अमेरिका की डिफेंस इंटेलिजेंस एजेंसी (DIA) की ताजा रिपोर्ट ‘2025 वर्ल्डवाइड थ्रेट असेसमेंट’ में भारत की रणनीतिक सुरक्षा प्राथमिकताओं और पड़ोसी देशों के प्रति रुख को लेकर अहम खुलासे हुए हैं। रिपोर्ट के अनुसार, भारत चीन को अपना मुख्य प्रतिद्वंदी मानता है, जबकि पाकिस्तान को केवल एक गौण सुरक्षा समस्या के रूप में देखता है।
रिपोर्ट में कहा गया है कि भारत ने इंडो-पैसिफिक क्षेत्र में द्विपक्षीय रक्षा साझेदारियों को प्राथमिकता देना शुरू किया है, ताकि चीन के प्रभाव का मुकाबला किया जा सके और वैश्विक नेतृत्व में अपनी भूमिका को मजबूत किया जा सके। इसके लिए भारत सैन्य अभ्यास, प्रशिक्षण, हथियार बिक्री और सूचना साझेदारी जैसे माध्यमों का उपयोग कर रहा है।
भारत और चीन ने पूर्वी लद्दाख में वास्तविक नियंत्रण रेखा (LAC) पर विवादित दो क्षेत्रों से सेनाएं हटाने पर सहमति तो बना ली है, लेकिन सीमा निर्धारण को लेकर पुराना विवाद अब भी कायम है। हालांकि, यह कदम 2020 में शुरू हुए तनाव को कम करने में सहायक रहा है।
रक्षा क्षेत्र में भारत की आत्मनिर्भरता पर जोर देते हुए रिपोर्ट कहती है कि भारत “मेक इन इंडिया” रक्षा पहल को इस वर्ष भी आगे बढ़ाएगा, जिससे घरेलू रक्षा उद्योग को बढ़ावा मिले, आपूर्ति श्रृंखला संबंधी चिंताओं को दूर किया जा सके और सैन्य आधुनिकीकरण किया जा सके। रिपोर्ट में यह भी बताया गया कि भारत ने न्यूक्लियर-सक्षम अग्नि-I प्राइम MRBM और अग्नि-V MIRV प्रणाली का परीक्षण किया, साथ ही अपना दूसरा न्यूक्लियर-संचालित पनडुब्बी पोत भी कमीशन किया है।
रिपोर्ट में यह भी बताया गया है कि भारत 2025 तक रूस के साथ अपने संबंध बनाए रखेगा, क्योंकि रूस के साथ रणनीतिक साझेदारी भारत की आर्थिक और रक्षा जरूरतों को पूरा करने के लिए अहम है। हालांकि, मोदी सरकार के तहत भारत ने रूसी सैन्य उपकरणों की नई खरीद में कमी की है, लेकिन रूसी मूल के टैंकों और लड़ाकू विमानों के रखरखाव के लिए अब भी भारत को रूसी स्पेयर पार्ट्स पर निर्भर रहना पड़ता है।
रिपोर्ट का सबसे उल्लेखनीय पहलू यह है कि जहाँ भारत पाकिस्तान को एक ‘गौण सुरक्षा चुनौती’ मानता है, वहीं पाकिस्तान भारत को एक “अस्तित्वगत खतरा” मानता है। रिपोर्ट में यह भी उल्लेख है कि पहलगाम आतंकी हमले और भारत के ‘ऑपरेशन सिंदूर’ के बाद भारत-पाक सैन्य संघर्ष अब तक औपचारिक रूप से समाप्त नहीं हुआ है, बल्कि केवल स्थगित है। पाकिस्तान, रिपोर्ट के अनुसार, भारत की पारंपरिक सैन्य क्षमता को संतुलित करने के लिए परमाणु हथियारों सहित सैन्य आधुनिकीकरण में जुटा हुआ है। इसमें बैटलफील्ड न्यूक्लियर वेपन्स (क्षेत्रीय परमाणु हथियार) का विकास भी शामिल है।
रिपोर्ट में यह भी दावा किया गया है कि पाकिस्तान विदेशी आपूर्तिकर्ताओं और बिचौलियों के माध्यम से सामूहिक विनाश के हथियारों (WMD) से जुड़ी सामग्री और तकनीक की खरीद कर रहा है। इसमें कहा गया है कि पाकिस्तान यह सामग्री चीन से प्राप्त करता है, जो कभी-कभी हॉन्गकॉन्ग, सिंगापुर, तुर्की और संयुक्त अरब अमीरात के जरिए ट्रांसशिप होती है।
हालाँकि चीन पाकिस्तान का प्रमुख सैन्य आपूर्तिकर्ता बना हुआ है, लेकिन पाकिस्तान में चीनी श्रमिकों पर हुए आतंकी हमले दोनों देशों के संबंधों में तनाव का कारण बन रहे हैं।
अमेरिकी डिफेंस इंटेलिजेंस एजेंसी की रिपोर्ट यह स्पष्ट रूप से दर्शाती है कि भारत अब एक वैश्विक रणनीतिक खिलाड़ी की भूमिका में है, जो अपनी सुरक्षा नीतियों को चीन के प्रभाव को संतुलित करने और रक्षा क्षेत्र में आत्मनिर्भरता बढ़ाने की दिशा में केंद्रित कर रहा है। वहीं, पाकिस्तान की नीति अब भी भारत को शत्रु मानकर परमाणु हथियारों के सहारे संतुलन साधने की कोशिश तक सीमित है। यह रिपोर्ट भारत की विदेश और रक्षा नीति में परिपक्वता और संतुलन की झलक देती है, जबकि पाकिस्तान की रणनीति में अभी भी अस्थिरता और खतरे की भावना प्रमुख है।
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