका है।
2013 में जब नरेंद्र मोदी को पीएम पद का उम्मीदवार बनाया गया था तो नीतीश कुमार ने धर्मनिरपेक्षता की बात कर बीजेपी से अलग हुए थे। नीतीश बीजेपी के सहयोग से छह बार मुख्यमंत्री बने। नीतीश कुमार भले कह रहे हो कि बिहार की जनता इस नई सरकार से खुश हैं लेकिन जनता नीतीश के बार बार पार्टी बदलने से खुश नहीं है। बिहार की जनता नीतीश की हकीकत जान गई है। शायद 2014 का इतिहास 2024 में भी न दोहराया जाय। 2014 के लोकसभा चुनाव में करारी हार के बाद नीतीश ने मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा दे दिया था और जीतनराम माझी को मुख़्यमंत्री बनाया था।
शपथ लेने के बाद नीतीश कुमार ने कहा कि बीजेपी से डेढ़ माह से बातचीत बंद थी। उन्होंने कहा कि बीजेपी के साथ जाने से हमारा नुकसान हुआ। उन्होंने कहा कि पार्टी के लोग कह रहे थे की बीजेपी का साथ छोड़ दो। उन्होंने कहा कि कुछ लोग को लगता है कि विपक्ष खत्म हो गया। अब हम भी विपक्ष में आ गए हैं। अब विपक्ष एकजुट होकर 2024 के लिए प्लान बनाएगा।
तो भाई, नीतीश कुमार 2024 में अपना भविष्य देख रहे हैं। उनके बयान इसी ओर इशारा कर रहे हैं। विपक्ष अगर कमजोर है तो नीतीश उसे मजबूत करने की प्लानिंग करेंगे तो दावेदारी भी ठोंके। सीधी सी बात है जो मेहनत करेगा तो वह उसका फल तो खाना चाहेगा ही।सही बात है कि विपक्ष कमजोर है। कांग्रेस नेता राहुल गांधी काले कपडे में नजर आ रहे हैं, ईडी राहुल गाँधी पर शिकंजा कस चुकी है। कहा जा रहा है कि ईडी फिर उनसे पूछताछ कर सकती है। हालांकि, अभी इस बात का खुलासा नहीं हुआ है लेकिन कहा जा रहा है कि नेशनल हेराल्ड की ऑफिस में ईडी की छापेमारी के बाद मिले दस्तावेज के आधार पर पूछताछ की जा सकती है.
उधर, यही हाल ममता बनर्जी की भी है पहले तो उन्होंने खूब विपक्ष को लेकर बड़ी बड़ी बात की लेकिन पार्थ चटर्जी मामले के बाद उनका तेवर भी ठंडा पड़ता दिख रहा है। पिछले दिनों जब वह दिल्ली आई थीं तो कांग्रेस के महंगाई वाले मोर्चा में शामिल नहीं हुई थी। इससे साफ़ है कि नीतीश कुमार विपक्ष के इसी रवैये को देखकर बीजेपी से पलटी मारी है। देखना होगा कि नीतीश कुमार विपक्ष को कितना मजबूत करते हैं। राहुल गांधी, ममता बनर्जी , अरविन्द केजरीवाल के सामने क्या रुख अपनाते हैं। और इनके द्वारा खड़ी की गई चुनौतियों से कैसे निपटेंगे।