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Saturday, April 19, 2025
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अमेरिका: टेक्सास में खसरे का प्रकोप, 560 से अधिक मामले सामने आए!

विशेषज्ञों ने चेतावनी दी है कि अगर प्रकोप जारी रहा तो संयुक्त राज्य अमेरिका 2000 में घोषित 'खसरे से मुक्त' होने का दर्जा खो सकता है।

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अमेरिका के दूसरे सबसे बड़े राज्य टेक्सास में खसरे के 561 मामले सामने आए। टेक्सास डिपार्टमेंट ऑफ स्टेट हेल्थ सर्विसेज (डीएसएचएस) ने यह जानकारी दी।  डीएसएचएस ने बताया कि पिछले पांच दिनों में 20 नए केस दर्ज किए गए। इसके साथ ही अब तक खसरे से पीड़ित 58 रोगियों को अस्पताल में भर्ती कराया गया है।

डीएसएचएस ने मंगलवार को संभावना जताई कि रोग के अत्यधिक संक्रामक होने के कारण इसके मामलों में वृद्धि हो सकती है।

अमेरिकी रोग नियंत्रण और रोकथाम केंद्र ने शुक्रवार को बताया कि इस साल करीब 24 राज्यों में खसरे के 712 मामले सामने आए। इनमें से लगभग 97 प्रतिशत मामले उनके हैं जिनका टीकाकरण नहीं हुआ है या जिनके वैक्सीनेशन की स्थिति स्पष्ट नहीं है।

सिन्हुआ समाचार एजेंसी की मानें तो टेक्सास के सार्वजनिक स्वास्थ्य अधिकारियों ने पिछले महीने ही चेतावनी दी थी कि यह प्रकोप कई महीनों तक या पूरे साल तक जारी रह सकता है। उन्होंने बताया कि औसत से कम टीकाकरण स्तर वाली समुदायों को इस प्रकोप से सबसे अधिक नुकसान हो रहा है।

विशेषज्ञों ने चेतावनी दी है कि अगर प्रकोप जारी रहा तो संयुक्त राज्य अमेरिका 2000 में घोषित ‘खसरे से मुक्त’ होने का दर्जा खो सकता है।

विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) के अनुसार, खसरा एक अत्यधिक संक्रामक वायरल बीमारी है। संक्रमित व्यक्ति के सांस लेने, खांसने या छींकने के कारण यह आसानी से फैलता है। यह गंभीर बीमारी मौत का कारण भी बन सकता है। कोई भी शख्स इस बीमारी के चपेट में आ सकता है लेकिन यह बच्चों में सबसे आम है।

यह बीमारी सांस लेने वाले तंत्र को संक्रमित करती है और फिर पूरे शरीर में फैल जाती है। खसरा के लक्षण की अगर हम बात करें तो इसमें तेज बुखार, खांसी, नाक बहना और पूरे शरीर पर दाना आना शामिल है।

खसरे से बीमार होने या दूसरे लोगों में फैलने से रोकने के लिए टीका लगवाना ही सबसे बेहतर विकल्प है।

1963 में खसरे के टीके की शुरुआत और व्यापक टीकाकरण से पहले, बड़ी महामारियां लगभग हर दो से तीन साल में होती थीं और हर साल अनुमानतः 2.6 मिलियन लोगों की मृत्यु होती थी।

टीके की दो खुराकें लेने की सिफारिश की जाती हैं ताकि प्रतिरक्षा सुनिश्चित हो और प्रकोप को रोका जा सके, क्योंकि पहली खुराक से सभी बच्चों में प्रतिरक्षा विकसित नहीं होती।

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