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विश्व में पहली बार भारत ने विकसित की दो जीनोम-संपादित धान की किस्में!

पैदावार में होगी 30% तक वृद्धि की संभावना

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भारत ने कृषि क्षेत्र में एक ऐतिहासिक उपलब्धि हासिल करते हुए दो जीनोम-संपादित धान की किस्मों—’कमला’ (DRR धन 100) और ‘पुसा DST राइस 1’—का औपचारिक अनावरण किया है। केंद्रीय कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने रविवार (5 मई)को इस उपलब्धि की घोषणा करते हुए बताया कि ये किस्में भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (ICAR) के वैज्ञानिकों द्वारा विकसित की गई हैं और इनसे धान की पैदावार में 20–30% तक वृद्धि होने की संभावना है।

‘कमला’ किस्म का विकास हैदराबाद स्थित ICAR-Indian Institute of Rice Research ने किया है, जबकि ‘पुसा DST राइस 1’ को ICAR-Indian Agricultural Research Institute, नई दिल्ली ने तैयार किया है।

जीनोम-संपादन तकनीक से बनी किस्में

ये धान की किस्में उन्नत जीनोम-संपादन तकनीक CRISPR-Cas9 के माध्यम से विकसित की गई हैं। इस तकनीक में पौधे के भीतर मौजूद जीन में ही लक्षित परिवर्तन किया जाता है, और किसी बाहरी डीएनए को शामिल नहीं किया जाता। इसी कारण इन किस्मों को पारंपरिक किस्मों के समकक्ष माना जाता है और इन्हें जेनेटिक इंजीनियरिंग अप्रेजल कमेटी (GEAC) की स्वीकृति की आवश्यकता नहीं होती।

इन जीनोम-संपादित धान की किस्मों से किसानों को कई प्रकार के लाभ मिल सकते हैं। सबसे प्रमुख लाभ यह है कि इनसे प्रति हेक्टेयर 20 से 30 प्रतिशत तक अधिक उत्पादन की संभावना है, जिससे किसानों की आय में उल्लेखनीय वृद्धि हो सकती है। ‘कमला’ किस्म की एक खास विशेषता यह है कि यह केवल 130 दिनों में पककर तैयार हो जाती है, जो पारंपरिक किस्मों की तुलना में लगभग 20 दिन कम है। इससे न केवल सिंचाई की आवश्यकता घटती है बल्कि जल की भी काफी बचत होती है। जल संरक्षण के साथ-साथ इन किस्मों की खेती से हरितगृह गैसों, विशेषकर मीथेन, के उत्सर्जन में लगभग 20 प्रतिशत की कमी आ सकती है, जो पर्यावरण के लिहाज से एक सकारात्मक कदम है। इसके अतिरिक्त, ये किस्में जलवायु परिवर्तन की चुनौतियों जैसे सूखा, अत्यधिक तापमान और मृदा की लवणता जैसी परिस्थितियों में भी बेहतर प्रदर्शन करने में सक्षम हैं, जिससे इनका उपयोग जलवायु अनुकूल कृषि के लिए आदर्श माना जा रहा है।

इन किस्मों की खेती के लिए आंध्र प्रदेश, तेलंगाना, कर्नाटक, तमिलनाडु, केरल, पुडुचेरी, बिहार, छत्तीसगढ़, महाराष्ट्र, मध्य प्रदेश, ओडिशा, झारखंड, उत्तर प्रदेश और पश्चिम बंगाल जैसे प्रमुख धान उत्पादक राज्यों की सिफारिश की गई है।

ICAR ने 2018 में जीनोम-संपादन पर अनुसंधान परियोजना शुरू की थी। इसमें ‘सांबा महासूरी’ और ‘कॉटनडोरा सन्नालु’ जैसी लोकप्रिय किस्मों को आधार बनाकर अनुसंधान किया गया। बीज उत्पादन की प्रक्रिया आरंभ हो चुकी है और अगले 2–3 वर्षों में ये किस्में बड़े पैमाने पर किसानों को उपलब्ध कराई जाएंगी।

कृषि मंत्रालय का मानना है कि यह उपलब्धि भारत को खाद्य सुरक्षा, टिकाऊ कृषि और किसानों की आय में वृद्धि की दिशा में तेज़ी से आगे बढ़ाने में मदद करेगी।

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