उत्तराखंड की राजधानी देहरादून में होने वाले संवाद में आध्यात्मिक गुरु स्वामी कैलाशानंद गिरी आकर्षण का केंद्र रहे। इस दौरान स्वामी कैलाशानंद गिरी ने अपने अनुभव साझा किए। उन्होंने सफलता का मंत्र भी दिया। पंचायती अखाड़ा श्री निरंजनी के पीठाधीश्वर आचार्य महामंडलेश्वर कैलाशानंद गिरि ने कार्यक्रम में कहा कि उत्तराखंड का चयन संन्यासियों के लिए सर्वोपरि है। जो उत्तराखंड में निवास करता है वो देवताओं से कम नहीं है।
अध्यात्म और राष्ट्र निर्माण को समर्पित स्वामी कैलाशानंद गिरि न केवल परमार्थ निकेतन और कैलाश आश्रम के प्रतिष्ठित पीठाधीश्वर हैं, बल्कि आध्यात्मिक चेतना को वैश्विक मंच पर पहुंचाने वाले युगदृष्टा भी हैं। वे आधुनिक विज्ञान और सनातन धर्म के समन्वय के पक्षधर हैं और युवाओं को धर्म से जोड़ने के लिए डिजिटल माध्यमों का प्रभावशाली उपयोग करते हैं।
1976 में बिहार के जमुई में स्वामी कैलाशानंद गिरि का जन्म एक मध्यम परिवार में हुआ। बचपन में ही घर त्यागकर धर्म का रास्ता चुन लिया और वे भगवान की भक्ति में इस कदर रम गए कि फिर कभी परिवार की तरफ देखा ही नहीं। स्वामी कैलाशानंद गिरी का प्रभाव केवल धार्मिक क्षेत्र में ही नहीं, बल्कि सामाजिक क्षेत्र में भी है। कई राजनेता, कलाकार और अन्य प्रसिद्ध हस्तियां उनसे आशीर्वाद लेने आते हैं।
दिल्ली के द्वारका में अपार्टमेंट की आग में तीन लोगों की मौत!
