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भारत-पाकिस्तान जल विवाद: समस्याएं और संभावनाएं

भारत और पाकिस्तान के बीच जल संबंधों का इतिहास संवेदनशील और जटिल है।

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प्रशांत कारुलकर

भारत-पाकिस्तान संबंधों में जल का महत्वपूर्ण रूप से योगदान है, जो न केवल वायदा और उपाय, बल्कि रणनीतिक खेलबद्धता का एक प्रमुख हिस्सा भी है। जल संसाधन का उपयोग सिर्फ जीवन के लिए ही नहीं होता, बल्कि यह दो पड़ों के बीच संबंधों को प्रभावित करने का एक सामरिक उपकरण भी है।

भारत और पाकिस्तान के बीच जल संबंधों का इतिहास संवेदनशील और जटिल है। यहां की नदियाँ – जैसे कि चेनाब, जेलम, और इंडस – साझा हैं, लेकिन जल संबंधों में संधि व्यापक रूप से कारगर नहीं हो पा रही हैं। इसके पीछे के कारण विभिन्न हैं, जैसे कि आतंकवाद, तार-तोड़, और असिमित राजनीतिक विवाद।

जल यहाँ एक रणनीतिक साधन के रूप में उभर कर आता है, क्योंकि यह दोनों देशों के बीच संबंधों पर ब्रैंड हो गया है। इसके द्वारा, एक देश दूसरे पर दबाव बना सकता है या उसे शांति प्रस्तुत करने का एक सामरिक और साहसिक तरीका मिल सकता है।

चेनाब, जेलम, और इंडस – ये नदियाँ दोनों देशों के बीच साझा हैं और इसलिए जल संसाधन का प्रबंधन साझा होना चाहिए। लेकिन इसमें कई बार संधि और समझौते की कमी हो रही है, जिससे आतंकवादी सक्रियता, जल संकट, और सामरिक तनाव बढ़ा है।

जल यहाँ एक विशेषज्ञता बन गया है, जो राजनीतिक स्तर पर उपयोग किया जा रहा है। एक देश दूसरे पर जल का दबाव बना सकता है, और इसे अपने हितों में विनियोजित करने में उपयोग कर सकता है।

इस समस्या का हल निकालने के लिए, दोनों देशों को साथ काम करने की जरूरत है। उच्च स्तरीय दिप्लोमेसी, समझौते, और विशेषज्ञों की समितियों के माध्यम से एक सांघर्षिक और सांविदानिक समाधान की आवश्यकता है। इसके लिए विचार-विमर्श, साझेदारी, और समझौते की ऊर्जा को बढ़ावा देना होगा।

भविष्य में दोनों देशों को एक संविदानिक समाधान की दिशा में काम करना होगा। यह संबंध न केवल साहित्यिक बल्कि रणनीतिक सहयोग का भी स्रोत बनेगा, जिससे दोनों देशों के बीच शांति, समृद्धि, और समरसता की ऊर्जा मिलेगी।

इस प्रकार, भारत-पाकिस्तान संबंधों में जल संसाधन को रणनीतिक तौर पर एक साधन के रूप में उपयोग किया जा रहा है। इस समस्या का समाधान साझा दिलासा और समर्पण से होगा, जिससे दोनों देश एक-दूसरे के साथ अधिक उच्च स्तर पर सहयोग कर सकें और क्षेत्र में शांति और स्थिरता की दिशा में काम कर सकें।

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