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Saturday, April 19, 2025
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’26/11 साजिशकर्ता राना की भारत वापसी, हेडली की गवाही से खुलासा’!

अब जब राना भारत लाया गया है| इस दौरान उससे पूछताछ में पाकिस्तान की भूमिका, हमले की फंडिंग, अन्य सहयोगियों की जानकारी और लश्कर के शीर्ष नेताओं जैसे हाफ़िज़ सईद और ज़की-उर-रहमान लखवी के खिलाफ साक्ष्य मिलने की उम्मीद है। 

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26/11 मुंबई हमलों के प्रमुख साजिशकर्ता तहव्वुर राना को 16 साल बाद अमेरिका से भारत लाया गया है। पाकिस्तानी मूल का कनाडाई नागरिक राना, डेविड हेडली का बचपन का दोस्त है। हेडली ने अमेरिकी अदालत में खुलासा किया था कि राना ने मुंबई में फर्जी इमिग्रेशन दफ्तर खोलने में मदद की, जिससे हेडली ने हमले के ठिकानों की रेकी की।

NIA के अनुसार, राना लश्कर-ए-तैयबा से जुड़ा था और उसने हमलों की साजिश में सहायक भूमिका निभाई। अमेरिका में राना को डेनमार्क में एक और आतंकी साजिश में दोषी ठहराया गया, लेकिन 26/11 में सीधे शामिल होने से बरी कर दिया गया।

भारत ने 2020 में प्रत्यर्पण की मांग की थी, जिसे लंबी कानूनी प्रक्रिया के बाद मंज़ूरी मिली। अब राना से NIA पूछताछ करेगी, जिससे पाकिस्तान की भूमिका और अन्य साजिशकर्ताओं की जानकारी मिलने की उम्मीद है।

बता दें कि 26/11 मुंबई आतंकी हमलों के 16 साल बाद आखिरकार प्रमुख आरोपी तहव्वुर हुसैन राना को अमेरिका से भारत लाया गया है। 2008 के इस भयावह हमले में 166 लोग मारे गए थे और सैकड़ों घायल हुए थे। राना की भूमिका का खुलासा उसके बचपन के दोस्त और हमले के सह-साजिशकर्ता डेविड कोलमैन हेडली की गवाही से हुआ था। हेडली ने अमेरिकी कोर्ट में बताया था कि राना ने मुंबई में एक फर्जी इमिग्रेशन दफ्तर खोलने में उसकी मदद की थी, जिससे वह हमले के संभावित ठिकानों की रेकी कर सका।
हेडली की गवाही ने राना की लश्कर-ए-तैयबा से मिलीभगत और डेनमार्क में आतंकी साजिश में भूमिका उजागर की थी। राना को अमेरिका में आतंकवाद को समर्थन देने के आरोप में दोषी पाया गया, हालांकि सीधे तौर पर मुंबई हमलों में शामिल होने से वह बरी हुआ। लेकिन भारत में उसकी भूमिका की दोबारा जांच होनी बाकी थी, और अब NIA उसकी गहन पूछताछ करेगी।
बता दें कि तहव्वुर राना पाकिस्तानी मूल का कनाडाई नागरिक है, जो पाकिस्तान आर्मी में मेडिकल अफसर रह चुका है। बाद में वह कनाडा और फिर अमेरिका गया, जहां उसने एक इमिग्रेशन सर्विस कंपनी बनाई, जिसका इस्तेमाल हेडली के साथ मिलकर आतंकी गतिविधियों के लिए किया। राना ने हेडली को भारत का वीजा दिलवाने में मदद की, उसकी फर्जी मुंबई ब्रांच खोलने दी, और भारत में कई शहरों में खुद यात्रा भी की | जिनमें से कुछ वही जगहें थीं जो बाद में हमले का निशाना बनीं।
जांच में पाया गया कि राना और हेडली के बीच 200 से ज्यादा बार बातचीत हुई थी। वह ISI के मेजर इक़बाल जैसे आतंक समर्थकों के भी संपर्क में था। 2009 में दोनों को अमेरिका में गिरफ्तार किया गया था। हेडली ने गुनाह कबूल किया और सरकारी गवाह बन गया, जबकि राना ने खुद को बेगुनाह बताया।
भारत ने 2020 में राना के प्रत्यर्पण की औपचारिक मांग की थी, जिसे अमेरिका की कोर्ट ने लंबी कानूनी प्रक्रिया के बाद मंज़ूरी दे दी। अब जब राना भारत लाया गया है| इस दौरान उससे पूछताछ में पाकिस्तान की भूमिका, हमले की फंडिंग, अन्य सहयोगियों की जानकारी और लश्कर के शीर्ष नेताओं जैसे हाफ़िज़ सईद और ज़की-उर-रहमान लखवी के खिलाफ साक्ष्य मिलने की उम्मीद है।
यह प्रत्यर्पण भारत की न्यायिक और कूटनीतिक जीत है और 26/11 के पीछे की पूरी साजिश को उजागर करने में एक निर्णायक मोड़ साबित हो सकता है। अगर आप चाहें तो मैं इसका एक छोटा संस्करण भी तैयार कर सकता हूँ, या इसे किसी विशेष टोन (आधिकारिक, पत्रकारिता शैली, भावनात्मक आदि) में फिर से लिख सकता हूँ।
यह भी पढ़ें-

नई दिल्ली: “तहव्वुर राना NIA कस्टडी में, सुसाइड वॉच पर कड़ी निगरानी”!

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