अपने देश में बढ़ते आतंक संकट और चरमराती सुरक्षा स्थिति से घबराए पाकिस्तान ने एक बार फिर भारत पर आतंकवाद फैलाने का आरोप लगाकर ध्यान भटकाने की कोशिश की है। पाकिस्तान की सेना ने दावा किया है कि भारत अफगानिस्तान की जमीन का इस्तेमाल पाकिस्तान में आतंकी गतिविधियों के लिए कर रहा है। यह सनसनीखेज दावा इंटर-सर्विसेज पब्लिक रिलेशंस (ISPR) के महानिदेशक लेफ्टिनेंट जनरल अहमद शरीफ चौधरी ने पेशावर में एक प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान दिया। उन्होंने कहा कि पाकिस्तान में, खासतौर पर खैबर पख्तूनख्वा (KP) में, आतंकी घटनाओं की बढ़ती संख्या के पीछे भारत और अफगानिस्तान दोनों की भूमिका है।
जनरल चौधरी ने कहा कि “भारत अफगानिस्तान को पाकिस्तान में आतंकवाद फैलाने के लिए ‘बेस ऑफ ऑपरेशन’ के रूप में इस्तेमाल कर रहा है।” उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि आतंकियों को “आधुनिक हथियार अफगानिस्तान में उपलब्ध हो रहे हैं”, जो कथित तौर पर अमेरिकी सेनाओं के 2021 में वापसी के बाद पीछे छोड़े गए थे।
India is using Afghan soil to carry out activities against Pakistan.
-DG ISPR.
pic.twitter.com/euRwDjoF9I https://t.co/DlvLSYNUp6— Ghost Command (@tacticalgrid) October 10, 2025
तालिबान शासन और पाकिस्तान के बीच रिश्ते रिकॉर्ड निचले स्तर पर पहुंच चुके हैं। हाल ही में पाकिस्तान ने काबुल में टीटीपी (तेहरीक-ए-तालिबान पाकिस्तान) के ठिकानों पर हवाई हमले किए, जो उसी दिन हुए जब तालिबान के विदेश मंत्री आमिर खान मुत्ताकी भारत के दौरे पर थे। विश्लेषकों के मुताबिक, यह संयोग नहीं बल्कि पाकिस्तान की बौखलाहट का संकेत है, क्योंकि भारत और अफगानिस्तान के बीच बढ़ते कूटनीतिक रिश्ते इस्लामाबाद को खटक रहे हैं।
पाकिस्तान ISPR ने कहा कि पाकिस्तान की बहुत ही मांग है कि अफगानिस्तान अपनी जमीन को आतंकियों के उपयोग से रोके। उन्होंने दावा किया कि पाकिस्तान सऊदी अरब, यूएई, चीन, अमेरिका और तुर्की जैसे सहयोगी देशों के माध्यम से तालिबान से बात कर रहा है ताकि आतंकियों की पनाहगाहें खत्म की जा सकें। उन्होंने कहा, “हर अक्षर के नाम वाले आतंकी संगठन टीटीपी, आईएस-के, बीएलए सब अफगानिस्तान में मौजूद हैं और हर किसी बोली लगाने वाले के लिए उपलब्ध हैं।”
रिपोर्टों के मुताबिक, पाकिस्तान का हवाई हमला काबुल के शहीद अब्दुल हक चौक के पास किया गया, जिसका लक्ष्य टीटीपी प्रमुख नूर वली महसूद था। हालांकि, महसूद के एक ऑडियो संदेश में उसके सुरक्षित होने का दावा किया गया।
पाकिस्तान के रक्षा मंत्री ख्वाजा आसिफ ने नेशनल असेंबली में चेतावनी दी थी कि पाकिस्तान का धैर्य अब खत्म हो चुका है” और अफगान आतंकियों की गतिविधियां बर्दाश्त नहीं की जाएंगी। आसिफ ने कहा था कि पाकिस्तान “छह मिलियन अफगान शरणार्थियों को 60 साल तक मेहमाननवाज़ी देने की कीमत अपने खून से चुका रहा है और अब उनके घर लौटने का वक्त आ गया है।”
पाकिस्तान का यह आक्रामक रुख ऐसे समय आया है जब नई दिल्ली और काबुल के बीच रिश्ते फिर से मजबूत होते नजर आ रहे हैं। तालिबान के विदेश मंत्री आमिर खान मुत्ताकी की विदेश मंत्री एस. जयशंकर और राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल से मुलाकात ने भारत-अफगान रिश्तों में नई ऊर्जा भरी है।
विश्लेषकों का कहना है कि पाकिस्तान की सेना का भारत पर यह नया आरोप कूटनीतिक निराशा और आंतरिक सुरक्षा विफलताओं को छिपाने का प्रयास है। इस्लामाबाद एक बार फिर उसी पुराने रास्ते पर लौट आया है। झूठे आरोप, प्रोपेगैंडा और आत्ममुग्धता की राजनीति, जबकि असली खतरा उसके अपने घर के भीतर पनप रहा है।
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