वेटिकन सिटी से एक गहन पीड़ा देने वाली खबर ने विश्व समुदाय को शोक में डुबो दिया है। करुणा, विनम्रता और आध्यात्मिक नेतृत्व के प्रतीक पोप फ्रांसिस का सोमवार को 88 वर्ष की आयु में निधन हो गया। उन्होंने वेटिकन के कासा सांता मार्टा स्थित अपने आवास पर अंतिम सांस ली। उनके निधन की पुष्टि के साथ ही विश्व के कोने-कोने से श्रद्धांजलि और संवेदनाओं का सैलाब उमड़ पड़ा।
भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पोप फ्रांसिस को श्रद्धांजलि देते हुए एक्स (पूर्व में ट्विटर) पर गहरा दुख जताया। उन्होंने लिखा, “परम पावन पोप फ्रांसिस के निधन से मुझे गहरा दुख हुआ। दुख और स्मरण की इस घड़ी में, वैश्विक कैथोलिक समुदाय के प्रति मेरी हार्दिक संवेदनाएं। पोप फ्रांसिस को दुनिया भर में लाखों लोग करुणा, विनम्रता और आध्यात्मिक साहस के प्रतीक के रूप में हमेशा याद रखेंगे।”
पीएम मोदी ने आगे कहा, “छोटी उम्र से ही उन्होंने प्रभु ईसा मसीह के आदर्शों को साकार करने में खुद को समर्पित कर दिया। गरीबों और वंचितों की सेवा, पीड़ितों में आशा का संचार, और समावेशी विकास के प्रति उनका समर्पण प्रेरणादायक रहा। भारत के लोगों के प्रति उनका स्नेह अविस्मरणीय रहेगा। ईश्वर उनकी आत्मा को शांति प्रदान करे।”
पोप फ्रांसिस को सांस संबंधी बीमारी के कारण फरवरी 2025 में अस्पताल में भर्ती किया गया था। उन्हें डबल निमोनिया हो गया था, जिसकी वजह से उन्हें 38 दिन अस्पताल में रहना पड़ा। हालांकि उनकी आवाज अंतिम दिनों तक बुलंद रही। ईस्टर संडे के दिन भी उन्होंने 35,000 से अधिक श्रद्धालुओं को “शांति, विचार की स्वतंत्रता और सहिष्णुता” का संदेश दिया।
फ्रांसिस का जीवन और उनकी शिक्षाएं हर वर्ग और धर्म के लोगों को छू गईं। फ्रांस के राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों ने उन्हें “विनम्र व्यक्ति बताया जो हमेशा कमजोरों के पक्ष में खड़ा रहा।” स्पेन के प्रधानमंत्री पेड्रो सांचेज़ ने कहा, “शांति और सामाजिक न्याय के प्रति उनकी प्रतिबद्धता एक अमिट विरासत है।”
इतालवी प्रधानमंत्री जियोर्जिया मेलोनी ने अपने भावुक बयान में लिखा, “मुझे उनकी दोस्ती का सौभाग्य मिला। उन्होंने हमें दुनिया को बदलने की दिशा दिखाई – एक ऐसी राह जो विध्वंस नहीं, सुरक्षा करती है। उनकी शिक्षा और विरासत अनंत है।”
पोप फ्रांसिस सिर्फ एक धार्मिक नेता नहीं थे, वे एक उम्मीद, एक चेतना और एक मानवतावादी पुकार थे, जिसने उन लोगों को भी प्रेरित किया जो उनके धर्म के अनुयायी नहीं थे। उनके निधन से एक युग का अवसान हुआ है, लेकिन उनके विचार, उनकी करुणा और उनका साहस इस दुनिया को दिशा देते रहेंगे।
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