उपभोक्ता मूल्य सूचकांक (सीपीआई) आधारित हेडलाइन खुदरा मंगाई दर जनवरी-फरवरी 2025 के दौरान 1.6 प्रतिशत अंक घटकर दिसंबर 2024 के 5.2 प्रतिशत से फरवरी 2025 में 3.6 प्रतिशत के निचले स्तर पर आ गई। सब्जियों की कीमतों में मौसमी सुधार के कारण फरवरी में खाद्य मुद्रास्फीति 21 महीने के निम्नतम स्तर 3.8 प्रतिशत पर आ गई।
वित्त वर्ष 2025-25 की पहली द्विमासिक मौद्रिक नीति की घोषणा करते हुए आरबीआई गवर्नर संजय मल्होत्रा ने कहा कि खाद्य मुद्रास्फीति की दर निर्णायक रूप से सकारात्मक सकारात्मक दायरे में है। मौसम बेहतर रहने के कारण सब्जियों की कीमतों में पर्याप्त सुधार हुआ है।
गवर्नर ने कहा, “मुद्रास्फीति के मोर्चे पर, हालांकि खाद्य मुद्रास्फीति में अपेक्षा से अधिक गिरावट ने हमें राहत और आत्मविश्वास दिया है, फिर भी हम वैश्विक अनिश्चितताओं और मौसम संबंधी गड़बड़ियों से उत्पन्न संभावित खतरों के प्रति सतर्क बने हुए हैं।”
उन्होंने आगे कहा कि रबी फसलों से जुड़ी अनिश्चितताएं काफी कम हो गई हैं और दूसरे अग्रिम अनुमानों से पता चलता है कि पिछले वर्ष की तुलना में गेहूं का उत्पादन रिकॉर्ड स्तर पर होगा और प्रमुख दालों का उत्पादन भी अधिक होगा। गवर्नर ने कहा कि खरीफ की मजबूत आवक के साथ-साथ, इससे खाद्य मुद्रास्फीति में स्थायी नरमी आने की उम्मीद है।
केंद्रीय बैंक ने कहा कि तीन महीने और एक वर्ष की अवधि के लिए मुद्रास्फीति की उम्मीदों में तीव्र गिरावट से आगे चलकर मुद्रास्फीति की उम्मीदों को स्थिर रखने में मदद मिलेगी। इसके अलावा, मौद्रिक नीति समिति (एमपीसी) ने अपने 2025-26 के संकल्प में कहा है कि कच्चे तेल की कीमतों में गिरावट महंगाई को कम करने की दिशा में अहम साबित होगी।
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