जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में 22 अप्रैल को हुए दर्दनाक इस्लमी आतंकी हमले पर कांग्रेस नेता विजय वडेट्टीवार का बयान गहरी बहस का विषय बन गया है। वडेट्टीवार ने कहा कि आतंकियों के पास “धर्म पूछकर” मारने का समय नहीं होता। इस बयान ने शहीदों के परिजनों और देशभर के नागरिकों की भावनाओं को आहत कर दिया है।
सोमवार को मीडिया से बातचीत में वडेट्टीवार ने कहा, “पहलगाम में जो आतंकी घटना हुई, उसकी जिम्मेदारी सरकार को लेनी चाहिए। 26 पर्यटकों की जान गई। वहां सुरक्षा की व्यवस्था क्यों नहीं थी? खुफिया विभाग क्या कर रहा था? सरकार असफल रही है।” वह यहीं नहीं रुके। आगे उन्होंने कहा, “आतंकियों के पास इतना समय कहां होता है कि वह कान में जाकर पूछें कि तुम हिंदू हो या मुसलमान। आतंकियों का कोई धर्म नहीं होता। मूल मुद्दे से भटकाना गलत है।”
वडेट्टीवार का यह बयान ऐसे समय आया है जब पहलगाम हमले के चश्मदीदों ने स्पष्ट रूप से बताया है कि आतंकवादियों ने मारने से पहले धर्म की पहचान की थी। कई परिजनों के मुताबिक, आतंकियों ने पहले कलमा पढ़वाया और हिन्दू निकले लोगों को गोलियों से भून दिया। आतंकियों ने यह भी कहा, “यह संदेश प्रधानमंत्री मोदी तक पहुंचा देना।”
देशभर में इस बर्बरता के खिलाफ गुस्सा है। ऐसे में वडेट्टीवार जैसे वरिष्ठ नेता द्वारा हमले की गंभीरता को हल्का करना कई लोगों को गलत और असंवेदनशील लगा। सोशल मीडिया पर भी जनता ने तीखी प्रतिक्रिया दी है, जहां लोग पूछ रहे हैं आखिर कौन देशद्रोहियों के लिए नरमी दिखा रहा है?
विशेषज्ञों का मानना है कि इस वक्त राजनीति से ऊपर उठकर आतंकवाद के खिलाफ एकजुट होना चाहिए। जब निर्दोष नागरिकों को धर्म के आधार पर निशाना बनाकर मारा गया हो, तो सवाल सुरक्षा व्यवस्था पर उठने चाहिए, पर आतंकियों की नीयत पर पर्दा डालने की कोशिश घातक साबित हो सकती है।
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