भारतीय सिनेमा की सबसे यादगार फिल्मों में शुमार ‘मिस्टर इंडिया’ ने आज अपनी रिलीज़ के 38 साल पूरे कर लिए हैं। 1987 में आई इस साइंस फिक्शन फिल्म ने न केवल भारतीय दर्शकों का दिल जीता, बल्कि इसके आइकॉनिक खलनायक ‘मोगैंबो’ ने सिनेमा इतिहास में अपनी एक अलग पहचान बना ली। इस खास मौके पर अमरीश पुरी के पोते और अभिनेता वर्धन पुरी ने अपने दादा के इस किरदार से जुड़े दिलचस्प और अनकहे राज साझा किए।
वर्धन ने कहा, “मोगैंबो दुनिया के सबसे यादगार और मशहूर किरदारों में से एक है, और वक्त के साथ उनकी अहमियत और भी बढ़ती जा रही है। ‘मोगैंबो खुश हुआ’ डायलॉग का जो असर दुनियाभर की फिल्मों पर पड़ा है, वो इस बात का सबूत है कि मेरे दादा अमरीश पुरी, निर्देशक शेखर कपूर और लेखक जावेद अख्तर ने मिलकर इस किरदार को मेहनत के साथ बनाया था।”
उन्होंने बताया कि मोगैंबो का किरदार सिर्फ एक खलनायक नहीं था, बल्कि एक ऐसी विलेनिक पर्सनैलिटी थी जो बच्चों और बड़ों, दोनों को आकर्षित करती थी। “मोगैंबो के किरदार की हर बात लोगों को बहुत पसंद आई,” वर्धन ने कहा, “जैसे उनका डायलॉग बोलने का अंदाज, बड़ी-बड़ी आंखें, भारी आवाज, गोल्डन और ब्लैक कॉस्ट्यूम, विग, अंगूठियां और हाथ में छड़ी। यह देखकर बड़ों के साथ-साथ खासतौर पर बच्चे भी उनके फैन हो गए।”
वर्धन ने यह भी साझा किया कि निर्देशक शेखर कपूर का इस किरदार को गढ़ने में अहम योगदान था। उन्होंने अमरीश पुरी को सलाह दी थी कि मोगैंबो को इस तरह निभाएं, “जैसे बच्चों के लिए शेक्सपियर का नाटक कर रहे हों। क्योंकि एक बार जब कोई बच्चा किसी खलनायक से प्यार करने लगता है, तो उसे हमेशा के लिए याद रखा जाता है।”
‘मिस्टर इंडिया’ का निर्देशन शेखर कपूर ने किया था और इसकी कहानी मशहूर लेखक जोड़ी सलीम-जावेद ने लिखी थी। यह फिल्म दोनों की आखिरी साथ में लिखी गई फिल्म थी, जिसके बाद उन्होंने अपने रास्ते अलग कर लिए। अमरीश पुरी के पोते वर्धन पुरी, जिन्होंने ‘ये साली आशिकी’ से अपना करियर शुरू किया था, ने हाल ही में ‘बॉबी और ऋषि की लव स्टोरी’ में काम किया है। वे अपने दादा की विरासत को आगे बढ़ाने के लिए समर्पित हैं।
आज जब भारतीय सिनेमा ‘मिस्टर इंडिया’ को याद करता है, तो मोगैंबो की गूंज फिर एक बार सुनाई देती है — “मोगैंबो खुश हुआ!” यह संवाद, यह किरदार और इसके पीछे की मेहनत आने वाली पीढ़ियों को अभिनय की बारीकियां सिखाते रहेंगे।
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