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स्वास्थ्य, तंदुरुस्ती और दीर्घायु का वैज्ञानिक रास्ता, लेकिन सावधानी के साथ

यह सिर्फ एक ट्रेंड नहीं, बल्कि विज्ञान आधारित एक समग्र तरीका है, जिसके माध्यम से व्यक्ति अपनी दिनचर्या और आदतों में सूक्ष्म बदलाव लाकर बेहतर स्वास्थ्य, मानसिक स्थिरता और लंबी उम्र की दिशा में कदम बढ़ा सकता है।

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बदलती जीवनशैली, बढ़ता तनाव और स्वास्थ्य को लेकर बढ़ती जागरूकता के बीच एक नई अवधारणा ने तेजी से लोकप्रियता हासिल की है — बायोहैकिंग। यह सिर्फ एक ट्रेंड नहीं, बल्कि विज्ञान आधारित एक समग्र तरीका है, जिसके माध्यम से व्यक्ति अपनी दिनचर्या और आदतों में सूक्ष्म बदलाव लाकर बेहतर स्वास्थ्य, मानसिक स्थिरता और लंबी उम्र की दिशा में कदम बढ़ा सकता है।

बायोहैकिंग का मतलब है अपने शरीर और मस्तिष्क के कार्यों को बेहतर करने के लिए सरल लेकिन सोच-समझकर किए गए हस्तक्षेप। ये बदलाव खानपान, व्यायाम, नींद, तनाव प्रबंधन, और तकनीक के उपयोग से संबंधित हो सकते हैं। डॉ. पीयूषा भागड़े, स्किन एथिक्स क्लिनिक की संस्थापक कहती हैं, “बायोहैकिंग में आहार, व्यायाम, पूरकता और ध्यान जैसे तरीकों से हार्मोनल संतुलन को बेहतर किया जा सकता है। इसमें वही जीवनशैली अपनाने की कोशिश होती है जिसके लिए हमारा शरीर प्राकृतिक रूप से बना है।”

इसके लोकप्रिय तरीकों में सौर और रेड लाइट थैरेपी, पीईएमएफ थैरेपी, फास्टिंग, और ग्राउंडिंग (घास पर नंगे पैर चलना) जैसे अभ्यास शामिल हैं। साथ ही, तकनीकी बायोहैक्स जैसे स्मार्टवॉच से हेल्थ ट्रैकिंग, न्यूट्रीजेनोमिक्स (जीन और खानपान का रिश्ता), और DIY बायोलॉजी भी तेजी से चर्चा में हैं।

व्यक्तिगत स्वास्थ्य के अनुसार बायोहैकिंग:

डॉ. नीति गौर, सिट्रीन क्लिनिक की संस्थापक बताती हैं,”हर व्यक्ति का शरीर और जीन अलग होता है, इसलिए न्यूट्रीजेनोमिक्स यह समझने में मदद करता है कि कौन सा खाद्य पदार्थ किसके लिए फायदेमंद है। DIY बायोलॉजी गैर-विशेषज्ञों को भी प्रयोग करने की सुविधा देती है, जबकि ग्राइंडर संस्कृति तकनीक और शरीर को जोड़कर क्षमता बढ़ाने का प्रयास करती है।”

वहीं वीरूट्स के संस्थापक सजीव नायर कहते हैं, “कुछ व्यायाम, जैसे HIIT, हर व्यक्ति के लिए उपयुक्त नहीं होते। इसलिए आनुवंशिक परीक्षण के आधार पर व्यायाम और आहार को वैयक्तिकृत किया जाना चाहिए, जिससे जीवनशैली रोगों की संभावना कम हो सके।”

बायोहैकिंग में बहुत ज़्यादा जोश दिखाना स्वास्थ्य पर उल्टा असर डाल सकता है। ओवरट्रेनिंग, अत्यधिक डाइट या अनियंत्रित सप्लीमेंट्स से नुकसान हो सकता है। वेलनेस कोच शिरीन कपाड़िया चेतावनी देती हैं,”बायोहैकिंग करते समय निरंतरता और सावधानी दोनों ज़रूरी हैं। दूसरों की नकल करना हमेशा फायदेमंद नहीं होता क्योंकि हर शरीर की प्रतिक्रिया अलग होती है। मानसिक स्वास्थ्य को भी प्राथमिकता देना उतना ही ज़रूरी है जितना कि शारीरिक फिटनेस।”

बायोहैकिंग का सही तरीका क्या है?
  • पोषक तत्वों से भरपूर संपूर्ण आहार
  • नींद की गुणवत्ता पर ध्यान
  • हल्के-फुल्के फास्टिंग प्रयोग
  • तनाव प्रबंधन के लिए ध्यान या योग
  • शरीर की प्रतिक्रियाओं को ट्रैक करना
  • योग्य डॉक्टर या वेलनेस एक्सपर्ट की सलाह लेना

बायोहैकिंग एक रोमांचक और वैज्ञानिक तरीका हो सकता है अपने स्वास्थ्य को बेहतर बनाने का, लेकिन इसमें संतुलन और सटीकता अत्यंत आवश्यक है। प्रमाणित विशेषज्ञों की सलाह, वैयक्तिकृत योजनाएं और सुरक्षित प्रक्रियाएं अपनाकर ही इसका अधिकतम लाभ लिया जा सकता है। इसलिए, इससे पहले कि आप किसी ट्रेंड को अपनाएं, यह सुनिश्चित करें कि वह आपके शरीर और जीवनशैली के अनुकूल है — और यह बदलाव स्थायी हैं, क्षणिक नहीं।

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