दिल्ली से लेकर इन राज्यों तक मॉक ड्रिल में दिखी भारत की तैयारियां!

मॉक ड्रिल के दौरान भारत के विभिन्न राज्यों में ब्लैकआउट किया गया, जिससे युद्धकालीन परिदृश्य में प्रशासनिक और नागरिक प्रतिक्रिया की जांच की जा सके।

दिल्ली से लेकर इन राज्यों तक मॉक ड्रिल में दिखी भारत की तैयारियां!

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“युद्ध की तैयारी शांति की सबसे बड़ी गारंटी है” — भारत ने बुधवार को इस सिद्धांत को ज़मीन पर उतारकर दिखा दिया।पहलगाम आतंकी हमले के बाद पाकिस्तान से बढ़ते तनाव के बीच देशभर में ‘ऑपरेशन अभ्यास’ के तहत की गई मॉक ड्रिल ने न सिर्फ आम नागरिकों को सचेत किया, बल्कि प्रशासनिक व्यवस्था की संजीदगी और तत्परता की भी एक स्पष्ट झलक दिखाई।

बुधवार (7 मई) को देशभर में ‘ऑपरेशन अभ्यास’ के तहत एक समन्वित मॉक ड्रिल का आयोजन किया गया। यह अभ्यास पाकिस्तान के साथ बढ़ते तनाव और पहलगाम आतंकी हमले के बाद संभावित आपात परिस्थितियों में प्रतिक्रिया की तैयारी के उद्देश्य से किया गया। मॉक ड्रिल के दौरान भारत के विभिन्न राज्यों में ब्लैकआउट किया गया, जिससे युद्धकालीन परिदृश्य में प्रशासनिक और नागरिक प्रतिक्रिया की जांच की जा सके।

राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली में नॉर्थ ब्लॉक, साउथ ब्लॉक, राष्ट्रपति भवन, संसद भवन और इंडिया गेट की लाइटें बंद कर दी गईं। केंद्र शासित प्रदेश चंडीगढ़ में शाम 7:30 से 7:40 तक 10 मिनट का ब्लैकआउट किया गया। इस दौरान पंजाब-हरियाणा सचिवालय, विधानसभा और हाई कोर्ट सहित प्रमुख सरकारी इमारतों की लाइटें बंद रहीं।

हरियाणा के हिसार में भी प्रशासन की अपील पर नागरिकों ने अपने घरों की लाइटें बंद कर सहयोग दिया। राजस्थान के अजमेर में शाम 7:30 से 7:45 तक सायरन के साथ ब्लैकआउट किया गया। वहीं उत्तर प्रदेश के 15 जिलों में भी यह मॉक ड्रिल सफलतापूर्वक आयोजित की गई। अयोध्या के महर्षि वाल्मीकि एयरपोर्ट और बस्ती के गांधी नगर क्षेत्र में लोगों ने ब्लैकआउट के दौरान सहयोग किया।

मेरठ, कानपुर, लखनऊ, गोरखपुर, बरेली, बुलंदशहर और संभल सहित अन्य जिलों में भी इसी प्रकार का अभ्यास किया गया। इस दौरान सेना और एनसीसी के कैडेट्स की उपस्थिति दर्ज की गई। बस्ती में जिलाधिकारी रविश गुप्ता और एसपी प्रतिपाल सिंह चौहान ने नागरिकों से सहयोग की अपील की थी।

इसके अतिरिक्त मध्य प्रदेश, ओडिशा, पंजाब और जम्मू-कश्मीर में भी व्यापक स्तर पर मॉक ड्रिल का आयोजन किया गया। गृह मंत्रालय के निर्देश पर किए गए इस अभ्यास का उद्देश्य हवाई हमलों, ड्रोन अटैक, और मिसाइल हमले जैसी आपातकालीन परिस्थितियों में प्रशासन और नागरिकों की तैयारियों को परखना और उन्हें जागरूक करना था।

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