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Sunday, June 15, 2025
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चारमीनार की आग में 17 की मौत, पीएम मोदी ने जताया दुख, मुआवजे का ऐलान

प्रधानमंत्री राष्ट्रीय राहत कोष (PMNRF) से मृतकों के परिजनों को 2 लाख रुपये और घायलों को 50,000 रुपये की आर्थिक सहायता देने की घोषणा की गई है।

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हैदराबाद के दिल कहे जाने वाले चारमीनार के पास स्थित गुलजार हाउस इलाके में रविवार को एक भीषण आग ने 17 लोगों की जान ले ली। हादसे की भयावहता इतनी थी कि कई लोग जिंदा जल गए, जबकि अन्य बुरी तरह झुलस गए। इस हादसे ने पूरे देश को झकझोर कर रख दिया है।

घटना एक व्यावसायिक इमारत में आग लगने से हुई, जहां मोती के कारोबारी की दुकान ‘मोदी पर्ल्स’ ग्राउंड फ्लोर पर स्थित थी और ऊपर की मंजिलों पर उनका परिवार और कुछ कर्मचारी रहते थे। आग लगने के समय करीब 30 लोग इमारत में मौजूद थे। घने धुएं और आग की लपटों के बीच कुछ लोग बेहोश हो गए और बाहर निकल नहीं सके।

दमकल विभाग की 8 गाड़ियों को मौके पर भेजा गया, जिन्होंने घंटों की मशक्कत के बाद आग पर काबू पाया। लेकिन तब तक कई जानें जा चुकी थीं। वरिष्ठ पुलिस और प्रशासनिक अधिकारी मौके पर मौजूद रहे। माना जा रहा है कि आग शॉर्ट सर्किट की वजह से लगी, हालांकि इसकी पुष्टि जांच के बाद ही हो सकेगी।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इस हादसे पर गहरा शोक जताया और पीड़ितों के परिवारों को सहायता देने की घोषणा की।
उन्होंने अपने एक्स हैंडल पर लिखा, “आग की घटना में लोगों की मौत से बहुत दुखी हूं। जिन लोगों ने अपने प्रियजनों को खो दिया है, उनके प्रति संवेदना जाहिर करता हूं। घायलों के जल्द स्वस्थ होने की कामना करता हूं।” प्रधानमंत्री राष्ट्रीय राहत कोष (PMNRF) से मृतकों के परिजनों को 2 लाख रुपये और घायलों को 50,000 रुपये की आर्थिक सहायता देने की घोषणा की गई है।

केंद्रीय मंत्री जी. किशन रेड्डी ने घटनास्थल का दौरा किया और हालात का जायज़ा लिया। उन्होंने स्पष्ट किया कि केंद्र सरकार हर संभव सहायता देगी। उन्होंने एक्स पर कहा,“राज्य सरकार को चाहिए कि वह अग्नि सुरक्षा ऑडिट जैसे सभी जरूरी कदम उठाए, ताकि भविष्य में ऐसी त्रासदियों से बचा जा सके।”

वहीं, तेलंगाना के मुख्यमंत्री रेवंत रेड्डी ने भी इस हादसे पर दुख जताते हुए अधिकारियों को राहत एवं बचाव कार्य में कोई कोताही न बरतने के निर्देश दिए हैं। मुख्यमंत्री कार्यालय के अनुसार, वह लगातार पुलिस और दमकल विभाग के संपर्क में हैं।

घनी बस्ती वाले गुलजार हाउस जैसे इलाके में आग से निपटने की तैयारी की गंभीर कमी एक बार फिर उजागर हो गई है। न संकरे रास्ते, न निकासी की पर्याप्त व्यवस्था, और न ही अग्निशमन के बुनियादी संसाधनों की मौजूदगी — ऐसे हालात में यह हादसा मानवीय लापरवाही की कीमत पर दर्ज होता दिख रहा है।

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