भारत की महामहिम राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु शुक्रवार (25 अप्रैल)को पोप फ्रांसिस के राज्यकीय अंतिम संस्कार में भाग लेने के लिए वेटिकन सिटी रवाना हुईं। यह यात्रा भारत और वेटिकन के बीच गहरे संबंधों को दर्शाती है, और वैश्विक स्तर पर भारत की कूटनीतिक उपस्थिति को मजबूत करती है।
राष्ट्रपति मुर्मु का यह दौरा भारत-वेटिकन संबंधों में एक महत्वपूर्ण क्षण है। पोप फ्रांसिस, जो अपने करुणा और सामाजिक न्याय के संदेशों के लिए विश्वभर में सम्मानित थे, के अंतिम संस्कार में भारत की उच्च स्तरीय उपस्थिति, दोनों देशों के बीच सांस्कृतिक और धार्मिक संबंधों को और मजबूत करती है।
पोप फ्रांसिस के अंतिम संस्कार में दुनिया भर के प्रमुख नेताओं ने भाग लिया, जिसमें अर्जेंटीना के राष्ट्रपति जेवियर मिलेई, फ्रांस के राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों, ब्राजील के राष्ट्रपति लुइज़ इनासियो लूला दा सिल्वा, और जर्मनी के राष्ट्रपति फ्रैंक-वाल्टर स्टीनमायर शामिल हैं। इस वैश्विक उपस्थिति ने पोप फ्रांसिस के प्रभाव और उनके द्वारा फैलाए गए संदेशों की व्यापकता को दर्शाया।
भारत और वेटिकन के बीच 1948 में राजनयिक संबंध स्थापित हुए थे। तब से, दोनों देशों ने धार्मिक सहिष्णुता, शांति और सामाजिक न्याय के क्षेत्रों में सहयोग किया है। पोप फ्रांसिस के कार्यकाल के दौरान, भारत और वेटिकन के संबंधों में और भी मजबूती आई, विशेषकर सामाजिक कल्याण और धर्मनिरपेक्ष मूल्यों के साझा दृष्टिकोण के माध्यम से।
राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु की वेटिकन यात्रा न केवल पोप फ्रांसिस को श्रद्धांजलि है, बल्कि यह भारत की वैश्विक कूटनीति में सक्रिय भागीदारी और धार्मिक सहिष्णुता के प्रति प्रतिबद्धता का प्रतीक भी है। यह दौरा भारत-वेटिकन संबंधों को और गहरा करने का अवसर प्रदान करता है, और वैश्विक मंच पर भारत की उपस्थिति को सुदृढ़ करता है।
यह भी पढ़ें:
पहलगाम हमले पर अमेरिका ने दो टूक कहा-“भारत के साथ हैं”, पाकिस्तानी पत्रकार की बोलती बंद!
पहलगाम आतंकी हमले के बाद सेना प्रमुख जनरल द्विवेदी का श्रीनगर दौरा!