अफगान सीमा पर तालिबानी हमलों से हिला पाकिस्तान; मुनीर ने जनरलों से मांगी ‘इंटेलिजेंस रिपोर्ट’

अफगान सीमा पर तालिबानी हमलों से हिला पाकिस्तान; मुनीर ने जनरलों से मांगी ‘इंटेलिजेंस रिपोर्ट’

taliban-hamle-pakistan-intelligence-report

अफगान तालिबान के लगातार हमलों से पाकिस्तान की पश्चिमी सीमा पर हालात तनावपूर्ण हैं। पाकिस्तान के प्रमुख जनरल असीम मुनीर ने सोमवार देर रात रावलपिंडी स्थित जीएचक्यू (GHQ) में आपात बैठक बुलाई, जिसमें मुनीर ने अपने शीर्ष जनरलों को फटकार लगाते हुए खुफिया नाकामी (Intelligence Failure) पर जवाब मांगा है। रिपोर्ट् के अनुसार, तालिबान लड़ाकों ने ड्यूरंड लाइन के किनारे पाकिस्तान के कई सैन्य चौकियों पर हमले किए। इन हमलों ने पाकिस्तान की सीमा सुरक्षा व्यवस्था और खुफिया क्षमताओं की पोल खोल दी है।

जनरल मुनीर ने बैठक के दौरान अपने वरिष्ठ अधिकारियों से कहा, “खुफिया जानकारी कहां थी? यह खुफिया नाकामी क्यों हुई?” उन्होंने पूछा कि जब तालिबान के हमलों की सूचना नहीं थी, तो तुरंत जवाबी कार्रवाई के लिए बैकअप बलों की तैनाती क्यों नहीं की गई?

जनरल मुनीर ने सभी वरिष्ठ कमांडरों को आदेश दिया कि वे सात दिनों के भीतर एक विस्तृत रिपोर्ट चीफ ऑफ जनरल स्टाफ के कार्यालय में जमा करें। रिपोर्ट में खुफिया चूक, रणनीतिक कमियां और सुधारात्मक उपायों का विवरण शामिल करने को कहा गया है।

उन्होंने सभी सेक्टरों में सतर्कता बढ़ाने और सुरक्षा उपाय कड़े करने का निर्देश दिया। मुनीर ने चेतावनी दी,“पाकिस्तान इस समय बाहरी और आंतरिक दोनों मोर्चों पर युद्ध की स्थिति में है। हमें अब एक ‘हार्ड स्टेट’ बनना होगा। हम कब तक ‘सॉफ्ट स्टेट’ बने रहेंगे, जबकि हमारे जवान और नागरिक अपनी जान गंवा रहे हैं? अब निर्णायक कार्रवाई का वक्त है।”

खुफिया सूत्रों के अनुसार, तालिबान ने अंगूर अड्डा, बाजौर, कुर्रम, दिर, चितराल, वजीरिस्तान, बहराम चा और चमन जैसे सात मोर्चों से भारी तोपखाना दागा। इन हमलों को अनप्रोवोक्ड और कोऑर्डिनेटेड बताया गया है, जिसने पाकिस्तानी सेना को पूरी तरह चौंका दिया। इन हमलों ने यह स्पष्ट कर दिया कि सीमा सुरक्षा और खुफिया तंत्र में गंभीर खामियां मौजूद हैं।

बैठक के अंत में जनरल मुनीर ने स्पष्ट आदेश दिए,“स्थिति पर दोबारा नियंत्रण हासिल करें, रणनीतिक दृष्टि को मजबूत करें और ऐसी विफलताओं की पुनरावृत्ति किसी भी कीमत पर न होने दें।” यह घटना पाकिस्तान के लिए सबसे बड़ी सुरक्षा चुनौती के रूप में देखी जा रही है, जो पहले ही तालिबान से बढ़ते तनाव और सीमा संघर्षों के कारण संकट में घिरा हुआ है।

यह भी पढ़ें:

बिहार चुनाव 2025: ‘वोट कटवा’ की भूमिका में होंगे योगी के मंत्री!

बिहार चुनाव में सुशांत सिंह राजपूत की बहन को मिला टिकट!

बिहार चुनाव 2025: भाजपा की रणनीतिक बढ़त और महागठबंधन की उलझन!

Exit mobile version