2024 और युद्ध : क्या वैश्विक अर्थव्यवस्थाएं डगमगाएंगी?

करीब 10 युद्धों की आग सुलग रही है, जिसका असर वैश्विक अर्थव्यवस्था पर भी पड़ना लाजमी है.

प्रशांत कारुलकर

नया साल 2024 अभी अपने शुरुआती दिनों में है, लेकिन दुनिया के अलग-अलग कोनों में युद्धों के घनघोर बादल मंडराने लगे हैं. करीब 10 युद्धों की आग सुलग रही है, जिसका असर वैश्विक अर्थव्यवस्था पर भी पड़ना लाजमी है. आइए नजर डालते हैं इन युद्धों पर और कैसे ये 2024 में दुनिया की अर्थव्यवस्थाओं को हिला सकती हैं:

1. रूस-यूक्रेन युद्ध: यूक्रेन पर रूस के हमले का सिलसिला थमने का नाम नहीं ले रहा है. इस युद्ध का तेल, गैस और अनाज जैसी वस्तुओं की वैश्विक आपूर्ति पर पहले ही गहरा प्रभाव पड़ा है, जिससे कीमतें आसमान छू रही हैं. 2024में भी यह लड़ाई जारी रहने के आसार हैं, जिससे वैश्विक बाजार और अस्थिर रहेंगे, मुद्रास्फीति बढ़ेगी और आर्थिक विकास धीमा पड़ेगा.

2. इज़रायल-फिलिस्तीन संघर्ष: इज़रायल और फिलिस्तीन के बीच तनाव का दौर लगातार बना हुआ है. हाल ही में हुए हमले इस जटिल संघर्ष को और भड़का सकते हैं. इससे पर्यटन, व्यापार और निवेश प्रभावित होंगे, जो क्षेत्र के देशों की अर्थव्यवस्थाओं को नुकसान पहुंचाएंगे.

3. लाल सागर का संकट: यमन में चल रहा गृहयुद्ध लाल सागर के जहाजरानी रास्ते को खतरे में डाल रहा है. समुद्री डकैतों के हमले और हवाई जहाजों के गोलाबारी का खतरा बना हुआ है. इससे वैश्विक व्यापार प्रभावित होगा, शिपिंग लागत बढ़ेगी और अंतरराष्ट्रीय व्यापार धीमा होगा.

4. इथियोपिया का गृहयुद्ध: इथियोपिया में टाइग्रे क्षेत्र में चल रहा गृहयुद्ध मानवीय संकट के साथ-साथ अर्थव्यवस्था को भी तबाह कर रहा है. खाद्य और दवाओं की कमी भुखमरी और बीमारियों को बढ़ा रही है. इससे क्षेत्र के अन्य देशों पर भी आर्थिक बोझ बढ़ेगा.

ये सिर्फ कुछ उदाहरण हैं. दुनिया के अन्य हिस्सों में भी तनाव और संघर्ष का माहौल है. इन युद्धों से वैश्विक अर्थव्यवस्था को कई तरह से नुकसान हो सकता है:

अनिश्चितता और अस्थिरता: युद्धों से बाजार में अनिश्चितता का माहौल बनता है, जिससे निवेश में कमी आती है और आर्थिक विकास धीमा पड़ता है.

वस्तुओं की कीमतों में वृद्धि: युद्धों से आपूर्ति श्रृंखला बाधित होती है, जिससे आवश्यक वस्तुओं की कीमतें बढ़ती हैं. इससे महंगाई बढ़ती है और लोगों की क्रय शक्ति कम होती है.

ऊर्जा की कीमतों में उछाल: युद्धग्रस्त क्षेत्रों में तेल और गैस के उत्पादन में कमी आती है, जिससे इनकी कीमतें आसमान छूने लगती हैं. इससे परिवहन, विनिर्माण और अन्य आर्थिक गतिविधियां महंगी हो जाती हैं.

आपदा राहत पर खर्च: युद्धों से विस्थापन, बुनियादी ढांचे का विनाश और मानवीय संकट पैदा होते हैं. इन आपदाओं से निपटने के लिए सरकारों को भारी भरकम राहत खर्च उठाना पड़ता है, जिससे अन्य विकास कार्यों पर बजट कम हो जाता है.

इसलिए, 2024 में वैश्विक अर्थव्यवस्था के सामने सबसे बड़ी चुनौतियों में से एक इन युद्धों का प्रबंधन और उनके आर्थिक प्रभाव को कम करना होगा. अंतरराष्ट्रीय समुदाय को शांति स्थापना के प्रयासों को तेज करना होगा.

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