सीरियाई राजधानी के द्वेला क्षेत्र स्थित ऐतिहासिक सेंट एलियास ऑर्थोडॉक्स चर्च में प्रार्थना में डूबे सैकड़ों श्रद्धालुओं के बीच एक बन्दूकधारी घुसा और अंधाधुंध गोलीबारी के बाद विस्फोटक बेल्ट से खुद को उड़ा लिया। इस वारदात से चर्चा का माहौल दहशत में बदल गया। सीरियन गृह मंत्रालय ने बताया कि कम-से-कम 22 लोगों की मौत हो चुकी है, 63 घायल हैं। यह 2011 में गृहयुद्ध शुरू होने के बाद किसी चर्च के भीतर हुआ पहला आत्मघाती हमला है।
चश्मदीद लॉरेंस माआमारी ने बताया, “लोगों ने ‘उसे खुद को विस्फोट से उड़ाने से पहले रोकने की कोशिश की’।” आसपास की दुकान पर मौजूद ज़ियाद हेलू ने कहा, “हमने चर्च में आग देखी और लकड़ी की बेंचों के अवशेष प्रवेश द्वार तक बिखरे हुए देखे।” घटना के बाद चर्च के फर्श पर खून के छींटे और टूटी हुई प्रतिमाएँ दिखाई पड़ीं, जबकि सIREन की आवाज़ों के बीच एम्बुलेंस दल लगातार घायलों को अस्पताल पहुँचा रहा था।
गृह मंत्रालय के मुताबिक, “दाइश (इस्लामिक स्टेट) आतंकी संगठन से संबद्ध एक आत्मघाती हमलावर द्वेला क्षेत्र स्थित सेंट एलियास चर्च में घुसा… गोलीबारी की और फिर विस्फोटक बेल्ट से खुद को उड़ा लिया।” मंत्रालय ने हमले को अल्पसंख्यकों के ख़िलाफ़ कायराना वारदात बताया।
संयुक्त राष्ट्र विशेष दूत गीर पेडरसन ने हमले पर इस जघन्य अपराध पर आक्रोश व्यक्त करते हुए निष्पक्ष और तेज़ जाँच की माँग की। अमेरिकी विशेष दूत टॉम बैरक ने दमिश्क सरकार को हर सम्भव समर्थन देने का आश्वासन देते हुए कहा कि वॉशिंगटन सीरिया का साथ देगा “जब वह उन लोगों से लड़ रहा है जो उनके देश और व्यापक क्षेत्र में अस्थिरता और भय पैदा करना चाहते हैं।”
सीरियाई विदेश मंत्रालय ने घटना को राष्ट्रीय सह-अस्तित्व को कमजोर करने और देश को अस्थिर करने का एक हताश प्रयास बताया है, जबकि गृह मंत्री अनस खत्ताब ने कहा, “ये आतंकी कृत्य सीरियाई राज्य के नागरिक शांति स्थापित करने के प्रयासों को नहीं रोकेंगे।”
डमास्कस ऑर्थोडॉक्स पैट्रिआर्केट ने प्रशासन से अपील की कि “चर्च की पवित्रता के उल्लंघन के संबंध में जो हुआ है और हो रहा है, उसकी पूरी जिम्मेदारी प्रशासन को लेने और सभी नागरिकों की सुरक्षा सुनिश्चित करने” के लिए ठोस क़दम उठाए जाएँ। गृहयुद्ध से पहले लगभग 10 लाख की आबादी वाला सीरियाई ईसाई समुदाय अब तीन लाख से भी कम रह गया है; विस्थापन और पलायन ने उनकी संख्या लगातार घटाई है।
इस आतंकी हमले ने सीरिया में सत्ता परिवर्तन के बाद सुरक्षा-व्यवस्था पर गंभीर प्रश्नचिन्ह लगा दिया है। अंतरराष्ट्रीय समुदाय लगातार नई सरकार से अल्पसंख्यकों की सुरक्षा सुनिश्चित करने की माँग कर रहा है, ताकि देश विविधता और सह-अस्तित्व के रास्ते पर लौट सके। विशेषज्ञों का मानना है कि यदि धार्मिक स्थलों पर ऐसे हमले नहीं रोके गए, तो सीरिया की सामाजिक-धार्मिक बुनियाद पर दीर्घकालिक प्रभाव पड़ सकता है।
हमले की जाँच के लिए विशेष दल गठित कर दिया गया है। घटनास्थल से मिले विस्फोटक अवशेष और सीसीटीवी फ़ुटेज खंगाली जा रही है। फिलहाल पूरा डमास्कस शोक और भय के साये में है, लेकिन घायलों की सलामती के लिए दुआओं और रक्तदान की अपीलों के साथ आम लोग एक बार फिर एक-दूसरे का सहारा बनते दिख रहे हैं—मानो यह संदेश देते हुए कि आतंक मानवता की एकता को परास्त नहीं कर सकता।
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