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Sunday, June 15, 2025
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UP: वाराणसी में पाकिस्‍तान और तुर्की की शव यात्रा निकाली!

'ऑपरेशन सिंदूर' के दौरान तुर्की ने पाकिस्तान का साथ दिया और भारत पर हमला करने के लिए पाकिस्तान को हथियार भेजा था। इसके बाद से ही देशभर में उसका बहिष्कार शुरू हो गया।

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उत्तर प्रदेश के वाराणसी के लमही क्षेत्र में रविवार को पाकिस्तान और तुर्की की शव यात्रा निकाली गई। यह शव यात्रा ‘विशाल भारत संस्थान’ की ओर से निकाली गई। इस दौरान लोगों ने “पाकिस्तान मुर्दाबाद” और “तुर्की मुर्दाबाद” के नारे लगाए। ‘ऑपरेशन सिंदूर’ के दौरान तुर्की ने पाकिस्तान का साथ दिया और भारत पर हमला करने के लिए पाकिस्तान को हथियार भेजा था। इसके बाद से ही देशभर में उसका बहिष्कार शुरू हो गया।

विशाल भारत संस्थान के अध्यक्ष राजीव श्रीवास्तव ने कहा कि पाकिस्तान आतंकवादी देश है, यह पूरी दुनिया जानती है। लेकिन इसके समर्थन में तुर्की खड़ा हो गया। तुर्की में भूकंप आने पर हमारे देश ने दवा और राशन आपूर्ति की थी, जिससे उसके नागरिकों की रक्षा हो सके। इसके बदले में वह भारत के खिलाफ पाकिस्तान को हमले के लिए हथियार भेज रहा है।

उन्होंने कहा कि जो देश आतंक को पनाह देने वाले पाकिस्तान के साथ है, उस देश से हम कोई रिश्ता नहीं रखेंगे। उसी रिश्ते को खत्म करने के लिए शव यात्रा निकाली और शव को जला दिया।

उन्होंने कहा कि भारत का मुसलमान तुर्की और पाकिस्तान के मुसलमान से अलग है। भारत की संस्कृति और इसके मुसलमान उदार हैं। हिंदू और मुसलमान भाइयों ने मिलकर शव यात्रा निकाली है। “पाकिस्तान जिंदाबाद” और “तुर्की जिंदाबाद” का नारा लगाने वाला भारत में नहीं रह पाएगा।

विशाल भारत संस्थान के सदस्य अफरोज अहमद ने बताया कि हम सब ने पाकिस्तान और तुर्की की शव यात्रा निकाली है। जो आतंकवादी देश को समर्थन करेगा, हम उसका विरोध करेंगे। उन्होंने देशभर के मुसलमानों से अनुरोध किया है कि पाकिस्तान और तुर्की का पूरी तरह से बहिष्कार करें।

संस्थान के एक अन्य सदस्य मोहम्मद शहाबुद्दीन ने कहा कि पाकिस्तान और तुर्की धर्म की आड़ में आतंकवाद को बढ़ावा देते हैं। पहलगाम में आतंकवादी हमला कर भारत की गंगा-जमुनी तहजीब को नष्ट करना चाहते हैं।

उल्लेखनीय है कि भारत के खिलाफ पाकिस्तान का समर्थन करने के कारण पूरे देश में तुर्की का विरोध जारी है। हर क्षेत्र में तुर्की के सामानों का बहिष्कार किया जा रहा है। भारत में तुर्की के मार्बल और सेब का व्यापार बंद करने के ऐलान के बाद देश के कई बड़े संस्थानों ने भी तुर्की के साथ अपने एमओयू को निलंबित कर दिए हैं।

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