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भारतीय हमलों में ढेर हुए तुर्की सैन्यकर्मी, पाकिस्तान की ओर से उतरे थे लड़ने !

हमलों का उद्देश्य स्पष्ट था — भारत की वायु रक्षा प्रणाली की ताकत और प्रतिक्रिया समय का परीक्षण करना।

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भारत की निर्णायक सैन्य कार्रवाई ऑपरेशन सिंदूर के बाद अब पाकिस्तान के सहयोगियों की भूमिका भी सामने आने लगी है। सूत्रों ने इंडिया टुडे टीवी को बताया है कि इस सैन्य ऑपरेशन के दौरान तुर्की के दो सैन्यकर्मी मारे गए, जिससे यह स्पष्ट होता है कि अंकारा ने सिर्फ भारत के खिलाफ युद्ध में प्रत्यक्ष भागीदार सिर्फ तुर्की हथियार ही नहीं, बल्कि ऑपरेटर भी भेजे थे।

जानकारी के अनुसार ‘ऑपरेशन सिंदूर’ की शुरुआत के बाद तुर्की के सैन्य सलाहकारों ने पाकिस्तानी सेना के साथ मिलकर ड्रोन हमलों का समन्वय किया। 7 और 8 मई की रात, पाकिस्तान ने करीब 300 से 400 तुर्की निर्मित ड्रोन भारत की उत्तरी और पश्चिमी सीमाओं पर झोंक दिए, जिनमें बायरकटर TB2, वाईआईएचए और सोंगर जैसे उन्नत यूएवी शामिल थे। इनका मकसद भारतीय सैन्य संरचनाओं की जासूसी, लक्ष्य निर्धारण और संभावित ‘कामिकाजे’ हमले थे।

ऑपरेशन सिंदूर पर हुई एक प्रेस ब्रीफिंग में सेना की प्रवक्ता कर्नल सोफिया कुरैशी ने कहा, “ड्रोन के मलबे की फोरेंसिक जांच की जा रही है। प्रारंभिक रिपोर्टों से पता चलता है कि वे तुर्की अस्सिसगार्ड सोंगर ड्रोन हैं।” उन्होंने यह भी जोड़ा कि भारतीय सशस्त्र बलों ने गतिज और गैर-गतिज तकनीकों का इस्तेमाल करते हुए इन ड्रोनों को निष्क्रिय कर दिया। हमलों का उद्देश्य स्पष्ट था — भारत की वायु रक्षा प्रणाली की ताकत और प्रतिक्रिया समय का परीक्षण करना।

विश्लेषकों का मानना है कि कोविड-19 के बाद भारत से तुर्की को निर्यात हुए एल्युमीनियम, टेलीकॉम उपकरण और विमानन कलपुर्जों ने वहां ड्रोन निर्माण को नई गति दी। विडंबना यह है कि भारत द्वारा भेजा गया सामान अंततः उसके ही खिलाफ युद्ध में इस्तेमाल हुआ। यह मसला अब राजनीतिक हलकों में गंभीर चिंता का विषय बन गया है।

जहां एक ओर भारत सैन्य मोर्चे पर सक्रिय है, वहीं दूसरी ओर उसने सूचना युद्ध में भी स्पष्ट रुख अपनाया है। बुधवार (14 मई) को भारत सरकार ने माइक्रोब्लॉगिंग प्लेटफॉर्म ‘X’ पर तुर्की के सरकारी मीडिया हाउस TRT के अकाउंट को ब्लॉक कर दिया, क्योंकि उसने पाकिस्तान की तरफ से दुष्प्रचार को बढ़ावा दिया।

सिर्फ इतना ही नहीं, चीनी सरकारी मीडिया एजेंसियां ‘सिन्हुआ’ और ‘ग्लोबल टाइम्स’ भी भारत की कार्रवाई की चपेट में आ गईं। भारत में चीन स्थित अपने दूतावास द्वारा बार-बार चेतावनी देने के बावजूद, जब इन एजेंसियों ने पाकिस्तान-समर्थित झूठी खबरें फैलानी शुरू कीं, तो उनके सोशल मीडिया अकाउंट्स को भी ब्लॉक कर दिया गया।

तुर्की की भूमिका के खुलासे ने ‘बॉयकॉट तुर्की’ अभियान को फिर से गति दे दी है। पहले से ही अंकारा और इस्लामाबाद के बीच बढ़ती सैन्य नजदीकियों ने भारत में इस विचार को हवा दी थी कि तुर्की भारत के सुरक्षा हितों को नुकसान पहुंचा रहा है — ऑपरेशन सिंदूर ने इसे अब ठोस रूप दे दिया है।

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