भारत द्वारा हाल ही में पाकिस्तानी आतंक के खिलाफ चलाए गए ‘ऑपरेशन सिंदूर’ को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर मान्यता मिलनी शुरू हो गई है। अमेरिकी सेना के पूर्व अधिकारी, लेखक और सैन्य रणनीति विशेषज्ञ जॉन स्पेंसर ने इस अभियान को “भारत की निर्णायक सैन्य जीत” करार दिया है। उन्होंने कहा कि चार दिनों में सीमित लेकिन सटीक कार्रवाई के जरिए भारत ने न केवल अपने सैन्य उद्देश्य पूरे किए, बल्कि एक नई सुरक्षा नीति की घोषणा भी कर दी।
अपने ‘X’ पोस्ट में जॉन स्पेंसर ने लिखा, “केवल चार दिनों की सटीक सैन्य कार्रवाई के बाद यह निष्पक्ष रूप से स्पष्ट है कि भारत ने एक बड़ी जीत हासिल की, जिसमें आतंकवादी ढांचे को नष्ट करना, सैन्य श्रेष्ठता का प्रदर्शन करना, प्रतिरोध को बहाल करना और एक नई राष्ट्रीय सुरक्षा सिद्धांत का अनावरण करना जैसी अहम चीजें शामिल रहीं।”
उन्होंने स्पष्ट किया कि यह कार्रवाई केवल प्रतिशोध के लिए नहीं थी, बल्कि एक रणनीतिक जवाब थी जो भारत की परिपक्व सैन्य सोच और स्पष्ट उद्देश्य का प्रमाण है।
स्पेंसर ने 22 अप्रैल को जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकी हमले का हवाला देते हुए बताया कि कैसे लश्कर-ए-तैयबा की शाखा टीआरएफ ने 26 निर्दोष नागरिकों की हत्या की। ISI की छत्रछाया में पले-बढ़े इस नेटवर्क के खिलाफ भारत ने इस बार इंतजार नहीं किया — कूटनीतिक अपील नहीं की, न ही अंतरराष्ट्रीय मध्यस्थता का सहारा लिया। 7 मई को भारत ने ऑपरेशन सिंदूर की शुरुआत की और चार दिनों में पाकिस्तान के आतंकी ढांचों को हिला कर रख दिया।
स्पेंसर ने खुलासा किया कि ऑपरेशन सिंदूर के तहत भारतीय वायुसेना ने बहावलपुर, मुरीदके और मुजफ्फराबाद में लश्कर और जैश के प्रमुख ठिकानों पर सर्जिकल एयर स्ट्राइक्स किए। इसके बाद पाकिस्तान ने भारत पर ड्रोन हमलों से जवाबी कोशिश की, लेकिन भारत के स्वदेशी एयर डिफेंस सिस्टम ने उसे नाकाम कर दिया। भारत ने जवाब में पाकिस्तान के छह सैन्य हवाई अड्डों और ड्रोन केंद्रों को ध्वस्त कर अपनी सैन्य श्रेष्ठता स्पष्ट कर दी।
10 मई को जब फायरिंग रुकी, भारत ने उसे ‘संघर्ष विराम’ कहने से इनकार किया। इसे एक ‘रणनीतिक ठहराव’ बताया गया — ऐसा ठहराव, जो विजयी पक्ष की शर्तों पर आधारित हो। यह परिभाषा दिखाती है कि भारत अब अपनी शर्तों पर खेल रहा है, भावनात्मक प्रतिक्रियाओं के बजाय रणनीतिक सोच से।
स्पेंसर ने लिखा, “2008 का भारत हमले झेलता था और इंतजार करता था। यह भारत तुरंत, सटीक और स्पष्टता के साथ जवाब देता है। पीएम मोदी की नीति, भारत का बढ़ता स्वदेशी रक्षा उद्योग और इसके सशस्त्र बलों की व्यावसायिकता यह संकेत देती है कि देश अब अगले युद्ध के लिए तैयार है।”
उन्होंने कहा कि ऑपरेशन सिंदूर केवल एक जवाबी हमला नहीं था, बल्कि एक नई रणनीतिक अवधारणा का प्रदर्शन था — जिसमें भारत ने पाकिस्तान की ‘न्यूक्लियर ब्लैकमेल’ नीति को ध्वस्त करते हुए यह संदेश दिया कि अब आतंकी हमले युद्ध की कार्रवाई माने जाएंगे।
स्पेंसर ने अपने विश्लेषण में यह भी जोड़ा कि “रणनीतिक सफलता को केवल विनाश के पैमाने से नहीं, बल्कि वांछित राजनीतिक और सैन्य प्रभाव से मापा जाना चाहिए।” भारत ने यही किया — आतंकी ढांचे को तबाह किया, सैन्य श्रेष्ठता प्रदर्शित की, और बिना अंतरराष्ट्रीय मध्यस्थता के संकट को कूटनीतिक नियंत्रण में रखा।
‘ऑपरेशन सिंदूर’ केवल सीमित सैन्य कार्रवाई नहीं थी। यह एक संदेश था — भारत अब न तो चुप रहेगा, न ही पिछली तरह इंतजार करेगा। यह संयम, संप्रभुता और सटीकता का संयोजन था, जिसने भारत को एक बार फिर वैश्विक रणनीतिक मानचित्र पर निर्णायक ताकत के रूप में स्थापित कर दिया।
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