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Thursday, December 25, 2025
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ईरानी विदेश मंत्री अराघची का सख्त संदेश: “परमाणु अधिकारों से पीछे नहीं हटेगा ईरान”

अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के विशेष दूत स्टीव विटकॉफ ने हाल ही में कहा कि "किसी भी समझौते के तहत ईरान की संवर्धन सुविधाओं को खत्म करना होगा।"

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ईरान के विदेश मंत्री सईद अब्बास अराघची ने अमेरिका को दो टूक संदेश दिया है कि उनका देश परमाणु ऊर्जा के शांतिपूर्ण उपयोग के अपने अधिकार से किसी भी कीमत पर समझौता नहीं करेगा। ओमान में प्रस्तावित चौथे दौर की अप्रत्यक्ष वार्ता से ठीक एक दिन पहले दोहा में अरब-ईरानी सम्मेलन के दौरान अराघाची का यह बयान सामने आया है।

अराघची ने सम्मेलन में कहा, “हम परमाणु हथियार नहीं चाहते हैं और सामूहिक विनाश के हथियारों का ईरान के सुरक्षा सिद्धांत में कोई स्थान नहीं है।” उन्होंने जोर देकर कहा कि ईरान परमाणु अप्रसार संधि (NPT) का प्रतिबद्ध सदस्य है, लेकिन उसे यूरेनियम संवर्धन और परमाणु तकनीक के शांतिपूर्ण उपयोग का अधिकार भी उतना ही वैध और सुरक्षित चाहिए।

ईरान और अमेरिका के बीच यह गतिरोध ऐसे समय में बढ़ रहा है जब अमेरिका की तरफ से बार-बार “शून्य संवर्धन” की मांग की जा रही है। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के विशेष दूत स्टीव विटकॉफ ने हाल ही में कहा कि “किसी भी समझौते के तहत ईरान की संवर्धन सुविधाओं को खत्म करना होगा।”

अराघची ने साफ किया कि ईरान अभी अमेरिका से सीधे बातचीत नहीं कर रहा है, लेकिन ओमान की मध्यस्थता में वार्ता को लेकर वह प्रतिबद्ध है। उन्होंने चेतावनी दी, “अगर इन वार्ताओं का लक्ष्य हमारे अधिकार छीनना है, तो हम नहीं मानेंगे। ईरान अपने अधिकारों से कभी पीछे नहीं हटेगा।”

गौरतलब है कि यह चौथा वार्ता चरण है, जिसे पहले 3 मई को रोम में आयोजित किया जाना था, लेकिन इसे ओमान स्थानांतरित कर दिया गया। अमेरिका और ईरान के बीच अब तक तीन दौर की अप्रत्यक्ष बातचीत हो चुकी है — जिनमें से दो मस्कट और एक रोम में हुई थीं।

ईरान ने यह भी स्पष्ट किया है कि उसका परमाणु कार्यक्रम पूरी तरह नागरिक उद्देश्यों के लिए है। हालांकि पश्चिमी देशों और खासकर इजरायल को आशंका है कि संवर्धन स्तर उस सीमा को पार कर चुका है जिसका उपयोग केवल असैन्य उद्देश्यों में किया जा सकता है। इजरायल लगातार ईरान को क्षेत्रीय खतरा मानता रहा है और तेहरान की ओर से की गई आक्रामक बयानबाज़ी भी विवाद को बढ़ा रही है।

डोनाल्ड ट्रंप की आगामी पश्चिम एशिया यात्रा को इस पृष्ठभूमि में अहम माना जा रहा है। वे 13 से 16 मई तक सऊदी अरब, कतर और यूएई का दौरा करेंगे, हालांकि इस बार उनकी इजरायल यात्रा की कोई योजना नहीं है। विशेषज्ञों का मानना है कि यह कूटनीतिक गतिविधियां ईरान-अमेरिका परमाणु वार्ता की दिशा को निर्णायक रूप से प्रभावित कर सकती हैं।

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