कल रात (28 जनवरी) करीब 1 बजे प्रयागराज में महाकुंभ पर्व में स्नान करने गए लोगों के बीच भगदड़ की स्थिती बनी, इस भगदड़ में अभी हम वीडिओ बना रहें है तब तक दैनिक भास्कर आंकड़ों के अनुसार 40 लोगों की दुर्भाग्यपूर्ण मृत्यु की खबर है। वहीं घायलों की संख्या भी 50-60 के करीब बताई गई है। न्यूज़ डंका के ओर से हादसे में मृत लोगों के लिए हम संवेदना व्यक्त करते है, और घायलों के जल्द ही स्वस्थ होने की कामना करतें है। दोस्तों यह घटना सिर्फ दुर्दैवी न होकर, चिंतनीय और आक्रोशित करने वाली भी है। जहां एक तरफ से देश भर से हिंदू श्रद्धालू एकत्रित हो रहें है वहां भगदड़ से निरपराध लोगों की जाने जा रही है। कम से कम आज हम विरोधिओं को आइना नहीं दिखाना चाहते थे। लेकीन हमें ये करना होगा, नहीं तो देश राजनीति में सुधार की अपेक्षा करना गलत होगा।
देश में विरोधियों ने एक घटिया कल्चर को काफी प्रमोट किया है, इसे हम ‘अपोसिशन सिंड्रोम’ भी कह सकते है। इसमें विरोधियों की भावना ऐसी होती है, की वो हादसा होने की मानों दुवा करते है। जिससे सत्तापक्ष की पार्टियों पर ब्लेम लगाया जा सके, सत्तापक्ष को फटकार लगाकर शवों की गिनतीसे आनंद उठाया जा सके। और इस घटियापन में कांग्रेस, सपा और आम आदमी पार्टी माहिर है।
प्रयागराज में पिछले दो दिनों में कुल 8 से 10 करोड़ की भीड़ का आना जाना हुआ है। बेहद कम समय में करोड़ों की संख्या में श्रद्धालु यहां पहुंचे है। और सरकार को भी इस बात का अंदाजा था, इसीलिए उत्तर प्रदेश की सरकार ने 8 करोड़ श्रद्धालुओं का अंदाजा लगाया था, और १० करोड़ लोगों के हिसाब से व्यवस्था की थी। भीड़ इतनी है की प्रयाग में दाखिल होते ही आपको संगम से 50 किलोमीटर दूर तक ट्रैफिक जाम का सामना करना पड़ सकता है। जितनी जनसँख्या इन दो दिनों में वहां है, उतनी पुरे महाराष्ट्र की जनसँख्या है। कल रात से आज दोपहर तक मौनी अमावस्या की तिथीं के बीच त्रिवेणी संगम में स्नान करना श्रद्धालुओं की आस्था का विषय रहा है। वैसे संगम में स्नान दूसरे दिन भी किया जाए कोई फर्क नहीं पड़ता लेकिन लोगों की श्रद्धा है की अमावस्या की रात में स्नान करें तो अधिक अच्छा होगा, उसे आप कुछ नहीं कर सकते।
भीड़ एक तरफ से निकलकर संगम में 15 से 20 किलोमीटर के तट पर पहुंचकर कुंभ में स्नान करें तो भी ठीक है। लेकीन लोगों को संगम नोज़ में जाने की ज़िद लगाई, अगर एक करोड़ के आस पास लोग एक ही छोटे जगह जाने का प्रयास करेंगे तो जगह में दबाव बढ़ता रहता है। अब बात बस इतनी नहीं है, वहां बैरिकेड भी लगे हुए थे, और बैरिकेड की दूसरी ओर खाली जगह देखकर लोगों ने उसे फानना शुरू किया। देखा-देखी में पिछे की भीड़ ने भी ऐसा ही करना शुरू किया, अब वो कोई सौ दोसो की भीड़ नहीं है की बेकाबू होने पर मौके पर मौजूद पुलिस उन्हें किनारे कर सके एक करोड़ के ऊपर की भीड़ पिछे से आ रही थी। कइयों ने बैरिकेड फाने, कुछ नीचे गिरे, लोग उपर से भागने लगे, अफवाहें उड़ने लगी। ऐसे समय में महिला, बच्चे, वृद्ध, कमजोर लोग अपनी शक्ती से भीड़ को धकेल नहीं पाते, इसमें उनकी दर्दनाक मृत्यु हुई।
क्या अरेंजमेंट्स ख़राब थी? नहीं हम ऐसा नहीं कह सकते की अरेंजमेंट्स ख़राब थी, इस बार भी स्थिती पर आधे-से पौने घंटे में नियंत्रण पाया गया। घायलों की मदद के लिए एम्बुलेंस भी लाई गई, पुलिस की व्यवस्था भी समय पर पहुंची।
उत्तर प्रदेश में योगीजी की सरकार, भाजपा की सरकार, और प्रशासन-अधिकारिओं की व्यवस्था इतने दिनों से अच्छे प्रशासन के लिए क्रेडीट लेते रही, तो अब उन्होंने इस बात का दोष लेने से चूकना नहीं चाहिए, की भगदड़ हुई और उसमें लोगों की जाने गई। और जिस तरह से मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ प्रेस के सामने आकर बात रखी, उनकी बातों से यह बात साफ़ नजर आरही थी की उन्होंने इस भगदड़ की घटना को दिल पर लिया है।
दोस्तों प्रॉब्लम यहां उन गिद्दो की है, जिन्हें इस हादसे पर ब्लेम गेम खेलना है। महाराष्ट्र में संजय राऊत, केंद्र सरकार द्वारा महाकुंभ के लिए दिए गए 10 हजार करोड़ के बजट पर सवाल उठा रहें थे। जब महाराष्ट्र में इनकी सेना की सत्ता थी तब 2000 रुपए की शव की बैग 6 हजार रुपए में इनकी सरकार ने खरीदी थी, यह अब इस समय 10 हजार करोड़ के बजट की बात पूछ रहे है मानो, केंद्र सरकार ने इसी एक रात के लिए इतने पैसे दिए थे। बाकी मतलब कोई खर्चा ही नहीं किया।
कांग्रेस के अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने कहा, “योगी सरकार ने प्रबंधन और कुप्रबंधन से ज़्यादा आत्म-प्रचार पर ध्यान दिया।” ये वही खरगे जी है जो दो दिन पहले महाकुंभ में स्नान करने से गरीबी मिटेगी क्या, ऐसा पूछ रहे थे। वहीं राहुल गांधी ने संवेदना तो व्यक्त की लेकिन वो भी अपोजिशन सिंड्रोम से व्यथित है उसका भी प्रमाण उसी ट्वीट में दे दिया। उन्होंने कहा, “इस दुखद घटना के लिए कुप्रबंधन, बदइंतजामी और आम श्रद्धालुओं की जगह VIP मूवमेंट पर प्रशासन का विशेष ध्यान होना ज़िम्मेदार है।” उन्होंने कहा “VIP कल्चर पर लगाम लगनी चाहिए और सरकार को आम श्रद्धालुओं के जरूरतों की पूर्ति के लिए बेहतर इंतजाम करने चाहिए।”
राहुल गांधी की इस बात से पूरी तरह सहमत हूं की VIP कल्चर पर लगाम लगनी चाहिए, पिछले कई दिनों से VIP मूमेंट के कारण महाकुंभ में लोगों को दिक्कत का सामना करना पड़ा है। कुंभ में प्रोटोकॉल के लोग जाएंगे तो उन्हें प्रोटोकॉल के तहत सुरक्षा प्रदान की जाती है, इसके लिए भीड को हटाना पड़ता है, लेकीन महाकुंभ में इसके लिए भी विशेष व्यवस्था की गई है की कौन कब किस प्रोटोकॉल के तहत कहां आएगा। दोस्तों जब भगदड़ हुई तब प्रयाग में कोई भी VIP मूमेंट नहीं था, इसलिए VIP प्रोटोकॉल को इस भगदड़ के लिए जिम्मेदार ठहराना बस राजनीतिक प्वाइंट स्कोर करना है। कैसे भी कर के सरकार पर जिम्मेदारी डालने के उद्देश्य से ही ऐसा कहा जा रहा है।
राहुल गांधी जिस प्रोटोकॉल की बात कर रहें है, VIP कल्चर की बात कर रहें है, वो उनके पास ही सबसे ज्यादा follow होता है। राहुल गांधी जब किसी संविधानिक पद पर नहीं थे और उनकी SPG की सुरक्षा हटा ली गई थी, तब सबसे अधिक राहुल गांधी और उनकी पीआर टीम ही रो रही थी। राहुल गांधी की ओर से VIP कल्चर का विरोध करना किसी मछली का पानी से परहेज करने जैसा है।
इस दुःखद घटना के लिए आस लगाए बैठे गिद्धों को हिंदू श्रद्धालुओं की मौत पर सरकार को घेरने का एक और मौका मिला है। अखिलेश यादव ने योगी सरकार को भगदड़ की जिम्मेदारी लेकर इस्तीफा देने के लिए भी कहा है। इनमें से कोई भी अपोजिशन सिंड्रोम से अछूता नहीं है। इन्हें बस यही सिद्ध करना है की महाकुंभ में मची भगदड़ उत्तर प्रदेश के कुशासन का हिस्सा है। वैसे भी ये लोग पिछले 3 हफ्तों से इस महापर्व को निचा दिखाने की कोशिश में ही लगे थे। लेकीन वहां विभन्न देशों के लाखों श्रद्धालू, भारत के कोनों से आए करोड़ों श्रद्धालुओं ने इनकी किरकिरी की थी।
अंत में इतना ही कहना चाहूंगा की अगर आप कुंभ में जा रहे हो तो अपने आस पास के लोगों का ख्याल रखो, प्रशासन और पुलिस व्यवस्था के निर्देशों का पालन करो, वो भी करोड़ों की भीड़ में थके होते है, उनसें भी गलतियां होना संभव है, ऐसे में अपने साथ औरों के जान-माल की भी सुरक्षा करना आपकी जिम्मेदारी है।
यह भी देखें:
https://youtu.be/DCNZv-z3EvA