अमेरिका ने अंतरराष्ट्रीय छात्रों के लिए वीज़ा प्रक्रिया को और सख्त बना दिया है। ट्रंप प्रशासन द्वारा जारी नए नियमों के तहत अब छात्रों को छोटी-छोटी गलतियों के लिए भी देश से निकाला जा सकता है। अमेरिकी स्टेट डिपार्टमेंट ने न केवल छात्रों के सोशल मीडिया पर नजर रखने की प्रक्रिया शुरू की है, बल्कि कई दूतावासों को नए वीज़ा अपॉइंटमेंट लेना भी बंद करने का निर्देश दिया गया है।
स्टेट डिपार्टमेंट की प्रवक्ता टैमी ब्रूस ने स्पष्ट किया कि अमेरिका अब वीज़ा के लिए आवेदन करने वाले हर व्यक्ति की कड़ी जांच करेगा — चाहे वह छात्र हो, पर्यटक हो या कोई और। उन्होंने कहा, “हम पूरी सख्ती से जांच करेंगे कि कौन अमेरिका में प्रवेश का पात्र है और कौन नहीं। हम यह सुनिश्चित करना चाहते हैं कि आने वाले लोग कानून का पालन करें, कोई आपराधिक मंशा न रखें और समाज में सकारात्मक योगदान दें।”
इन 4 स्थितियों में वीज़ा रद्द हो सकता है और छात्र निष्कासित किए जा सकते हैं:
- कक्षा छोड़ना या कोर्स से ड्रॉपआउट होना
यदि कोई छात्र नियमित कक्षाओं में उपस्थित नहीं होता या आधे रास्ते में कोर्स छोड़ देता है, तो उसका वीज़ा तत्काल रद्द किया जा सकता है। - वीज़ा अवधि से अधिक रुकना
वीज़ा अवधि समाप्त होने के बाद भी यदि कोई छात्र अमेरिका में ठहरता है, तो उसे अवैध प्रवासी माना जाएगा और देश से निकाला जा सकता है। - अनधिकृत रोजगार
अमेरिका में पढ़ाई के दौरान छात्रों को सीमित समय तक काम करने की अनुमति होती है। यदि कोई छात्र बिना अनुमति के काम करता है, तो यह वीज़ा उल्लंघन माना जाएगा। - सोशल मीडिया पर आपत्तिजनक पोस्ट
अगर कोई छात्र सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स (जैसे इंस्टाग्राम, X या टिकटॉक) पर ऐसा कंटेंट पोस्ट करता है, जिसे राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए खतरा माना जाए, तो उसके खिलाफ कार्रवाई की जा सकती है।
इसके अलावा, ट्रंप प्रशासन ने हाल ही में सैकड़ों छात्रों का वीज़ा रद्द कर दिया था, जिन पर हल्के ट्रैफिक उल्लंघन या शराब से जुड़ी घटनाओं का आरोप था। हालांकि, कई छात्रों की कानूनी अपील के बाद सरकार ने कुछ मामलों में वैधता बहाल की, लेकिन साथ ही यह भी स्पष्ट कर दिया कि भविष्य में वीज़ा समाप्त करने के आधार और भी व्यापक किए जा रहे हैं।
इस फैसले को राष्ट्रपति ट्रंप और देश की प्रतिष्ठित शैक्षणिक संस्थाओं के बीच चल रही तनातनी की एक कड़ी माना जा रहा है। विशेषज्ञों का मानना है कि इससे न केवल अमेरिका में पढ़ने की योजना बना रहे छात्रों की संख्या घट सकती है, बल्कि विश्वविद्यालयों को भी अंतरराष्ट्रीय छात्रों की कमी का सामना करना पड़ सकता है।
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