एनआईए लगातार तीन दिनों से बायसरन का एक थ्री-डायमेंशनल नक्शा बनाने की कोशिश में जुटी है। इस तकनीक के तहत किसी भी क्षेत्र, माहौल या वस्तु का प्रतीकात्मक चित्रण बना लिया जाता है। एक तरह से समझें तो यह टीवी पर चलती फिल्म की तरह है, लेकिन इस फिल्म के सारे आयाम आपके आसपास ही दिखते हैं, बिल्कुल इस तरह कि जैसे पूरा घटनाक्रम आपके आसपास ही हुआ हो।
3डी मैपिंग काम कैसे करती है?: बायसरन की 3डी मैपिंग के लिए एजेंसी इलाके की सैटेलाइट पिक्चर्स, ड्रोन्स से बनाए गए वीडियो और पीड़ितों के परिजनों से मिली जानकारी, घोड़े चलाने वाले, दुकानदारों और आसपास काम करने वाले लोगों से मिली जानकारी का इस्तेमाल कर रहे हैं। इसके जरिए पहलगाम हमले के घटनास्थल पर पूरा सीन डिजिटल स्तर पर रिक्रिएट किया जा रहा है।
गौरतलब है कि जिस जगह यह पूरा घटनाक्रम हुआ है, वहां की जमीन जगह-जगह पर ऊबड़-खाबड़ और पहाड़ी होने के साथ संकरी भी है। इतना ही नहीं यह इलाका जंगलों से भी घिरा है। इसके चलते घटनास्थल पर आतंकियों के आने और उनके भाग निकलने का रूट भ्रम पैदा करने वाला है। यहां 3डी मैपिंग तकनीक काम में आती है, जो कि उन जटिल परिस्थितियों को सामने से आसान कर के दिखाएगी।
रिपोर्ट्स की मानें तो 3डी मैपिंग से घटनास्थल का जो नक्शा तैयार किया जाएगा, वह बिल्कुल सटीक, ग्राफिक्स से परिपूर्ण होगा। इसका इस्तेमाल बाद में सैकड़ों लोगों से पूछताछ के दौरान किया जा सकता है, वह भी बिना उन लोगों को असल घटनास्थल पर लाए, लेकिन बिल्कुल उसी के माहौल में। इस 3डी मैपिंग तकनीक के जरिए घटना से जुड़े हर व्यक्ति की सही लोकेशन भी पता चलेगी और आतंकियों के एंट्री और एग्जिट की भी सही जानकारी मिलेगी।
जम्मू-कश्मीर में मौजूद सैन्य सूत्रों के मुताबिक, आतंकी पहलगाम के बायसरन में हमले को अंजाम देने के बाद दक्षिण कश्मीर के घने जंगलों में भाग निकले। खुफिया सूचनाओं व तलाशी अभियानों के जरिये आतंकियों का पता लगाया गया। एक सैन्य अधिकारी ने कहा कि घने जंगलों का फायदा उठाते हुए आतंकी बच रहे हैं, पर ऐसा बहुत दिन तक नहीं होगा।
सूत्रों के मुताबिक, सबसे पहले अनंतनाग के पहलगाम तहसील के हापत नार गांव के पास जंगलों में दहशतगर्दों को देखा गया। फिर इनके कुलगाम के जंगलों में होने का इनपुट मिला। मौके पर सुरक्षाबलों ने इन्हें चारों ओर से घेरा। गोलीबारी भी हुई, लेकिन आतंकी भाग निकले।
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