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अन्ना यूनिवर्सिटी यौन उत्पीड़न मामला: आरोपी ज्ञानसेकरन दोषी करार

सजा का ऐलान 2 जून को

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चेन्नई की महिला अदालत ने अन्ना विश्वविद्यालय परिसर में छात्रा के साथ हुए यौन शोषण के मामले में आरोपी ज्ञानसेकरन को दोषी करार दिया है। यह फैसला घटना के महज पांच महीने बाद आया है और राज्यभर में आक्रोश का कारण बने इस संवेदनशील मामले में कानूनी प्रक्रिया का अहम पड़ाव माना जा रहा है।

महिला न्यायालय की न्यायाधीश राजलक्ष्मी ने बुधवार को फैसला सुनाते हुए ज्ञानसेकरन को उसके खिलाफ दर्ज सभी 11 आरोपों में दोषी माना। अदालत 2 जून को उसकी सजा का ऐलान करेगी। यह घटना 23 दिसंबर 2024 की रात को अन्ना विश्वविद्यालय परिसर में हुई थी, जब एक छात्रा अपने पुरुष मित्र के साथ वहां समय बिता रही थी। पुलिस के अनुसार, ज्ञानसेकरन ने उन्हें जबरन रोका, करीब 40 मिनट तक बंधक बनाए रखा, और फिर दोनों का वीडियो बनाकर छात्रा को ब्लैकमेल किया।

पीड़िता और विश्वविद्यालय की यौन उत्पीड़न रोकथाम समिति (PoSH) की एक प्रोफेसर ने उसी दिन पुलिस में शिकायत दर्ज करवाई, जिसके बाद 25 दिसंबर को चेन्नई पुलिस ने ज्ञानसेकरन को गिरफ्तार किया। ज्ञानसेकरन कोट्टूरपुरम इलाके का एक कुख्यात अपराधी है, जिसके खिलाफ पहले से ही भारतीय दंड संहिता (IPC) की विभिन्न धाराओं में सात मामले दर्ज थे। इस मामले में उस पर नई भारतीय न्याय संहिता (BNS) की धाराओं के तहत मुकदमा चला — जिनमें बलात्कार के लिए धारा 63(क), 64(1), और यौन उत्पीड़न के लिए धारा 75(1)(ii) व (iii) शामिल थीं।

तमिलनाडु सरकार ने आरोपी पर ‘गुंडा अधिनियम’ भी लगाया, जिससे उसे बिना जमानत एक साल तक हिरासत में रखा जा सकता है। आरोपी की गिरफ्तारी के बाद सोशल मीडिया पर उसकी तस्वीरें सत्तारूढ़ द्रविड़ मुनेत्र कड़गम (DMK) के नेताओं के साथ वायरल हुईं। विपक्षी दलों ने आरोप लगाया कि ज्ञानसेकरन को पार्टी से संरक्षण मिला हुआ था, हालांकि DMK ने इससे इनकार किया।

मद्रास हाईकोर्ट ने 28 दिसंबर को विशेष जांच दल (SIT) के गठन का आदेश दिया, जिसमें वरिष्ठ आईपीएस अधिकारी भुक्या स्नेहा प्रिया, अयमान जमाल और एस. बृंदा शामिल थे। इस टीम ने 25 फरवरी को सईदापेट मेट्रोपॉलिटन मजिस्ट्रेट अदालत में चार्जशीट दाखिल की, जिसके बाद मामला अलीकुलम स्थित महिला अदालत को सौंपा गया।

इस केस में एक और विवाद तब सामने आया जब पुलिस ने पीड़िता से जुड़ी संवेदनशील जानकारी के साथ एफआईआर अपनी वेबसाइट पर अपलोड कर दी। इस गोपनीयता उल्लंघन की कड़ी आलोचना हुई और विशेषज्ञों ने इसे गंभीर चूक बताया।

चेन्नई पुलिस आयुक्त ए. अरुण ने बाद में सफाई दी कि IPC से BNS में तकनीकी बदलाव के दौरान यह “टेक्निकल ग्लिच” हुआ। उन्होंने कहा कि सामान्यत: ऐसे मामलों की FIR क्राइम एंड क्रिमिनल ट्रैकिंग नेटवर्क सिस्टम (CCTNS) में स्वतः लॉक हो जाती है। इस लीक की जांच के लिए अलग मामला भी दर्ज किया गया है।

अब सभी की निगाहें 2 जून पर टिकी हैं, जब अदालत ज्ञानसेकरन को सजा सुनाएगी। पीड़िता को न्याय मिलने की दिशा में यह फैसला एक अहम मील का पत्थर माना जा रहा है। यह मामला न केवल कानून व्यवस्था, बल्कि महिलाओं की सुरक्षा और डिजिटल गोपनीयता जैसे मुद्दों पर भी गंभीर बहस छेड़ चुका है।

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