ब्रिटेन के हाई कोर्ट ने भगोड़ा हीरा कारोबारी नीरव मोदी की जमानत याचिका को खारिज कर दिया है। लंदन के किंग्स बेंच डिवीजन की उच्च न्यायालय ने यह फैसला सुनाया, जिससे यह स्पष्ट हो गया कि नीरव मोदी की जमानत की मांग पर कोई दखल नहीं दिया जाएगा। यह फैसला ऐसे समय आया है जब नीरव मोदी ने अपनी गिरफ्तारी के बाद दसवीं बार जमानत हासिल करने की कोशिश की थी, लेकिन भारत के केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) की कड़ी आपत्ति और समर्थक कार्रवाई के कारण उनकी सभी कोशिशें नाकाम रही हैं।
सीबीआई ने अपनी एक सक्षम टीम को विशेष रूप से इस सुनवाई के लिए लंदन भेजा था और उन्होंने अदालत में सफलतापूर्वक यह साबित किया कि नीरव मोदी को जमानत नहीं दी जानी चाहिए। नीरव मोदी पर पंजाब नेशनल बैंक से जुड़े 6,498.20 करोड़ रुपए के बैंकिंग घोटाले का आरोप है, जिसके कारण वह भारत में वांछित है। भारत सरकार के पक्ष में ब्रिटेन के हाई कोर्ट ने पहले ही उनके प्रत्यर्पण को मंजूरी दी है, जो भारतीय न्याय व्यवस्था के लिए एक बड़ी सफलता है।
नीरव मोदी पर आरोप है कि उन्होंने अपने चाचा मेहुल चोकसी के साथ मिलकर बैंक धोखाधड़ी की योजना बनाई थी, जिसमें उन्होंने मुंबई की पंजाब नेशनल बैंक शाखा से फर्जी लेटर ऑफ अंडरटेकिंग का दुरुपयोग करके बैंकों को करोड़ों रुपये का नुकसान पहुंचाया। जांचकर्ताओं के अनुसार, नीरव मोदी ने लगभग 6,498 करोड़ रुपये की ठगी की, जबकि चोकसी ने लगभग 7,000 करोड़ रुपए से अधिक की ठगी में भागीदारी की।
नीरव मोदी फिलहाल ब्रिटेन की जेल में बंद है, वहीं मेहुल चोकसी बेल्जियम में कानूनी कार्रवाई के दायरे में हैं। एंटवर्प की एक अदालत शुक्रवार, 16 मई को चोकसी के भारत प्रत्यर्पण अनुरोध पर सुनवाई शुरू करने जा रही है। पिछले महीने बेल्जियम के अधिकारियों ने उनकी शुरुआती जमानत याचिका को भी खारिज कर दिया था। भारत की एजेंसियां अब अभियोजन पक्ष को और मजबूत कर रही हैं ताकि प्रत्यर्पण की प्रक्रिया तेजी से पूरी हो सके।
ब्रिटेन और बेल्जियम दोनों देशों में न्यायिक प्रक्रियाओं में हो रही तेजी से भारतीय अधिकारी आशावादी हैं कि जल्द ही दोनों भगोड़े आर्थिक अपराधी भारत लौटकर अपने अपराधों के लिए जवाबदेह ठहराए जाएंगे। यह मामला भारत की न्यायिक और कूटनीतिक सफलता का प्रतीक बनता जा रहा है, जो अंतरराष्ट्रीय स्तर पर आर्थिक अपराधों के खिलाफ सख्त कदमों की पुष्टि करता है।
